नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने आजादी का अमृत महोत्सव मनाते हुए 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किया जाएगा.
उन्होंने कहा, इस नई संचरना को रिकॉर्ड समय में बनाने के लिए करीब 60,000 श्रमयोगियों ने अपना योगदान दिया है. जिन्हें पीएम मोदी सम्मानित भी करेंगे.
इस दौरान नए सदन में सेंगोल को स्थापित किए जाने की भी बात कही है. उन्होंने बताया कि यह आजादी का प्रतीक है जिसे स्वतंत्रता के बाद भुला दिया गया है.
शाह ने सेंगोल की जानकारी देते हुए कहा कि, “किस तरह देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को सेंगोल दिया गया था. उन्होंने कहा कि सेंगोल की स्थापना के लिए संसद भवन से उपयुक्त और कोई पवित्र स्थान नहीं हो सकता है. इसलिए 28 तारीख को ही जब नया संसद भवन देश को समर्पित किया जाएगा उसी दिन तमिलनाडु से आए विद्वानों द्वारा सेंगोल पीएम को दी जाएगी फिर संसद में ये परमानेंट स्थापित की जाएगी.”
शाह ने यह भी बताया कि, “सेंगोल को लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास ही स्थापित किया जाएगा.”
शाह ने बताया कि, “सेंगोल इससे पहले इलाहाबाद के म्यूजियम में रखा था.”
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि, एक प्रकार से बनाया गया नया संसद भवन प्रधानमंत्री जी के दूरदर्शिता का प्रमाण है. जो नए भारत के निर्माण में हमारी सांस्कृतिक विरासत, परंपरा और सभ्यता को आधुनिकता से जोड़ने का एक सुंदर प्रयास है.
ऐतिहासिक परंपरा का पुर्नजागरण
उन्होंने आगे कहा, आजादी के अमृत महोत्सव में प्रधानमंत्री ने जो कुछ लक्ष्य तय किए थे, उसमें एक लक्ष्य हमारी ऐतिहासिक परंपराओं का सम्मान और उनका पुनर्जागरण भी है.
अमित शाह ने बताया कि, सेंगोल की स्थापना के लिए संसद भवन से उपयुक्त और पवित्र स्थान कोई और हो ही नहीं सकता. इस पवित्र सेंगोल को किसी संग्रहालय में रखना अनुचित है.
सेंगोल की जानकारी देते हुए शाह बोले, इस अवसर पर एक ऐतिहासिक परंपरा पुनर्जीवित होगी. इसके पीछे युगों से जुड़ी हुई एक परंपरा है. इसे तमिल में सेंगोल कहा जाता है और इसका अर्थ संपदा से संपन्न और ऐतिहासिक है. 14 अगस्त 1947 को एक अनोखी घटना हुई थी. इसके 75 साल बाद आज देश के अधिकांश नागरिकों को इसकी जानकारी नहीं है. सेंगोल ने हमारे इतिहास में एक अहम भूमिका निभाई थी.
इसके पीछे युगों-युगों से जुड़ी एक परंपरा है. सेंगोल ने हमारे इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. यह सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बन गया. जब इसकी जानकारी पीएम मोदी को मिली तो गहन जांच करवाई गई. फिर निर्णय लिया गया कि इसे देश के सामने रखना चाहिए. इसके लिए नए संसद भवन के लोकार्पण के दिन को चुना गया.
19 दल करेंगे नए सदन का बहिष्कार
वहीं 19 विपक्षी दलों द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम को बहिष्कार किए जाने पर केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, “यह ऐतिहासिक क्षण है. इसमें राजनीति नहीं करनी चाहिए. बहिष्कार कर एक बिना-बात का मुद्दा बनाना दुर्भाग्यपूर्ण है. मैं उनसे अपने इस निर्णय पर फिर से विचार करने की अपील करूंगा और कृपया कर इसमें शामिल हों. स्पीकर संसद का संरक्षक होता है और स्पीकर ने प्रधानमंत्री को अमंत्रित किया है.”
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