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Monday, 25 November, 2024
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मरीज बन कर चंडीगढ़ के अस्पताल पहुंचे स्वास्थ्य सचिव, ‘डॉक्टर—केमिस्ट नेक्सस’ की जांच के दिए आदेश

स्वास्थ्य सचिव पेट दर्द की शिकायत लेकर 56-वर्षीय मरीज ‘राजपाल’ बनकर शनिवार रात इमरजेंसी वार्ड में पहुंचे.

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चंडीगढ़: चंडीगढ़ के स्वास्थ्य सचिव यशपाल गर्ग ने सेक्टर-32 के गवर्नमेंट मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पताल (जीएमएसएच) में चल रहे डॉक्टर-केमिस्ट के कथित ‘नेक्सस’ की जांच के आदेश दिए हैं, जो मरीजों को महंगी दवाएं खरीदने के लिए मजबूर करता है.

स्वास्थ्य सचिव पेट दर्द की शिकायत लेकर 56-वर्षीय मरीज ‘राजपाल’ बनकर शनिवार रात इमरजेंसी वार्ड में पहुंचे.

उनकी रिपोर्ट में उल्लेख किया गया कि उन्हें अस्पताल में चल रहे एक संभावित डॉक्टर-केमिस्ट ‘नेक्सस’ की शिकायतें मिलीं, जिसकी जांच करने की ज़रूरत थी.

उन्होंने कहा कि जहां अधिकांश डॉक्टर कड़ी मेहनत कर रहे थे और नैतिकता के सभी मानदंडों, पेशेवर मानकों का पालन कर रहे थे, वहीं कुछ लोग इस कथित सांठगांठ में शामिल थे. फिलहाल, गर्ग ने कहा कि वे उन नामों का खुलासा नहीं कर रहे हैं.

रविवार को जारी रिपोर्ट में उन्होंने लिखा, “अधोहस्ताक्षरी ने 15.04.2023 की देर शाम, परिसर के भीतर GMSH16, केमिस्ट की दुकानों और इमरजेंसी वार्ड का दौरा किया. मैं वहां रात 10 बजे से 11 बजे के बीच करीब एक घंटे तक रहा. न तो अधोहस्ताक्षरी ने अपनी पहचान बताई और न ही कोई और उन्हें पहचान पाया. मेरा पीएसओ, सादे कपड़ों में, कुछ दूर से मेरा पीछा कर रहा था और कुछ तस्वीरें ले रहा था….”

इसमें आगे कहा गया, “तुलनात्मक रूप से भीड़ कम थी और लगभग 6 या 7 व्यक्ति कतार में मुझसे आगे खड़े थे. ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर के डेस्क तक पहुंचने के लिए मुझे करीब 10 मिनट का इंतज़ार कना पड़ा. उस दौरान, महिला सुरक्षा गार्ड ने व्हीलचेयर पर बैठे 2 रोगियों को (बिना कतार के) प्रवेश की अनुमति दी, जो उनकी ओर से सही प्रतीत हो रहा था.”

रिपोर्ट के मुताबिक, गर्ग ने पाया कि डॉक्टर ने चेक-अप के बिना एक सिरप लिख कर दे दिया, जो मेडिकल कॉलेज परिसर के भीतर तीन केमिस्ट की दुकानों पर तीन अलग-अलग कीमतों पर उपलब्ध था.

रिपोर्ट में आगे बताया गया, “पेट में दर्द की मौखिक शिकायत के आधार पर, डॉक्टर ने एक ओपीडी कार्ड फॉर्म तैयार किया और एक इंजेक्शन, एक सिरप ‘एमसीएआईएन’ लिख कर दिया. उन्होंने बताया कि इंजेक्शन वहां के पास के कमरे में दिया जाएगा और सिरप को केमिस्ट की दुकान से खरीदना होगा.”

गर्ग ने नोट किया कि डॉक्टर ने विशिष्ट ब्रांड तय किया हुआ था, जो पहले से दी जा रही दवा की तुलना में कम से कम 67 प्रतिशत महंगा था.

रिपोर्ट में कहा गया है, “अधोहस्ताक्षरी ने केमिस्ट शॉप 6 में जाकर प्रिस्क्रिप्शन दिखाया. ‘एमसीएआईएन’ का सिरप 225 रुपए में दिया गया. बिल मांगे जाने पर दुकानदार ने पहले तो मुझे घूरा और फिर 227 रुपए का बिल बना कर दे दिया. अधोहस्ताक्षरी ने कहा कि बिना मांगे ही बिल दे देना चाहिए था. दुकानदार ने जवाब दिया कि आम तौर पर लोग बिल नहीं मांगते हैं और अगर कोई मांगे तो यही बना कर दिया जाता है.”

स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि उसी डॉक्टर की उसी पर्ची पर दवा के दूसरे साल्ट के नाम जोड़ने के बाद, “अधोहस्ताक्षरी भी केमिस्ट शॉप 7 में गए और पर्चे दिखाए. ‘रिकेन’ नाम का 135 रुपये का सिरप दिया गया. यहां भी बिल के बारे में पूछे जाने पर दुकानदार ने पहले तो घूरा और फिर 135 रुपये का बिल बना दिया.”

‘राजपाल’ को केमिस्टों ने बताया कि विशिष्ट ब्रांड केवल एक केमिस्ट की दुकान पर उपलब्ध था, अन्य के पास नहीं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि डॉक्टर द्वारा यह सांठगांठ 2022 में जारी किए गए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के दिशानिर्देशों का उल्लंघन था, जो कि जेनेरिक दवाओं के साल्ट के बारे में था, इन दिशानिर्देशों को जनवरी में इन सभी हितधारकों को व्यापक रूप से प्रसारित किया गया था.

गर्ग ने निदेशक, स्वास्थ्य सेवाएं और चिकित्सा अधीक्षक की टिप्पणियों के साथ संबंधित डॉक्टर से स्पष्टीकरण मांगा है. उन्होंने ड्रग इंस्पेक्टर से केमिस्टों के आचरण पर रिपोर्ट देने को भी कहा है. दोनों रिपोर्ट 15 दिन के अंदर देनी होगी.

स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि तीनों केमिस्टों में से कोई भी दवाओं का बिल मांगने पर भी देने को तैयार नहीं था. उन्होंने कहा कि एक मामले में, दवा विक्रेता ने एक ही नंबर के दो अलग-अलग बिल जारी किए.

गर्ग ने इमरजेंसी वार्ड के पास कैंटीन का भी दौरा किया और बताया कि उन्होंने जो चाय का ऑर्डर दिया वे ताजा और अच्छी क्वालिटी की थी.

हालांकि, उन्होंने बताया कि कैंटीन और उसके आसपास सफाई के मुद्दे थे जिन्हें हल करने की ज़रूरत थी. उन्होंने एक सार्वजनिक मार्ग को खाली करने का भी आदेश दिया, जो खाली बक्सों और डिब्बों से अटा पड़ा था.

जनवरी में गर्ग को गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान बहादुरी के लिए प्रशस्ति पत्र दिया गया था. 2008 बैच के आईएएस अधिकारी चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड के प्रमुख भी हैं.

उन्होंने वहां आए एक मेहमान को एक सफल कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) दिया था, जो दिल के दौरे के कारण बैठक के दौरान उनके ऑफिस में बेहोश हो गया था.

(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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