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Friday, 22 November, 2024
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भारत की GDP जनवरी-मार्च की तिमाही में 6.1% बढ़कर 7.2 फीसदी पर पहुंची : सरकारी आंकड़ा

सरकार के आंकड़े के मुताबिक 2022-23 में नॉमिनल जीडीपी या मौजूदा कीमतों पर जीडीपी 2021-22 के 234.71 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले 272.41 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंचने का अनुमान है.

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नई दिल्ली : भारत की अर्थव्यवस्था जनवरी-मार्च 2023 की तिमाही में 6.1 फीसदी तक बढ़ी है, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा बुधवार को जारी किए गए आंकड़ों में यह बात सामने आई है. देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 2022 के अक्टूबर-दिसंबर की तिमाही में 4.4 प्रतिशत था. 2021-22 (वित्तवर्ष) की चौथी तिमाही में जीडीपी में वृद्धि 4.1 फीसदी थी. सरकार के आंकड़े के मुताबिक 2022-23 के दौरान वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि 2021-22 में 9.1 प्रतिशत की तुलना में 7.2 प्रतिशत का अनुमान लगाया गया है.

71.82 लाख करोड़ रुपये GDP रहने का अनुमान

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि वर्ष 2021-22 के लिए जीडीपी के पहले संशोधित अनुमान 149.26 लाख करोड़ रुपए के मुकाबले वास्तविक जीडीपी या जीडीपी वर्ष 2022-23 में स्थिर (2011-12) कीमतों के 160.06 लाख करोड़ रुपए के स्तर पर पहुंचने का अनुमान है.

इसमें कहा गया है, ‘वर्ष 2022-23 में नॉमिनल जीडीपी या मौजूदा कीमतों पर जीडीपी 2021-22 के 234.71 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले 272.41 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंचने का अनुमान है, जो कि 16.1 प्रतिशत की वृद्धि को दिखा रहा है.’

विज्ञप्ति में कहा गया है कि 2022-23 की चौथी तिमाही में स्थिर (2011-12) कीमतों पर जीडीपी 2021-22 की चौथी तिमाही 41.12 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले 43.62 लाख करोड़ रुपए अनुमानित है.

‘2022-23 की चौथी तिमाही में मौजूदा कीमतों पर 71.82 लाख करोड़ रुपये GDP रहने का अनुमान है, जबकि 2021-22 की चौथी तिमाही में यह 65.05 लाख करोड़ रुपये थी, जो कि 10.4 प्रतिशत वृद्धि को दिखा रही है.’

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास ने 24 मई को कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 में भारत का सकल घरेलू उत्पाद अनुमानित 7 फीसदी से ज्यादा हो सकता है. दास ने नई दिल्ली में भारतीय उद्योग परिसंघ के एक कार्यक्रम में कहा, ‘अगर जीडीपी ग्रोथ 7 फीसदी से थोड़ा ऊपर चली जाए तो मुझे हैरानी नहीं होगी.’

इस साल के शुरुआत में 2022-23 के लिए जारी आर्थिक सर्वेक्षण दस्तावेज जिसमें कहा गया है कि भारत की आर्थिक वृद्धि 7 प्रतिशत हो सकती है. आर्थिक सर्वेक्षण ने 2023-24 के लिए वास्तविक रूप से 6.5 प्रतिशत की बेसलाइन जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया गया है.

बीते वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 6.4 प्रतिशत पर

केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा बीते वित्त वर्ष 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 6.4 प्रतिशत रहा. वित्त मंत्रालय के संशोधित अनुमान में भी राजकोषीय घाटा इतना ही रहने का लक्ष्य रखा गया था. बुधवार को जारी सरकारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली.

लेखा महानियंत्रक (सीजीए) ने केंद्र सरकार के 2022-23 के राजस्व-व्यय का आंकड़ा जारी करते हुए कहा कि मूल्य के हिसाब से राजकोषीय घाटा 17,33,131 करोड़ रुपये (अस्थायी) रहा है. सरकार अपने राजकोषीय घाटे को पाटने के लिए बाजार से कर्ज लेती है.

सीजीए ने कहा कि राजस्व घाटा जीडीपी का 3.9 प्रतिशत रहा है. वहीं प्रभावी राजस्व घाटा जीडीपी का 2.8 प्रतिशत रहा है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को पेश आम बजट में 2023-24 में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 5.9 प्रतिशत पर सीमित करने का लक्ष्य रखा है.


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