सोरहम: हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 60 से अधिक खापों ने गुरुवार को घोषणा की कि वे भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे पहलवानों के लिए “न्याय सुनिश्चित करने” के लिए 2020-21 किसान आंदोलन की तरह एक विरोध प्रदर्शन शुरू करने के लिए तैयार हैं और उसके लिए देशव्यापी प्रदर्शन करेंगे.
यह घोषणा उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के सोरहम गांव में आयोजित एक महापंचायत के बाद की गई, जिसमें 1,000 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया.
महापंचायत में लिए गए अधिकांश फैसलों की सार्वजनिक रूप से घोषणा नहीं की गई, किसान नेताओं ने कहा कि उन्हें कुरुक्षेत्र में शुक्रवार को होने वाली एक बड़ी पंचायत में सार्वजनिक किया जाएगा.
आयोजकों ने मंच से घोषणा की कि कुरुक्षेत्र महापंचायत में उत्तरी भारत की सभी खापों के प्रमुख भाग लेंगे.
किसानों के नेता राकेश टिकैत ने गुरुवार को घोषणा की कि किसान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात करेंगे और उनके हस्तक्षेप का अनुरोध करेंगे.
टिकैत ने कहा, “जंतर मंतर पर 35 दिनों तक विरोध करने के लिए हम पहलवानों को धन्यवाद देते हैं.” उन्होंने कहा कि लेकिन विरोध करना अकेले उनका काम नहीं है. वह हम करेंगे. हम अपनी बहनों और बेटियों की गरिमा के लिए लड़ाई लड़ेंगे.
टिकैत ने कहा कि उन्होंने अयोध्या का दौरा किया है जहां बृज भूषण की आगामी “जन चेतना महारैली” होने जा रही है – और “सभी संतों और भविष्यवत्ताओं ने पहलवानों को अपना समर्थन देने की बात कही है.”
5 जून को बृजभूषण शरण सिंह अयोध्या में एक रैली का नेतृत्व करने जा रहे हैं, जिसे संतों का समर्थन प्राप्त है. वे पॉक्सो एक्ट में संशोधन की मांग कर रहे हैं.
सोरहम खापों के लिए एक ऐतिहासिक गांव है. यहीं पर भारतीय किसान यूनियन के दिवंगत पूर्व प्रमुख महेंद्र सिंह टिकैत को उनके नेता के रूप में चुना गया था. विभिन्न खापों के प्रतिनिधियों ने जोशीले भाषणों में बस यही व्यक्त किया और किसानों के विरोध का आह्वान कर अपने समर्थकों से अपील करने की कोशिश की.
एक खाप नेता ने अपने भाषण में कहा, “उस विरोध में सैकड़ों लोग मारे गए, लेकिन यह जारी रहा. हमें फिर से उसी तरह की लड़ाई के लिए तैयार होना होगा. हमें सरकार के भेदभाव से लड़ना होगा. उनके आदमियों और बाकी देश वासियों के लिए नियम अलग-अलग क्यों हैं?”
राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के विधायक राजपाल सिंह बालियान भी विरोध प्रदर्शन में थे, और उन्होंने किसानों को समर्थन दिया. उन्होंने कहा, “सरकार हमें फिर से परख रही है. मुझे उम्मीद है कि जिस तरह आपने पिछले (किसानों) विरोध को जीता था, आप उसी तरह से इस विरोध को जीतने के लिए तैयार होंगे. ”
विरोध करने वाले पहलवान महापंचायत में नहीं आए, और यह स्पष्ट नहीं है कि वे इस समय कहां हैं. जब दिप्रिंट ने टीम के एक सदस्य से बात की, तो उन्होंने कहा कि वे अभी भी हरिद्वार में हैं, अपने पदक गंगा में विसर्जित करने के लिए तैयार हैं “अगर वे अगले कुछ दिनों में उचित कार्रवाई नहीं देखते हैं तो.”
28 मई को पहलवानों के विरोध पर पुलिस की कार्रवाई के बाद, प्रदर्शनकारियों ने कहा था कि वे अपने पदक गंगा में बहा देंगे.
‘पहलवानों के मेडल डूबने नहीं देंगे’
खाप नेताओं ने अपने भाषणों में, इस बात पर गुस्सा व्यक्त किया कि पहलवानों को “उस हद तक मजबूर किया गया था जहां उन्होंने अपने पदक को बहाने तक का फैसला कर लिया था”, और कहा कि वे एक और आंदोलन करने के लिए तैयार हैं, भले ही यह वैसा ही क्यों न हो जैसा “किसानों का आंदोलन था”.
मंच से खाप नेता ने कहा, “अगर आज आपका खून नहीं खौला तो वो पानी है!”
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे अपनी ‘बेटियों’ के लिए लड़ने को तैयार हैं. एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “इस सरकार को देखो. यह अपने लोगों की नहीं सुनती, इसलिए हम किसानों को कदम बढ़ाना होगा. हम अपनी बेटियों के लिए जब तक जरूरी होगा तब तक लड़ेंगे.”
दिप्रिंट से बात करते हुए किसान नेता नरेश टिकैत ने कहा कि चाहे कुछ भी हो जाए, वो विरोध करने वाले पहलवानों को अपने मेडल गंगा में नहीं डुबाने देंगे.
उन्होंने कहा, “मैं उन्हें अपने पदक गंगा में नहीं फेंकने दूंगा, जहां लोगों की राख बहती है. ये सही नहीं है. हम अगले पांच दिनों में जरूरी कदम उठाएंगे जिससे पहलवानों को भरोसा हो सके.”
मीडिया से बात करते हुए, राकेश टिकैत ने कहा की 28 मई को जो हुआ उससे पहलवान “बहुत परेशान” हैं, जब दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई की गई जब वे नई संसद की ओर मार्च कर रहे थे.
बृज भूषण, जो एक भाजपा सांसद भी हैं, पर दिल्ली पुलिस ने 2 मामलों में मामला दर्ज किया है, जिसमें एक नाबालिग का यौन उत्पीड़न करने का आरोप भी शामिल है. उन्होंने सभी आरोपों से इनकार किया है.
(संपादन: पूजा मेहरोत्रा)
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