नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने रविवार को आरोप लगाया कि मणिपुर के मतदाता महज एक साल पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को सत्ता में लाकर अपने साथ ‘घोर विश्वासघात’ महसूस कर रहे हैं.
उन्होंने हाल में हिंसक जातीय संघर्ष के गवाह बने इस राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग भी की.
मणिपुर में पिछले सप्ताह आदिवासियों और बहुसंख्यक मेइती समुदाय के लोगों के बीच हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें कम से कम 54 लोग मारे गए हैं और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं.
थरूर ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘मणिपुर में हिंसा जारी है. दक्षिणपंथी विचारधारा वाले सभी भारतीयों को निश्चित रूप से खुद से पूछना चाहिए कि उस बहुप्रचारित सुशासन का क्या हुआ, जिसका हमसे वादा किया गया था.’’
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘यह राष्ट्रपति शासन लागू करने का समय है. राज्य सरकार उस कार्य को करने में सक्षम नहीं है, जिसके लिए वह चुनी गई थी.’’
इसी बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने रविवार को कहा कि वह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से बात करेंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राज्य के छात्र, जो वर्तमान में हिंसा प्रभावित मणिपुर में फंसे हुए हैं, उनके बारे में विचार किया जाए.
पवार ने कहा कि इनमें से कई फंसे हुए छात्रों के माता-पिता ने बारामती में उनके आवास पर उनसे मुलाकात की और उनके बचाव को सुनिश्चित करने में उनके हस्तक्षेप का अनुरोध किया.
मणिपुर में बहुसंख्यक मेइती समुदाय द्वारा उसे अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर’ (एटीएसयूएम) की ओर से बुधवार को आयोजित ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान चुराचांदपुर जिले के तोरबंग क्षेत्र में हिंसा भड़क गई थी.
नगा और कुकी सहित अन्य आदिवासी समुदायों की ओर से इस मार्च का आयोजन मणिपुर हाई कोर्ट द्वारा पिछले महीने राज्य सरकार को मेइती समुदाय की एसटी दर्जे की मांग पर चार सप्ताह के भीतर केंद्र को एक सिफारिश भेजने का निर्देश देने के बाद किया गया था.
पुलिस के मुताबिक, तोरबंग में मार्च के दौरान हथियार थामे लोगों की भीड़ ने कथित तौर पर मेइती समुदाय के सदस्यों पर हमला किया. मेइती समुदाय के लोगों ने भी जवाबी हमले किए, जिससे पूरे राज्य में हिंसा फैल गई.
मणिपुर की कुल आबादी में मेइती समुदाय की 53 फीसदी हिस्सेदारी होने का अनुमान है. इस समुदाय के लोग मुख्यत: इंफाल घाटी में रहते हैं. वहीं, नगा और कुकी सहित अन्य आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत के करीब है तथा वे मुख्यत: इंफाल घाटी के आसपास स्थित पहाड़ी जिलों में रहते हैं.
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