प्रयागराज: स्थानीय लोगों और पुलिसकर्मियों में बहस और गर्म माहौल के बीच गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ के शवों को उनके नाबालिग बच्चों और रिश्तेदारों की उपस्थिति में रविवार देर रात प्रयागराज में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया.
कसारी मसारी कब्रिस्तान में दफ़नाने के बाद चकिया कॉलोनी में मुस्लिम समुदाय के सदस्यों में एक गम की भावनाएं देखी गई, जहां अतीक रहता था और उसका कार्यालय था. मुस्लिम परंपरा के मुताबिक, दोनों के अंतिम संस्कार में भाग लेने और मिट्टी देने के लिए वे बड़ी संख्या में लोग आए थे.
जबकि शवों को शाम 6 बजे तक कब्रिस्तान में लाया जा चुका था लेकिन अन्य सभी संस्कार किए जाने के बाद अंतिम संस्कार लगभग रात 9 बजे ही हो पाया. दफनाने से पहले, तीन डॉक्टरों के एक पैनल द्वारा शवों का पोस्टमार्टम किया गया था और इस पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की गई थी.
प्रयागराज पुलिस और रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) की कई टीमों को सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए मौके पर तैनात किया गया था. इस दौरान पुलिस और स्थानीय लोगों के बीच तीखी बहस भी हो गई, क्योंकि स्थानीय लोगों को कब्रिस्तान में प्रवेश करने से रोक दिया गया था.
दफनाने के लिए सैकड़ों स्थानीय लोगों के जमा होने के कारण, कई लोगों को पुलिस ने शाम 7 बजे के बाद मैदान में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी.
कुछ स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि पुलिस लोगों के जमा होने के लिए पर्याप्त जगह होने के बावजूद उन्हें कब्रिस्तान में प्रवेश करने से मना कर तनाव पैदा करने की कोशिश कर रही थी.
उस इलाके में रहने वाले मोहम्मद आरिफ ने दिप्रिंट को बताया, ‘मृत व्यक्ति को मिट्टी देना एक मुस्लिम का अधिकार है, लेकिन वे हमें ऐसा करने भी नहीं दे रहे हैं. हमें पहचान पत्र लाने के लिए कहा जा रहा है और जब हमने उन्हें अपना पहचान पत्र भी दिखाया तो उन्होंने अधिक भीड़ होने का दावा करते हुए हमें जाने से रोक दिया.’
एक अन्य निवासी मोहम्मद जीशान ने कहा, ‘वह (अतीक) फूलपुर से एक बार सांसद और पांच बार विधायक (इलाहाबाद पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र से) रह चुके थे, इसलिए स्वाभाविक है कि उन्हें जनता का प्यार मिलेगा. अगर इतने ही बुरे होते तो पांच बार विधायक नहीं बनते.’
जीशान ने आगे कहा, ‘चलो मान लेते हैं कि उसने गलत किया, लेकिन उसे सजा भी मिली ना?’
वहां मौजूद अन्य लोगों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने 100 लोगों की एक सूची तैयार की थी और केवल उन्हीं को मैदान के अंदर जाने की अनुमति दी गई थी, जबकि पुलिस ने कहा कि उन्होंने एक विशेष समय के बाद ही लोगों का प्रवेश बंद कर दिया था.
यह पूछे जाने पर कि लोगों को घटनास्थल में प्रवेश करने की अनुमति क्यों नहीं दी गई, प्रयागराज पुलिस के इंस्पेक्टर अनूप सिंह ने दिप्रिंट को बताया कि अधिकारियों ने एक विशेष समय के बाद प्रवेश बंद कर दिया था क्योंकि लगभग 150 लोग मौके पर जमा हो गए थे.
समाजवादी पार्टी (सपा) के पूर्व विधायक अतीक अहमद, जो हत्या से लेकर जबरन वसूली तक के कम से कम 130 मामलों में आरोपी थे, और उसके भाई अशरफ को शनिवार की रात मीडियाकर्मियों की भेष में आए तीन लोगों ने गोली मार दी थी. जिस वक्त अतीक और उसके भाई की हत्या हुई, उस वक्त पुलिस उसे चिकित्सा परीक्षण के लिए प्रयागराज अस्पताल ले गई थी.
पुलिस ने फायरिंग करने वालों की पहचान कासगंज के अरुण मौर्य, बांदा के लवलेश तिवारी और हमीरपुर के मोहित उर्फ सन्नी के रूप में की है. तीनों को रविवार को प्रयागराज की अदालत में पेश किया गया और 14 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया.
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एक-दूसरे को नहीं जानते आरोपी, बड़ी साजिश का शक
इन खबरों के बीच कि प्रयागराज पुलिस इस हत्या को कॉन्ट्रैक्ट किलिंग के एंगल से जांच कर रही है. पुलिस के एक अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि तीनों आरोपी यूपी के अलग-अलग जिलों से ताल्लुक रखते हैं और एक-दूसरे को नहीं जानते थे. यही वजह है कि पुलिस इसके पीछे एक बड़ी साजिश की संभावना की जांच कर रही है.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘हत्या से पहले तीनों ने मौके का मुआयना किया. उससे पहले तीनों एक होटल में रुके थे और उन्हें विदेशी हथियारों की आपूर्ति की गई. उन्हें फर्जी पहचान पत्र और कैमरे मुहैया कराए गए. इस घटना के लिंक की जांच की जा रही है और मास्टरमाइंड का पता लगाया जा रहा है.’
पुलिस के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि तीन शूटरों ने हत्या को अंजाम देने के लिए ‘मेड इन तुर्की’ पिस्तौल का इस्तेमाल किया. जिसमें एक ने जिगाना एफ (स्वचालित) और दूसरे ने गिरसन 9 एमएम पैराबेलम (रिगार्ड एमसी) पिस्तौल के साथ एक देसी 30 बोर पिस्तौल का इस्तेमाल किया था.
प्रयागराज के एक पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘आरोपियों के पास 6 लाख रुपये से 10 लाख रुपये के बीच के महंगे हथियार थे. इससे पता लगता है कि उन्हें हथियार मुहैया कराए गए थे और यह एक गहरी साजिश की ओर इशारा करता है.’
पुलिस के मुताबिक, तीन शूटरों में से मोहित उर्फ सन्नी सिंह एक खूंखार अपराधी और हिस्ट्रीशीटर था, जो सालों पहले अपना घर छोड़कर चुका है. लवलेश एक हिंदुत्ववादी संगठन का कार्यकर्ता था, जिसके पिता बांदा में ड्राइवर का काम करते हैं. जबकि अरुण मौर्य के पिता कासगंज में गोलगप्पे बेचते हैं.
उत्तर प्रदेश सरकार ने अतीक और उसके भाई की हत्या की जांच के लिए तीन सदस्यीय न्यायिक समिति का गठन किया है और उन्हें दो महीने के अंदर रिपोर्ट देने को कहा गया है.
रविवार को जारी एक बयान में राज्य के गृह विभाग ने कहा कि इस न्यायिक समिति की अध्यक्षता इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश अरविंद कुमार त्रिपाठी करेंगे. इस समिति में पूर्व न्यायाधीश बृजेश कुमार सोनी और पूर्व पुलिस महानिदेशक सुबेश कुमार सिंह शामिल होंगे.
(संपादन: ऋषभ राज)
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