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Friday, 22 November, 2024
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सबसे कम उम्र के CM से लेकर चुनाव लड़ने वाले उम्रदराज़ व्यक्ति तक—कुछ ऐसा था प्रकाश सिंह बादल का राजनीतिक सफर

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिवंगत नेता के सम्मान में पूरे देश में 26 और 27 अप्रैल को दो दिनों के राजकीय शोक की घोषणा की है. इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज भी आधा झुका रहेगा.

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नई दिल्ली: प्रकाश सिंह बादल जीवन या राजनीति के क्षेत्र में आसानी से हार मानने वालों में से नहीं थे. पिछले साल ही शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने विधानसभा चुनाव के लिए पंजाब के मुक्तसर जिले में लांबी सीट से उन्हें उम्मीदवार बनाया था.

प्रकाश सिंह बादल यह चुनाव भले हार गए थे, लेकिन देश में चुनाव लड़ने वाले सबसे उम्रदराज व्यक्ति होने के नाते रिकॉर्ड बुक में उनका नाम दर्ज हो गया. 1947 में बठिंडा जिले के बादल गांव के ‘सरपंच’ बनने के साथ शुरू हुए लंबे राजनीतिक करियर में यह उनकी 13वीं चुनावी लड़ाई थी.

वे हालांकि मुक्तसर जिले के लांबी के अपने गढ़ को नहीं बचा सके. सात दशक से अधिक के राजनीतिक करियर में यह उनकी केवल दूसरी हार थी.

पंजाब के पांच बार मुख्यमंत्री रह चुके बादल का मंगलवार को चंडीगढ़ के पास मोहाली के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया. सांस लेने में परेशानी होने के बाद उन्हें नौ दिन पहले ही अस्पताल में भर्ती कराया गया था. वह 95 वर्ष के थे.

पंजाब की राजनीति के दिग्गज नेता बादल पहली बार 1970 में मुख्यमंत्री बने और उन्होंने एक गठबंधन सरकार का नेतृत्व किया, जिसने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया. इसके बाद वह 1977-80, 1997-2002, 2007-12 और 2012-2017 में भी राज्य के मुख्यमंत्री रहे थे.

केंद्र सरकार ने बादल के निधन के मद्देनजर पूरे देश में दो दिन यानी 26 और 27 अप्रैल को राजकीय शोक की घोषणा की है.

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार देर रात सभी राज्यों को भेजे एक पत्र में कहा कि बादल का 25 अप्रैल को निधन हो गया और केंद्र सरकार ने फैसला किया है कि दिवंगत नेता के सम्मान में पूरे देश में 26 और 27 अप्रैल को दो दिनों का राजकीय शोक रहेगा.

पत्र में कहा गया है, ‘‘शोक के दिनों में, राष्ट्रीय ध्वज उन सभी भवनों पर आधा झुका रहेगा जहां नियमित रूप से राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है और इन दो दिनों में कोई सरकारी समारोह आयोजित नहीं होगा.’’

सबसे कम उम्र के CM

अपने राजनीतिक जीवन के आखिरी दौर में बादल ने अकाली दल की बागडोर बेटे सुखबीर सिंह बादल को सौंप दी, जो उनके अधीन पंजाब के उपमुख्यमंत्री भी बने.

प्रकाश सिंह बादल का जन्म आठ दिसंबर 1927 को पंजाब के बठिंडा के अबुल खुराना गांव में हुआ था. बादल ने लाहौर के फॉरमैन क्रिश्चियन कॉलेज से ग्रेजुएशन की पढ़ाई की.

उन्होंने 1957 में कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में मलोट से पंजाब विधानसभा में प्रवेश किया. 1969 में उन्होंने अकाली दल के टिकट पर गिद्दड़बाहा विधानसभा सीट से जीत हासिल की.जब पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री गुरनाम सिंह ने कांग्रेस का दामन थामा तो अकाली दल फिर से संगठित हो गया.

अकाली दल ने 27 मार्च, 1970 को बादल को अपना नेता चुना. इसके बाद अकाली दल ने जनसंघ के समर्थन से राज्य में सरकार बनाई. वह तब देश के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बने. यह बात दीगर है कि यह गठबंधन सरकार एक वर्ष से थोड़ा अधिक चली.

वर्ष 1972 में बादल सदन में विपक्ष के नेता बने, लेकिन बाद में फिर से मुख्यमंत्री बने. बादल के नेतृत्व वाली सरकारों ने किसानों के हितों पर अपना ध्यान केंद्रित किया. उनकी सरकार के महत्वपूर्ण निर्णयों में कृषि के लिए मुफ्त बिजली देने का फैसला भी शामिल था.

एसवाईएल के मुद्दे पर तीखे तेवर

अकाली दल के नेता प्रकाश सिंह बादल ने सतलुज यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर के विचार का कड़ा विरोध किया, जिसका उद्देश्य पड़ोसी राज्य हरियाणा के साथ नदी के पानी को साझा करना था.

इस परियोजना को लेकर एक आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए 1982 में उन्हें गिरफ्तार किया गया था. यह परियोजना पंजाब के निरंतर विरोध के कारण अभी तक लागू नहीं हो सकी है.

उनके नेतृत्व में राज्य विधानसभा ने विवादास्पद पंजाब सतलुज यमुना लिंक नहर (स्वामित्व अधिकारों का हस्तांतरण) विधेयक, 2016 पारित किया. यह विधेयक परियोजना पर तब तक की प्रगति को उलटने के लिए था.

उल्लेखनीय है कि अकाली दल, भाजपा के सबसे पुराने सहयोगियों में रहा है.हालांकि, केंद्र सरकार के विवादास्पद कृषि कानूनों के विरोध में वह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से अलग हो गया था. बाद में सरकार को ये कानून वापस लेने पड़े थे.

उनकी पार्टी ने 2020 में केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से अपना नाता तोड़ लिया.

प्रकाश सिंह बादल की पत्नी सुरिंदर कौर बादल की 2011 में कैंसर से मौत हो गई थी. उनका बेटा सुखबीर सिंह बादल और बहू हरसिमरत कौर बादल दोनों ही राजनीति में सक्रिय हैं.

एक युग का अंत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बादल के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि बादल ने न सिर्फ पंजाब की प्रगति के लिए अथक प्रयास किए, बल्कि देश के विकास में भी बहुत योगदान दिया.

पीएम मोदी ने ट्वीट किया, “प्रकाश सिंह बादल के निधन से अत्यंत दुखी हूं. वह भारतीय राजनीति के एक विशाल व्यक्तित्व और एक उल्लेखनीय राजनेता थे. उन्होंने हमारे राष्ट्र के विकास में बहुत योगदान दिया. उन्होंने पंजाब की प्रगति के लिए अथक प्रयास किया और महत्वपूर्ण समय के दौरान राज्य को नेतृत्व दिया.”

मोदी ने कहा, “मुझे उनसे कई बातचीत याद है, जिसमें उनकी बुद्धिमत्ता हमेशा स्पष्ट रूप से झलकती थी. उनके परिवार और अनगिनत प्रशंसकों के प्रति संवेदना.”

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी शोक जताते हुए कहा कि प्रकाश सिंह बादल का निधन भारतीय राजनीति के लिए अपूरणीय क्षति है. उन्होंने कहा कि बादल का बेमिसाल राजनीतिक अनुभव सार्वजनिक जीवन में बहुत मददगार साबित हुआ.

केंद्रीय गृह मंत्री ने ट्वीट किया, ‘‘वरिष्ठ राजनेता श्री प्रकाश सिंह बादल साहब का निधन अत्यंत दुखद है. कई दशकों का उनका राजनीतिक जीवन गरीबों के कल्याण के लिए समर्पित था. उनका निधन भारतीय राजनीति के लिए अपूरणीय क्षति है. मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और समर्थकों के साथ हैं.’’

शाह ने कहा कि वह सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें कई बार बादल से मिलने का मौका मिला.

शाह ने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘उनका अद्वितीय राजनीतिक अनुभव मेरे लिए सार्वजनिक जीवन में बहुत मददगार था और उन्हें सुनने में हमेशा आनंद आता था. उनके साथ मुलाकातों की यादें हमेशा मेरे साथ रहेंगी. ओम शांति शांति शांति.’’

वहीं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी बादल के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि वह माटी के लाल थे और हमेशा अपनी जड़ों से जुड़े रहे.

सिंह ने कहा, “श्री प्रकाश सिंह बादल जी एक कद्दावर राजनेता थे जिन्होंने कई दशकों तक पंजाब की राजनीति में महत्वपर्ण भूमिका निभाई. अपने लंबे राजनीतिक और प्रशासनिक जीवन में, उन्होंने किसानों और हमारे समाज के अन्य कमजोर वर्गों के कल्याण के लिए कई उल्लेखनीय योगदान दिए.”

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा, “पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल जी के निधन के बारे में सुनकर गहरा दुख हुआ. वह एक कद्दावर राजनीतिक शख्सियत थे, जिनका पंजाब के विकास में योगदान बहुत बड़ा है और उन्हें हमेशा याद किया जाएगा. उनके परिवार और समर्थकों के प्रति मेरी संवेदनाएं. ओम शांति.”

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी बादल के निधन पर दुख व्यक्त किया. उन्होंने एक ट्वीट में कहा, “पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल जी के निधन से काफी दुखी हूं. पंजाब ने एक महान दूरदर्शी नेता खो दिया है, जिन्होंने पंजाब के विकास में बहुत योगदान दिया. उनके परिवार के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं हैं.”

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, “बादल जी का जाना देश के लिए बहुत बड़ी क्षति है. देश की राजनीति में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है. बादल जी से मेरे स्नेह पूर्ण संबंध रहे हैं, मुझे हमेशा ही उनसे स्नेह मिला है. ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें और परिजनों को संबल दे.”

शोषित और वंचित वर्गों के लिए जीवनपर्यन्त संघर्ष

कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और विपक्ष के कई अन्य नेताओं ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के निधन पर गहरा शोक जताया और सार्वजनिक जीवन में उनके योगदान को याद किया.

खड़गे ने ट्वीट किया, “प्रकाश सिंह बादल जी भारतीय राजनीति के कद्दावर नेता थे. हालांकि, हमारे बीच वैचारिक मतभेद थे, उन्होंने अपनी सरलता और कार्यकर्ताओं के प्रति वफादारी के चलते पंजाब के लोगों में बहुत सम्मान अर्जित किया था. कई बार मुख्यमंत्री रहे. उनके परिजनों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं.”

राहुल गांधी ने ट्वीट किया, “पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के पूर्व अध्यक्ष सरदार प्रकाश सिंह बादल जी के निधन का समाचार दुखद है. वह आजीवन भारत और पंजाब की राजनीति के एक कद्दावर नेता रहे.”

उन्होंने कहा, “श्री सुखबीर सिंह बादल समेत उनके सभी शोकाकुल परिजनों और समर्थकों को अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं.”

राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने कहा, “बादल का निधन एक सफल राजनीतिक करियर पर से पर्दा उठाता है, जिसने पंजाब के लोगों की अथक समर्पण के साथ सेवा की. शोक संतप्त परिवार के सदस्यों और शिरोमणि अकाली दल पार्टी के सदस्यों के प्रति मेरी संवेदनाएं.”

दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा, “पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री सरदार प्रकाश सिंह बादल जी के निधन की बेहद दुखद जानकारी मिली. वाहेगुरू जी उनकी आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें. मेरी संवेदनाएं सुखबीर बादल जी एवं उनके पूरे परिवार के साथ हैं.”

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी प्रकाश सिंह बादल के निधन पर दुख जताया.

उन्होंने कहा, ‘‘श्री प्रकाश सिंह बादल एक वरिष्ठ एवं अनुभवी राजनेता थे. उन्होंने समाज के गरीब, कमजोर, शोषित और वंचित वर्गों के लिए जीवनपर्यन्त संघर्ष किया. पंजाब के मुख्यमंत्री तथा भारत सरकार के मंत्री के रूप में श्री बादल की सेवाओं को सदैव याद रखा जाएगा.’’

मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की शांति की कामना करते हुए शोक संतप्त परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की है.

समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट किया, ‘‘देश के वरिष्ठ राजनेता एवं पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री श्री प्रकाश सिंह बादल जी का निधन, अत्यंत दुखद! ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति व शोक संतप्त परिवार को संबल प्रदान करें. भावभीनी श्रद्धांजलि.’’

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने ट्वीट करके कहा, ‘‘काफी लंबा सम्मानित राजनीतिक सफर तय करने वाले शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक एवं पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री श्री प्रकाश सिंह बादल जी के आज निधन हो जाने की खबर अति-दुःखद. उनके परिवार व समस्त अनुयाइयों के प्रति मेरी गहरी संवेदना.’’

बादल के निधन के कुछ समय बाद अस्पताल ने मेडिकल बुलेटिन जारी किया, जिसमें उनकी बीमारी को लेकर विवरण था.

बुलेटिन के अनुसार, “पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री सरदार प्रकाश सिंह बादल को 16 अप्रैल 2023 को मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में तीव्र ब्रांकिअल अस्थमा के लक्षण के साथ भर्ती कराया गया था. उन्हें सांस लेने में हो रही तकलीफ के बाद 18 अप्रैल को आईसीयू में स्थानांतरित किया गया.”

इसमें कहा गया कि उन्हें ‘नॉन इवेसिव वेंटिलेशन’ और अन्य चिकित्सा प्रबंधन के साथ आईसीयू में ही रखा गया.

कार्डियोलॉजी द्वारा समर्थित पल्मोनोलॉजी और क्रिटिकल केयर टीम के साथ प्रोफेसर (डॉ.) दिगंबर बेहरा की निगरानी में उनके स्वास्थ्य का प्रबंधन किया जा रहा था.

बुलेटिन में कहा गया, “उचित चिकित्सीय प्रबंधन के बावजूद बीमारी के कारण उनका निधन हो गया.”

बादल अस्पताल की गहन चिकित्सा इकाई में थे और डॉक्टर उनकी स्वास्थ्य स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे थे. अस्पताल सूत्रों ने बताया कि मंगलवार को दिन में अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई.

(भाषा के इनपुट्स के साथ)


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