कोलकाता: पश्चिम बंगाल विधानसभा में कांग्रेस के इकलौते विधायक बायरन बिस्वास तृणमूल कांग्रेस (TMC) में शामिल हो गए हैं. मार्च में, बिस्वास ने पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में सागरदिघी उपचुनाव जीता. कांग्रेस ने 2021 के विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीती थी.
विश्वास ने सोमवार को टीएमसी के ‘नबा जोयार’ राजनीतिक कार्यक्रम के दौरान घाटल में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी से तृणमूल का झंडा लिया.
टीएमसी में शामिल होने के बाद विश्वास ने कहा, “मैं कांग्रेस की वजह से सागरदिघी उपचुनाव नहीं जीत पाया. मैं तृणमूल कार्यकर्ता रहा हूं. मुझे पार्टी से टिकट नहीं मिला, इसलिए मैंने कांग्रेस से टिकट मांगा.”
The Trinamool Congress family grows bigger!
In the presence of Shri @abhishekaitc, INC MLA from Sagardighi Bayron Biswas joined hands with us.
Together, we will ensure victory against the divisive forces of BJP. pic.twitter.com/5z75ac68Ch
— All India Trinamool Congress (@AITCofficial) May 29, 2023
उन्होंने आगे कहा, “मैं कांग्रेस के भीतर काम नहीं कर सका. बीजेपी से लड़ने के लिए मैं आज टीएमसी में शामिल हुआ. यही एक पार्टी है जो उनका मुकाबला कर सकती है. अगर मैं दोबारा चुनाव में खड़ा होता हूं तो मैं बड़े अंतर से जीतूंगा.”
अभिषेक बनर्जी ने दावा किया कि बिस्वास ने उपचुनाव से पहले टीएमसी के साथ बेस को छुआ था, लेकिन पार्टी ने तुरंत प्रतिक्रिया नहीं दी थी.
उन्होंने कहा कि 2023 के पंचायत चुनावों के लिए टीएमसी के चल रहे अभियान के दौरान वह कई बार पार्टी के दूसरे नंबर के कमांडर के पास पहुंचे थे.
‘अनुभवी कांग्रेस नेता नहीं’
बीड़ी कारोबारी बिस्वास को सागरदिघी से उनके नामांकन में वाम दलों का समर्थन प्राप्त था. उन्होंने सीएम ममता बनर्जी के दूर के रिश्तेदार टीएमसी के देवाशीष बनर्जी को 22,986 मतों से हराया था.
उनकी जीत को पश्चिम बंगाल में कांग्रेस-वाम गठबंधन के लिए एक बड़ी बढ़त के रूप में देखा गया, जो पंचायत चुनावों से पहले टीएमसी चुनौती के रूप में उभरने की कोशिश कर रहा है.
सागरदिघी, जहां मुस्लिम समुदाय में 64 प्रतिशत वोटशेयर शामिल है, पश्चिम बंगाल पार्टी के प्रमुख और लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी के नेतृत्व में कांग्रेस का गढ़ है, जिन्होंने जीत के तुरंत बाद “सागरदिघी मॉडल” को टीएमसी को हराने के लिए टेम्पलेट के रूप में बरकरार रखा.
सागरदिघी के परिणाम को टीएमसी के लिए एक झटके के रूप में देखा गया, क्योंकि यह पहला उपचुनाव था जिसमें पार्टी लगातार तीसरी बार सत्ता में लौटने के बाद हार गई.
कुछ दिनों बाद ममता बनर्जी ने मंत्री गुलाम रब्बानी को हटाकर अल्पसंख्यक मामलों और मदरसा शिक्षा विभाग को अपने हाथ में ले लिया.
दिप्रिंट से बात करते हुए, चौधरी ने कहा कि बिस्वास “अनुभवी कांग्रेसी नेता नहीं थे”.
उन्होंने कहा, “मैंने उनके अधिकांश प्रचार अभियान को मैनेज किया क्योंकि वो डायबटीज का मरीज है वह ज्यादा प्रचार नहीं कर सकता था. लेकिन इससे एक बात साबित हो गई है कि कांग्रेस टीएमसी को हरा सकती है.
उन्होंने आगे कहा, “पूरा भारत जानता है कि ममता बनर्जी पार्टियों को कैसे तोड़ती हैं. हम इस चुनौती को स्वीकार करते हैं और उन्हें चेतावनी देते हैं कि आने वाले दिनों में उनकी पार्टी के टुकड़े-टुकड़े हो जाएंगे. “कांग्रेस ने बायरन को मौका दिया था. कांग्रेस को चुनने के लिए हम सागरदिघी के लोगों का शुक्रिया अदा करते हैं.
बिस्वास के शामिल होने के बाद एक समाचार ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए, अभिषेक बनर्जी ने चौधरी के आरोप का जवाब दिया, “हम पार्टियों को तोड़ने में विश्वास नहीं करते, हम पार्टी के निर्माण में विश्वास करते हैं.”
उन्होंने आगे कहा, “बायरन मुर्शिदाबाद में हमारे साथ नहीं आए, वह टीएमसी में शामिल होने के लिए यहां मिदनापुर आए. भाजपा के जो लोग हमारे संपर्क में हैं, हम उन्हें अंदर लेने से पहले उनकी स्क्रीनिंग कर रहे हैं. अगर जरूरत पड़ी तो मैं एक बटन दबा सकता हूं और आपको आश्चर्य होगा कि बंगाल और बाहर के कितने कांग्रेस सांसद टीएमसी में शामिल होंगे.
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