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Tuesday, 5 November, 2024
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NCP नेता ने छत्रपति शिवाजी की ‘झूठी कहानी’ फैलाने के लिए सद्गुरु के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की

यूट्यूब पर अपलोड किए गए एक वीडियो में वासुदेव जग्गी ने कहा कि रामदास स्वामी छत्रपति शिवाजी के गुरु थे. इसे एनसीपी नेता जितेंद्र आव्हाड ने ‘झूठा’ और महाराष्ट्र का 'अपमान' बताया.

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नई दिल्ली: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता जितेंद्र आव्हाड ने 17वीं सदी के मराठा शासक छत्रपति शिवाजी के ‘गुरु’ के बारे में की गई टिप्पणी के लिए ईशा फाउंडेशन के संस्थापक जग्गी वासुदेव, जिन्हें सद्गुरु के नाम से भी जाना जाता है, के खिलाफ शनिवार को कानूनी कार्रवाई की मांग की है.

1 मई को अपलोड किए गए ‘छत्रपति शिवाजी महाराज अभी भी लोगों के दिलों में क्यों रहते हैं’ शीर्षक वाले एक यूट्यूब वीडियो में, सद्गुरु ने मराठा शासक के बारे में एक विस्तृत कहानी साझा की है. इसमें सद्गुरु ने कहा कि दार्शनिक रामदास स्वामी छत्रपति शिवाजी के गुरु थे और उन्होंने अपना भगवा वस्त्र शिवाजी को दिया था और उन्हें इसे राज्य के ध्वज के रूप में उपयोग करने की सलाह दी थी.

सद्गुरु ने वीडियो में कहा है, ‘रामदास ने अपना भगवा कपड़ा दिया और शिवाजी को कहा कि वह इसे अपने ध्वज के रूप में उपयोग करें. इसके बाद उन्होंने कहा कि वापस जाओ और देश पर शासन करो, लेकिन बस इतना जान लो कि यह तुम्हारा राज्य नहीं है. यदि आप जानते हैं कि यह आपका नहीं है, तो आप इसके स्वामी नहीं हैं और आप लोगों के लिए वह सबकुछ करेंगे जो आप कर सकते हैं. आपको इसी तरह शासन करना चाहिए. शिवाजी हमेशा भगवा रंग के कपड़े या झंडे को अपने बैनर के रूप में इस्तेमाल करते थे और उन्होंने सबसे अच्छे तरीके से राज्य का संचालन किया.’ 

सद्गुरु के वीडियो में बताई गई बातों को एनसीपी नेता आव्हाड द्वारा एक ‘झूठी कहानी’ बताया गया. उन्होंने दावा किया कि महान मराठा शासक के बारे में अक्सर गलत जानकारी फैलाई जाती है और यह महाराष्ट्र और यहां के लोगों का अपमान है.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘महाराष्ट्र इस अपमान को बर्दाश्त नहीं करेगा. राज्य सरकार को इस संबंध में कड़ी कानूनी कार्रवाई करनी होगी, अन्यथा यह जन आक्रोश का कारण बनेगा.’

 हालांकि सद्गुरु ने अभी तक अपने वीडियो को लेकर आव्हाड के आरोप पर कोई जबाव नहीं दिया है. 

पिछली घटनाएं

रामदास स्वामी और छत्रपति शिवाजी महाराज को लेकर हुआ विवाद और वीडियो पर आव्हाड की प्रतिक्रिया पहली बार नहीं है जब शिवाजी महराज को लेकर कोई विवाद हुआ हो. आधुनिक महाराष्ट्र की संस्कृति और समाज पर मराठा शासक की ऐतिहासिक विरासत अक्सर बहस का विषय रही है.

जैसा कि इस साल मार्च में दिप्रिंट ने रिपोर्ट किया था, महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन के नेताओं और शिवाजी के प्रत्यक्ष वंशज और बीजेपी के राज्यसभा सांसद उदयनराजे भोसले की आलोचना का सामना करना पड़ा था. भगत सिंह कोश्यारी ने भी दावा किया था कि रामदास शिवाजी के असली ‘गुरु’ थे. उस समय विरोध करने वाले में महा विकास अघाड़ी गठबंधन के नेता और मराठा संगठन शामिल थे और उनका कहना था कि छत्रपति शिवाजी की मां जीजाबाई उनकी वास्तविक ‘गुरु’ थीं.

रामदास के साथ शिवाजी के संबंधों पर रिकॉर्ड काफी विवादित रही है. सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और इतिहास विभाग की प्रमुख श्रद्धा कुंभोजकर के साथ-साथ कोल्हापुर स्थित इतिहासकार इंद्रजीत सावंत ने दिप्रिंट को बताया कि यह दावा एक ब्राह्मणवादी सोच से उपजा है बहुजन समाज से दूर ले जाने का हथियार है.

छत्रपति शिवाजी के इतिहास पर विवाद 2004 में हुआ था जब व्यापक विरोध के बाद कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने जेम्स लेन की एक किताब ‘शिवाजी: हिंदू किंग इन इस्लामिक इंडिया’ पर प्रतिबंध लगा दिया था.

(संपादनः ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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