नई दिल्ली : भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि बाजार नियामक 2016 से ही अडानी समूह की कंपनियों की जांच कर रहा है यह बात तथ्यात्मक रूप से निराधार है.
सेबी ने अडानी ग्रुप को लेकर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट से संबंधित एक याचिका के जवाब में यह हलफनामा दायर किया. इससे पहले नियामक ने यूएस शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट की जांच पूरी करने के लिए समय को 6 महीने और बढ़ाने की मांग की थी. शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को कहा था कि वह सेबी को जांच के लिए समय देगी, लेकिन 6 महीने का नहीं, बल्कि 3 महीने का.
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि सेबी अडाणी ग्रुप की 2016 से जांच कर रहा था.
सेबी ने एससी को बताया कि उसके द्वारा पहले की गई जांच 51 भारतीय सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा ग्लोबल डिपॉजिटरी रेसिप्ट्स (‘जीडीआर’) जारी करने से संबंधित है. सेबी ने सुप्रीम कोर्ट के सामने प्रस्तुत हलफनामे में कहा कि अडानी समूह की कोई भी सूचीबद्ध कंपनी उन 51 कंपनियों का हिस्सा नहीं थी, जिसकी वह जांच कर रही थी.
सेबी ने जवाब में दिए एक हलफनामे में कहा है, ‘जांच पूरी होने के क्रम में, इस मामले में उचित प्रवर्तन कार्रवाई की गई. इसलिए, यह आरोप कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) 2016 से अडानी ग्रुप की जांच कर रहा है, तथ्यात्मक रूप से निराधार है लिहाजा, मेरा कहना है कि जीडीआर से संबंधित जांच पर यकीन करने की मांग उठाना पूरी तरह गलत है.’
सेबी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग (एमपीएस) मानदंडों की जांच के संदर्भ में, वह प्रतिभूति आयोगों के अंतर्राष्ट्रीय संगठन (आईओएससीओ) के साथ पहले ही बहुपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमओयू) के तहत 11 विदेशी नियामकों से संपर्क कर चुका है.
इन नियामकों से जानकारी के लिए कई अनुरोध किए गए थे. विदेशी नियामकों से पहला अनुरोध 6 अक्टूबर, 2020 की शुरुआत में किया गया था और सेबी ने अदालत को इससे अवगत कराया था. सेबी ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया कि सेबी द्वारा समय के विस्तार के लिए दायर आवेदन का मतलब निवेशकों के हित को ध्यान में रखते हुए न्याय सुनिश्चित करना है.
सेबी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया किया है कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट में किए गए 12 लेनदेन से संबंधित जांच और आकलन के संबंध में, प्रथमदृष्टया यह नोट किया गया है कि ये लेनदेन बहुत ही जटिल हैं और विभिन्न सब-ट्रांजैक्शन और इन लेन-देन की कई न्यायालयों में कड़ी जांच होने को लेकर विभिन्न स्रोतों से डेटा/सूचना के मिलान की आवश्यकता होगी, जिसमें कई घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बैंकों के विवरण, लेन-देन और अनुबंधों और समझौते शामिल हैं, जो कि देश में भी हैं और विदेश में भी है.
शीर्ष अदालत ने, 2 मार्च को पूंजी बाजार नियामक सेबी को हिंडनबर्ग रिपोर्ट के मद्देनजर अडानी समूह द्वारा प्रतिभूति कानून के किसी भी उल्लंघन की जांच करने का निर्देश दिया था, जिसकी वजह से अडानी समूह को बाजार मूल्य के USD140 बिलियन से अधिक का भारी नुकसान हुआ था.
सुप्रीम कोर्ट ने 2 मार्च को अडानी समूह की कंपनियों पर हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट से पैदा हुए मसले को लेकर एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था. समिति में छह सदस्य शामिल हैं, जिसकी अध्यक्षता शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस एएम सप्रे करेंगे.
शीर्ष अदालत ने सेबी से 2 महीने में स्टेटस रिपोर्ट देने को कहा था.
शीर्ष अदालत तब निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए नियामक तंत्र से संबंधित एक समिति के गठन समेत हिंडनबर्ग रिपोर्ट से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.
24 जनवरी को हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने समूह द्वारा स्टॉक में हेराफेरी और धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया था.
अडानी समूह ने हिंडनबर्ग को ‘एक अनैतिक शॉर्ट सेलर’ बताते हुए हमला किया था, यह कहते हुए कि इस न्यूयॉर्क स्थित संस्था की रिपोर्ट ‘झूठ के अलावा कुछ नहीं.’
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