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Thursday, 21 November, 2024
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बठिंडा मिलिट्री स्टेशन में 4 जवानों की हत्या करने वाला जवान गिरफ्तार, ‘शारीरिक शोषण’ के कारण जान ली

बठिंडा के एसएसपी गुलनीत सिंह खुराना ने दिप्रिंट को बताया कि इन हत्याओं में केवल 1 जवान शामिल था. घटना के उसी दिन एक दूसरे जवान की आत्महत्या को कथित हत्याओं से नहीं जोड़ा गया था.

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नई दिल्ली: इस महीने की शुरुआत में बठिंडा सैन्य स्टेशन में चार सैनिकों की हत्या के एकमात्र गवाह होने का दावा करने वाले सेना के एक जवान को पंजाब पुलिस ने रविवार को गिरफ्तार कर लिया. यह पता चला है कि जवान ने चार सैनिकों की हत्या करने की बात कबूल की है और उन पर कुछ समय तक ‘शारीरिक रूप से प्रताड़ित’ करने का आरोप लगाया है.

बठिंडा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) गुलनीत सिंह खुराना ने दिप्रिंट को बताया, ‘कुर्ता-पायजामा में दो संदिग्धों को देखने का दावा करने वाले एकमात्र गवाह गनर देसाई मोहन को रविवार रात गिरफ्तार कर लिया गया. उन्हें आज [सोमवार] अदालत में पेश किया जाएगा.’

यह पूछे जाने पर कि मोहन ने कथित रूप से चारों को क्यों मारा, खुराना ने कहा कि जवान ने दावा किया कि चारों द्वारा उसका ‘शारीरिक शोषण’ कुछ समय तक किया जा रहा था. उन्होंने कहा कि सेना अपनी कोर्ट ऑफ इंक्वायरी कर रही है जबकि पुलिस भी समानांतर जांच कर रही है.

एसएसपी खुराना ने कहा कि घटना के दिन ही एक अन्य जवान द्वारा की गई आत्महत्या को कथित हत्याओं से नहीं जोड़ा गया था और केवल मोहन ही इसमें शामिल था.

यह घटना 12 अप्रैल को हुई थी, जब पंजाब के बठिंडा मिलिट्री स्टेशन में फायरिंग की घटना में चार सैनिकों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जिसे फ्रेट्रिकाइड का मामला माना जा रहा था.

हालांकि सेना ने आधिकारिक तौर पर दावा किया था कि इस घटना में कुर्ता-पायजामा पहने दो अज्ञात संदिग्ध शामिल थे, जो गवाह के बयान पर आधारित था. दिप्रिंट ने तब भी रिपोर्ट किया था कि यह संदिग्ध फ्रेट्रिकाइड का मामला था.

जैसा कि बताया गया है, पुलिस को मोहन के गवाह के बयान पर विश्वास नहीं हुआ, क्योंकि यह घटना और कही जा रही कहानी आपस में जुड़ नहीं रही थी.


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पोस्टमार्टम में खुलासा, चारों को इंसास रायफल से गोली मारी गई’

80 मीडियम रेजीमेंट के मेजर आशुतोष शुक्ला द्वारा दायर एक प्राथमिकी के अनुसार, गनर मोहन ने हत्या के बाद कुर्ता-पायजामा में दो नकाबपोश लोगों को देखने का दावा किया था. गोलियों की आवाज सुनकर मोहन ने ही मेजर शुक्ला को इसकी जानकारी दी. दिप्रिंट के पास एफआईआर की कॉपी है.

मोहन, जो एकमात्र चश्मदीद गवाह था, ने अपने वरिष्ठ अधिकारी को बताया कि अज्ञात हमलावरों में से एक इंसास (इंडियन स्मॉल आर्म्स सिस्टम) राइफल ले जा रहा था, जबकि दूसरे के पास कुल्हाड़ी थी.

हालांकि, पोस्टमॉर्टम से पता चला था कि मारे गए चार सैनिकों में से किसी को भी कुल्हाड़ी से कोई चोट नहीं आई थी और सभी को इंसास राइफल से गोली मारी गई थी.

सेना के सूत्रों ने स्वीकार किया था कि यह मामला लक्षित हत्याओं में से एक लगता है जिसमें संदिग्ध या संदिग्धों ने विशेष रूप से चारों पर हमला किया था.

(संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)


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