केप टाउन, 17 मई (भाषा) विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि गर्भवती महिलाएं या माताएं और बच्चे स्वास्थ्य के लिहाज से जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति संवेदनशील होते हैं।
उन्होंने देशों की क्षेत्रीय और वैश्विक योजनाओं में स्वास्थ्य एवं जलवायु परिवर्तन को एक साथ देखने या उनके समाकलन को बढ़ावा देने के लिए एकजुटता के साथ प्रयास करने की जरूरत भी रेखांकित की।
डब्ल्यूएचओ, जिनेवा में मातृ, नवजात, शिशु और किशोर स्वास्थ्य विभाग के निदेशक डॉ अंशु बनर्जी ने कहा कि गर्भावस्था में जलवायु संबंधी नुकसान की आशंका अधिक होती है।
यहां पिछले सप्ताह ‘इंटरनेशनल मेटरनल न्यूबॉर्न हेल्थ कॉन्फ्रेंस’ (आईएमएनएचसी 2023) में शामिल होने आए डॉ बनर्जी ने कहा कि गर्भकाल में होने वाले अनेक शारीरिक बदलावों के कारण ऐसा होता है और इस कारण महिलाएं जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील होती हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा ही नवजातों के साथ होता है। उनकी अपरिपक्व प्रतिरोधक क्षमता और खुद के तापमान को नियंत्रित करने की कम क्षमता उन्हें जलवायु परिवर्तन से जुड़े नुकसानों को लेकर अधिक जोखिम में डालती है।’’
उन्होंने कहा कि इसलिए देशों की संबंधित राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय योजनाओं में जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य के समाकलन को बढ़ावा देने और आगे कार्रवाई करने में देशों का समर्थन करने के लिए मिलकर काम करना अत्यावश्यक है।
डॉ बनर्जी ने कहा, ‘‘हम देशों की सरकारों और साझेदारों से ‘जलवायु और स्वास्थ्य पर क्रांतिकारी कार्रवाई के लिए गठबंधन’ (एटीएसीएच) में शामिल होने का आग्रह कर रहे हैं।’’
भाषा वैभव मनीषा
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