नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले की अदालत ने पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी को गैंगस्टर एक्ट के 14 साल पुराने एक मामले में 10 साल की जेल और पांच लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है.वहीं, उसके भाई अफज़ाल को भी कोर्ट ने दोषी करार करते हुए चार साल की सजा सुनाई है.
अभियोजन पक्ष ने बताया कि गाजीपुर की विशेष सांसद-विधायक अदालत के अपर सत्र न्यायाधीश (प्रथम) दुर्गेश कुमार ने 14 वर्ष पुराने गैंगस्टर एक्ट के एक मामले में गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी के लिए 10 साल की जेल और पांच लाख रुपये के जुर्माने की सजा तय की है.
एक अधिवक्ता ने बताया कि 2005 में कृ्ष्णानंद राय हत्याकांड और व्यापारी नंद किशोर रूंगटा के अपहरण के बाद 22 नवंबर 2007 को गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद थाने में सांसद अफज़ाल अंसारी और मुख्तार अंसारी को शामिल करते हुए गैंगस्टर अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया था.
उन्होंने बताया कि 23 सितंबर 2022 को प्रथम दृष्टया दोनों के खिलाफ आरोप तय किए गए और अभियोजन पक्ष की गवाही पूरी हुई. मुख्तार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुआ जबकि अफज़ाल ने अदालत में पेशी दी.
अधिवक्ता के मुताबिक, दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा था. पहले इसे 15 अप्रैल को सुनाया जाना था, जिसे बाद में बढ़ाकर 29 अप्रैल कर दिया गया. इस मामले में साल 2012 में गाजीपुर की MP-MLA कोर्ट में ट्रायल शुरू हुआ था.
बता दें कि इस मामले के तीसरे आरोपी एजाजुल हक की मौत हो चुकी है.
कृष्णानंद के बेटे पियूष ने कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि पिता की हत्या 18 साल पहले हुई, लेकिन हमारा संघर्ष 28 साल का है.
उन्होंने कहा, ‘‘मेरे पिता की हत्या के समय उनकी शिखा (चोटी) काटी गई थी, आज उसी शिखा का मान न्यायपालिका ने बढ़ाया है.’’
इस फैसले से पहले, कृष्णानंद की पत्नी ने कहा था,‘‘उत्तर प्रदेश में माफिया का शासन समाप्त हो गया है और उन्हें न्यायपालिका पर भरोसा है.’’
गौरतलब है कि अफजाल अंसारी गाजीपुर संसदीय क्षेत्र से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सांसद हैं. वहीं, मुख्तार अंसारी पड़ोसी जिले मऊ की मऊ सदर विधानसभा सीट से लगातार पांच बार विधायक रह चुके हैं. मुख्तार अंसारी ने 2022 में विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा था और उनकी सीट पर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) से किस्तम आजमा रहे उनके बेटे अब्बास अंसारी विधायक चुने गए थे.
मुख्तार अंसारी इस समय आपराधिक मामलों में बांदा की एक जेल में बंद है. इससे पहले इसी साल जनवरी में पुलिस ने मुख्तार अंसारी के खिलाफ 2001 की उसरी चट्टी गैंगवार की घटना के सिलसिले में हत्या का मामला दर्ज किया था.
इससे पहले 18 जनवरी को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गाजीपुर एमपी/एमएलए कोर्ट के 15 मार्च के उस आदेश को खारिज कर दिया था, जिसमें अंसारी को बांदा में उच्च श्रेणी की जेल में रखने की अनुमति दी गई थी.
इन मामलों में कांस्टेबल रघुवंश सिंह की हत्या और गाजीपुर के एक अतिरिक्त एसपी पर जानलेवा हमला शामिल है.
जेलर एसके अवस्थी को धमकाने और पिस्टल तानने के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने 21 सितंबर को मुख्तार अंसारी को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई थी. यह मामला 2003 का है जब लखनऊ जिला जेल के जेलर एसके अवस्थी ने यह कहते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी कि उन्हें जेल में अंसारी से मिलने आए लोगों की तलाशी लेने की धमकी दी गई थी.
1999 में गैंगस्टर एक्ट के तहत दर्ज मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने 23 सितंबर को उसे पांच साल की सजा सुनाई थी. 23 साल पुराने इस मामले में कोर्ट ने मुख्तार पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था.
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