नई दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बृहस्पतिवार को मणिपुर हिंसा को लेकर भाजपा पर तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा राज्य में हिंसा के लिए वहां की भारतीय जनता पार्टी की सरकार को जिम्मेदार है. उन्होंने आरोप लगाया कि इस तरह की स्थिति ‘नफरत और बांटने की राजनीति’ की वजह से पैदा हुई है.
कांग्रेस अध्यक्ष ने पूर्वोत्तर के राज्य से शांति और संयम बरतने अपील की.
खड़गे ने ट्वीट कर कहा, ‘मणिपुर जल रहा है. भाजपा ने समुदायों के बीच दरार पैदा कर दी है और एक सुंदर राज्य की शांति को नष्ट कर दिया है. बीजेपी की नफरत, बांटने और सत्ता के लालच की राजनीति इस अव्यवस्था के लिए जिम्मेदार है. मैं सभी पक्ष के लोगों से संयम बरतने और शांति की अपील करता हूं.’
यह घटनाक्रम 3 मई को हिंसा भड़कने के बाद तब सामने आया जब ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर (एटीएसयूएम) ने चूड़ाचंदपुर जिले के तोरबंग क्षेत्र की इंफाल घाटी में गैर-आदिवासी बहुल मैइते समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग का विरोध किया और ‘ट्राइबल सॉलिडेरिटी मार्च’ निकाला.
हालात को देखते हुए सेना और अर्धसैनिक बलों को मणिपुर में तैनात किया गया है.
मणिपुर के कई जिलों में जनजातीय समूहों द्वारा रैलियां निकालने के बाद बिगड़ती कानून व्यवस्था की स्थिति से निपटने के लिए राज्य सरकार ने प्रदेश में 5 दिन के लिए इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी हैं. बड़ी संख्या में जमा होने पर प्रतिबंध के साथ राज्य के कई जिलों में कर्फ्यू लगाया गया है.
हालात के मद्देनजर, गैर-आदिवासी बहुल इंफाल पश्चिम, काकचिंग, थौबल, जिरीबाम और बिष्णुपुर जिलों, और जनजातीय बहुल वाले चूड़ाचंदपुर, कांगपोकपी और तेंगनोपला जिलों में कर्फ्यू लगाया गया है.
मणिपुर सरकार ने एक बयान में कहा है, ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन (एटीएसयू) मणिपुर द्वारा मैतेई समुदाय को एसटी कटेगरी में शामिल करने की मांग के विरोध में एक रैली का आयोजन किया था, जिसके बाद युवाओं और विभिन्न समुदायों के वॉलंटियर के बीच लड़ाई की घटनाएं सामने आने पर मणिपुर में पांच दिनों के लिए इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गई हैं.’
फिलहाल, अभी राज्य में दो मुद्दों ने इस स्थिति को जन्म दिया है. पहला, मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के अवैध प्रवासियों और ड्रग कार्टेलों से जंगल को बचाने के लिए उठाए गए कदम से, जिसका कि उन्हें प्रतिरोध का सामना करना पड़ा और दूसरा मुद्दा मणिपुर हाईकोर्ट द्वारा राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति कटेगरी में शामिल करने पर विचार करने के हाल के निर्देश से जुड़ा हुआ है, जिस वजह से अनुसूचित जनजाति के आदिवासी समुदाय में नाराजगी है.
हजारों आदिवासी- जिनकी राज्य में लगभग 40 फीसदी आबादी है, जुलूसों में शामिल हुए, तख्तियां लहराईं और मैतेई समुदाय को एसटी का दर्जा देने का विरोध करते हुए नारे लगाए.
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