scorecardresearch
Friday, 22 November, 2024
होमदेशअदृश्य 'लैब्स', पौधे-आधारित इफेड्रिन और अफगानिस्तान से लिंक- क्यों मेथ अमीरों की नई 'हेरोइन' बन गई है

अदृश्य ‘लैब्स’, पौधे-आधारित इफेड्रिन और अफगानिस्तान से लिंक- क्यों मेथ अमीरों की नई ‘हेरोइन’ बन गई है

पिछले हफ्ते पुलिस ने ग्रेटर नोएडा में एक 'मेथ लैब' का भंडाफोड़ किया, जहां 9 विदेशी कथित तौर पर ड्रग पार्टी कर रहे थे. 'आइस' के नाम से भी जानी जाने वाली मेथ लगातार भारतीय बाजार में अपनी पैठ बना रही है.

Text Size:

ग्रेटर नोएडा/दिल्ली: बीकर, फ्लोरेंस फ्लास्क, पिपेट, बन्सन बर्नर, एसिड और आयोडीन क्रिस्टल सहित रसायनों का समूह- यह किसी विश्वविद्यालय का केमेस्टी लैब नहीं था, बल्कि ग्रेटर नोएडा के जैतपुर गांव में एक घर में चल ‘मेथ लैब’ था, जहां नौ विदेशी कथित तौर पर लगभग एक साल से पार्टी ड्रग्स बना रहे थे.

पिछले हफ्ते जब पुलिस टीम ने एक भूखंड पर खड़ी तीन मंजिला इमारत ‘शर्मा K 279’ पर छापा मारा तब तक किसी को भनक तक नहीं लगी थी कि अंदर क्या हो रहा था. अभियुक्तों ने पहली और दूसरी मंजिल किराए पर ली थी, और वह एक नार्मल बैचलर्स की तरह लगते थे जो ज्यादातर किसी से भी मतलब नहीं रखते थे. आसपास के निवासी और पड़ोसियों का कहना था कि वो खुद तक ही सीमित थे. 

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) के एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया कि मेथ, या मेथम्फेटामाइन, एक साइकोस्टिमुलेंट, ने भारतीय ड्रग बाजार पर कब्जा कर लिया है और हेरोइन और कोकीन इस दौड़ में काफी पीछे छूट चुके हैं. 

सूत्र ने कहा, “पिछले 4-5 वर्षों में, मेथ ने अमीर आदमी की ड्रग पार्टी में जगह बना ली है जो पहले हेरोइन थी. तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद से घुसपैठ बढ़ी है. पड़ोसी देश के ड्रग व्यापार को हमेशा तालिबान द्वारा नियंत्रित किया जाता रहा है, और अब उसके शासन में आने के साथ ही तस्करी में काफी वृद्धि हुई है.” 

NCB के श्रोत ने खुलासा किया, “‘ग्लास’ और ‘आईस’ के रूप में भी जाना जाने वाला मेथ लगातार भारतीय बाजार में पैठ बना रहा है और इसकी तस्करी और खपत कानून प्रवर्तन एजेंसियों की नजर में है. यह मुख्य इसलिए है क्योंकि मेथ की न केवल देश में तस्करी की जा रही है, बल्कि जैतपुर की तरह छोटी और गुप्त प्रयोगशालाओं में इसका उत्पादन भी किया जा रहा है.” 

भारत में इसके उत्पादन, तस्करी और खपत पर अंकुश लगाने और इसकी तस्करी को रोकने के लिए स्थानीय पुलिस, एंटी-नारकोटिक्स एजेंसियां, NCB और DRI मिलकर काम कर रहे हैं.

दिप्रिंट द्वारा एक्सेस की उस घर की तस्वीर के अनुसार, जैतपुर अपार्टमेंट में इंडक्शन कुकर और बन्सन बर्नर लगभग चौबीसों घंटे काम पर लगे रहते थे. लेकिन पड़ोसियों को कुछ भी संदेह नहीं हुआ. नालियों और चिमनियों में कभी कभी आग भी लग जाती थी और वह खराब हो जाता था तथा उससे धुंआ निकलने लगता था. कमरे में पाइपों का एक ग्रुप फैला हुआ था जो उससे निकलने वाले कचरे को घर से बाहर बंजर भूमि में प्रवाह कर देता था. प्रयोगशाला एक अच्छी तरह से तेल वाली मशीन के रूप में काम करती है.

पुलिस ने 17 मई को परिसर में छापा मारा और अफ्रीकी मूल के नौ लोगों को गिरफ्तार किया. गौतम बौद्ध नगर के पुलिस आयुक्त लक्ष्मी सिंह ने उस समय कहा था कि लगभग 46 किलोग्राम मेथम्फेटामाइन- “सफेद, शुद्धतम रूप” में- की अंतरराष्ट्रीय बाजार में लगभग 200 करोड़ रुपये मूल्य का होने का अनुमान है.

मिथाइल अल्कोहल, हाइपोफॉस्फोरिक एसिड, हाइड्रोसल्फ्यूरिक एसिड, आयोडीन क्रिस्टल, अमोनिया, एफेड्रिन, एसीटोन, सल्फर और कॉपर सॉल्ट जैसे पदार्थ भी बरामद किए गए. इसके कारण इमारत में रहने वाले अन्य लोग काफी भयभीत हो गए. ऑर्गेनिक मेथ को प्लांट-बेस्ड नारकोटिक इफेड्रिन के इस्तेमाल से बनाया जाता है.

The three-storeyed ‘Sharma’s 279’ building that was sealed by the police | Bismee Taskin | ThePrint
तीन मंजिला ‘शर्मा K 279’ बिल्डिंग जिसे पुलिस ने सील कर दिया | फोटो: बिस्मी तस्कीन | दिप्रिंट

पुलिस सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि आरोपियों के मुताबिक कथित तौर इस रैकेट को दो जगह- दिल्ली के वसंत कुंज और जैतपुर ‘लैब’ से संचालित किया जाता था.

जब दिप्रिंट ने शुक्रवार को घटनास्थल का दौरा किया, तो पाया कि बोतलें, नोजल और अन्य सामान बगल के खाली प्लॉट में बिखरे पड़े हैं, जहां गायें घास चर रही थीं. पड़ोसियों ने बताया कि जब तक पुलिस टीम इलाके में नहीं पहुंची, तब तक उन्हें कोई सुराग नहीं मिला, जब तक कि वे मेथ के साथ पकड़ा नहीं गए. एक आरोपी तो बचने के लिए पहली मंजिल से कूद भी गया था. 

रिसर्च के मुताबिक मेथामफेटामाइन से धुएं बनता है जो मानव श्वसन प्रणाली पर गंभीर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है. साथ ही यह जल स्रोतों और मिट्टी को प्रदूषित करने के साथ साथ पर्यावरण पर विनाशकारी प्रभाव डालता है.

पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि नौ आरोपियों ने प्रतिबंधित दवा इफेड्रिन, उनकी आपूर्ति श्रृंखला, क्रिप्टो ट्रेल्स और सिंडिकेट में शामिल अन्य लोगों के साथ-साथ संभावित आतंकी लिंक सहित कच्चा माल कैसे प्राप्त किया. 

पुलिस सूत्रों ने कहा कि इमारत के मालिक, जिसने आरोपियों को 40,000 रुपये में पहली और दूसरी दोनों मंजिल किराए पर दी थी, वे भी मामले में संदिग्ध हैं.

मेथ क्यों

तो भारत में मेथ की लोकप्रियता क्यों बढ़ रही है? NCB के सूत्रों ने कहा, इसकी पहुंच, उत्पादन, लागत और क्षमता कम है जिसके कारण यह कोकीन से सस्ता पड़ता है और हेरोइन के लगभग समान मूल्य का आता है. इसका प्रभाव 12 घंटे से अधिक समय तक रहता है, और यह हेरोइन के विपरीत एक उत्तेजक दवा है.

अंतरराष्ट्रीय बाजार के मानकों के अनुसार, 1 किलो शुद्ध मेथ की कीमत लगभग 5 करोड़ रुपये होगी. हालांकि, जब यह बाजार में आता है तो यह मिलावटी हो जाता है. वहीं, एक किलो उच्च गुणवत्ता वाली कोकीन की कीमत करीब 10 करोड़ रुपये होगी.

NCB के एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया, “मेथ की शक्ति तुलनात्मक रूप से हेरोइन की तुलना में अधिक होती है. समय के साथ अफगानी मेथ के ग्राहक बढ़ गए है. और धीरे-धीरे हेरोइन यूज करने वाले ‘बेहतर किक’ के लिए इसपर शिफ्ट हो रहे हैं. मेथ के उपयोगकर्ता समाज के समृद्ध वर्ग हैं. मेथ लेने के बाद जागते रहने के कारण इसकी मांग समय के साथ बढ़ी है.”

जैतपुर ‘प्रयोगशाला’ का भंडाफोड़ होने के कुछ दिन पहले ही NCB ने नौसेना के साथ एक संयुक्त अभियान में 14 मई को हिंद महासागर में 12,000 करोड़ रुपये मूल्य की 2,500 किलोग्राम हाई क्वालिटी वाली मेथामफेटामाइन ले जाने वाली एक मदरशिप जब्त की थी.

 The haul found on the 'mothership' by the Narcotics Control Bureau on May 14 | By Special Arrangement
बीते 14 मई को नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो द्वारा ‘मदरशिप’ पर बरामद ड्रग्स | फोटो: विशेष प्रबंधन

केंद्रीय एजेंसी की टीम ने एक छोटी नौका की तलाश में 40 दिन से अधिक समय बिताया, लेकिन उन्हें आश्चर्य हुआ जब वह एक जहाज निकला. सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि यह जहाज श्रीलंका जा रहा था, जहां से मछली पकड़ने वाली छोटी नौकाओं का उपयोग प्रतिबंधित सामग्री को आगे ले जाने के लिए किया जाता.

NCB के सूत्रों ने कहा कि प्रतिबंधित माल को कई जहाजों से लोड किया गया था और इसके सोर्स मध्य पूर्व के साथ-साथ अफगानिस्तान से भी था. 

अफगानिस्तान भारतीय जल क्षेत्र में से आने वाले मादक पदार्थों की समुद्री तस्करी पर कार्रवाई करने के लिए शुरू किए गए ‘ऑपरेशन समुद्रगुप्त’ के तहत फरवरी 2022 से अब तक 3,200 किलोग्राम मेथमफेटामाइन, 500 किलोग्राम हेरोइन और 529 किलोग्राम हशीश जब्त की गई है.

पिछले साल फरवरी में गुजरात के तट पर हेरोइन और हशीश के साथ 221 किलो मेथ जब्त की गई थी. ड्रग्स कथित तौर पर बलूचिस्तान और अफगानिस्तान से लाए गए थे.

अफगान हेरोइन (जिसे ‘ग्लास’ के रूप में जाना जाता है) पिछले कई वर्षों से स्थानीय पुलिस, भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय जांच एजेंसियों के लिए प्रमुख चिंता का विषय रही है. NCB के सूत्रों के मुताबिक, पिछले 4-5 सालों से पता चला है कि देश में नशीली दवाओं के इस्तेमाल का एक बड़ा हिस्सा अफगानिस्तान से आने वाला मेथ का रहा है. 

NCB के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि यह कुछ हद तक एक नया चलन है जो अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से उभरा है.

पिछले साल सितंबर में, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने दो अफगान नागरिकों को गिरफ्तार किया था और उनके पास से 10 किलो हेरोइन के साथ 312 किलो मेथमफेटामाइन जब्त किया था.

उस वक्त स्पेशल पुलिस कमिश्नर (स्पेशल सेल) एच.एस. धालीवाल ने कहा था कि मेथ “नार्को-टेररिज्म” के लिए कुख्यात  हेरोइन की जगह ले रहा है”.

मामले में प्राथमिकी गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की धाराओं के तहत दर्ज की गई थी. एक आरोपी के घर से कंटेनर और अन्य कच्चा माल जब्त किया गया था.

हालांकि, रिपोर्ट्स और स्टडी के मुताबिक, अफगानिस्तान में इन-हाउस मेथ उत्पादन का चलन पहले से ही था लेकिन 2017-2018 के बाद से यह बढ़ा है. साल 2019 में यह 935 किलोग्राम बरामद हुआ था जो 2008 में कुछ ग्राम था.

2020 में, श्रीलंकाई नौसेना ने कथित तौर पर देश के तट से एक हजार किलोमीटर से अधिक दूरी पर 100 किलोग्राम मेथ के साथ 400 किलोग्राम हेरोइन जब्त की, जिससे अफगानिस्तान के हेरोइन व्यापार में चिंताजनक बढ़ोतरी की ओर इशारा करता है. 

पिछले साल अक्टूबर में, 234 किलोग्राम क्रिस्टल मेथ कथित रूप से NCB द्वारा गुजरात के तट से एक मछली पकड़ने वाली नाव से जब्त किया गया था, जिसे कथित रूप से अफगानिस्तान से भी लाया गया था.


यह भी पढ़ें: ‘डबल-मर्डर, ताराबाड़ी की हत्यारी पंचायत’: बिहार के इस गांव ने कैसे खड़ा किया संवैधानिक संकट


अफगानिस्तान की बढ़ती भूमिका

यूरोपियन मॉनिटरिंग सेंटर फॉर ड्रग्स एंड ड्रग एडिक्शन (EMCDDA) की 2020 की रिपोर्ट में विश्व भर में मेथामफेटामाइन के सबसे महत्वपूर्ण निर्माता और आपूर्तिकर्ता के रूप में अफगानिस्तान की उभरती भूमिका को नोट किया गया है.

रिपोर्ट में स्यूडोएफ़ेड्रिन का उपयोग करके मेथ बनाने पर प्रकाश डाला गया है. यह एक खांसी की दवाई और डीकॉन्गेस्टेंट होता है जिसे स्थानीय रूप से ‘ओमान’ के रूप में जाना जाता है.

 Chemicals like methyl alcohol, hypo phosphoric acid, hydrosulfuric acid, iodine crystals, among others seized by the police from Greater Noida apartment | By Special Arrangement
ग्रेटर नोएडा के अपार्टमेंट से पुलिस द्वारा जब्त किए गए मिथाइल अल्कोहल, हाइपोफॉस्फोरिक एसिड, हाइड्रोसल्फ्यूरिक एसिड, आयोडीन क्रिस्टल जैसे रसायन | फोटो: विशेष प्रबंधन

इस पौधे की खोज, एक जंगली फसल जो पहाड़ों में उगती है, ने अफगानिस्तान में मेथ उद्योग में काफी उछाल लाया. 

राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) की 2021-22 रिपोर्ट में भी अफगानिस्तान से मेथामफेटामाइन के उत्पादन और तस्करी में वृद्धि का उल्लेख किया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019-2020 में, DRI द्वारा नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) अधिनियम के तहत 142 किलोग्राम मादक पदार्थ जब्त किया गया था, जो 2021-22 में बढ़कर 884 किलोग्राम हो गया.

एफेड्रिन, अफगानिस्तान में उत्पादित मेथ का एक प्रमुख घटक है, एक बेशकीमती प्रतिबंधित वस्तु है. इसका दवा और खुदरा बिक्री के रूप में इसका ओवर-द-काउंटर व्यापार भारत में प्रतिबंधित है. इसकी फार्मास्यूटिकल्स के पास केवल ठंडी दवाओं और खांसी की दवाई बनाने में उपयोग की इजाजत है. 

NCB के एक सूत्र ने कहा, “एफ़ेड्रा की खेती अफगानिस्तान में बहुत व्यवस्थित है. भारत में इसका इस्तेमाल करने के लिए फार्मास्यूटिकल्स को NCB के साथ पंजीकरण कराना होता है और रसायन के उपयोग को लेकर समय समय पर रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होती है. हाल ही में मेथ लैब (ग्रेटर नोएडा में) की बरामदगी और इफेड्रिन की पिछली बरामदगी एक परेशानी की ओर इशारा कर रहा है. या तो इसकी देश में तस्करी की जा रही है या फिर कानूनी रास्ते निकाले जा रहे हैं.”

पिछले साल, DRI ने हरियाणा में एक और ऐसी गुप्त फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया, जो कथित तौर पर अवैध रूप से एफेड्रिन का निर्माण कर रही थी और 660 किलोग्राम से अधिक प्रतिबंधित पदार्थ जब्त किया था.

संतरे, चीनी चाय में पैकेट में छिपा कर लाया जाता है

NCB और DRI के सूत्रों के अनुसार, देश में मेथ को दो तरह से लाया जा रहा है. पहला कानूनी चैनलों के माध्यम से, उन्हें एक अन्य उत्पाद के रूप में घोषित करके और दूसरा समुद्री चैनलों में मछली पकड़ने वाले छोटे जहाजों के माध्यम से.

14 मई को हिंद महासागर में पकड़ाए गए नशीली दवाओं में मेथ को बिना किसी छुपाए प्लास्टिक की थैलियों में पैक किया गया था. हालांकि, अन्य दूसरे मामलों में यह ज्यादातर कंटेनरों, खिलौनों या अन्य चीजों के बीच छुपाया जाता है.

पिछले साल मुंबई में एक ड्रग बस्ट में, DRI ने कथित तौर पर 9 किलो कोकीन के साथ 198 किलो उच्च शुद्धता वाले क्रिस्टल मेथामफेटामाइन को जब्त किया था. प्रतिबंधित सामग्री को एक ट्रक में संतरे के पैकेट में छुपा कर रखा गया था.

2020 में, चेन्नई पुलिस ने कथित तौर पर चीनी अक्षरों में ‘चाय’ के रूप में चिह्नित पैकेटों में 9 करोड़ मूल्य की मेथ (9 किलो) जब्त की, जो तटों के पास बहती थी.

DRI के एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया, “विभिन्न स्थानों से माल छोटे जहाजों से एक मदरशिप में लोड किया जाता है. यह मदरशिप फिर अन्य छोटे जहाजों में लोड को उतारती है. इसमें ज्यादातर मछली पकड़ने वाली नौकाओं का इस्तेमाल विभिन्न गंतव्य जगहों पर उतारने के लिए किया जाता है.”

अफगानिस्तान से क्रिस्टल मेथ अक्सर मध्य पूर्व और दुबई के माध्यम से दक्षिण एशिया में भेजा जाता है. NCB के सूत्रों के अनुसार, बड़ी मात्रा में उत्पादित और भारत में तस्करी की जाने वाली मेथ को फिर समुद्री मार्गों से श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और अन्य बाजारों में भेजा जाता है.

अफगानिस्तान में मेथ का मुख्य संचालन फराह, हेरात और निमरोज प्रांतों में होता है जो ईरान की सीमा से सटे हैं. NCB के सूत्रों ने कहा कि दक्षिण एशिया और अन्य बाजारों में सबसे लोकप्रिय मार्ग ईरान और तुर्की के माध्यम से हैं.

इसके अलावा, गोल्डन ट्रायंगल- दक्षिण-पूर्व एशिया में स्थित म्यांमार, थाईलैंड, लाओ पीपुल्स डेमोक्रेटिक रिपब्लिक और वियतनाम के कुछ हिस्सों को मिलाकर – उत्पादन और तस्करी दोनों के लिए मादक पदार्थों के तस्करों द्वारा उपयोग किए जाने के लिए जाना जाता है.

इस बीच, याबा टैबलेट- मेथम्फेटामाइन और कैफीन का एक कॉकटेल- पूर्वोत्तर राज्यों में उनकी खुली सीमाओं के कारण आसानी से देश में आ जाता है जो चिंता का एक प्रमुख कारण रहा है. NCB के सूत्रों ने कहा कि म्यांमार से मिजोरम, मणिपुर और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में इसमें बढ़ोतरी इसलिए हो रही है. 

इस साल मार्च में मिजोरम में 390 करोड़ रुपये की मेथ-मैन्युफैक्चरिंग ड्रग्स जब्त की गई थी, जिसने भारत से म्यांमार तक स्यूडोएफ़ेड्रिन की तस्करी को उजागर किया था.

ये बरामदगी मांग और दवा के अवैध व्यापार में वृद्धि का संकेत देती है.

(संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: हिटलर का प्रशंसक, पुलिस का पोता और कक्षा 11 का छात्र- कैसे UP के 3 युवा गैंग्स के लिए सस्ते शूटर बन गए


 

share & View comments