नई दिल्ली: बिहार के नवादा की सीट छिनने के बाद गिरिराज सिंह को लेकर बड़ी ख़बर आ रही है. कहा जा रहा है कि वह उन्हें मिली बेगूसराय की नई सीट पर चुनाव लड़ने से मना कर रहे हैं. ये ख़बर कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (सीपीआई) द्वार जेएनयू वाले कन्हैया कुमार को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद आई है. दरअसल, सीपीआई के टिकट पर कन्हैया बेगूसराय से चुनाव लड़ने वाले हैं और माना जा रहा है कि वो सिंह के लिए कड़ी चुनौती साबित होंगे.
गिरिराज के मना करने के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए बेगूसराय की सीट पर मुश्किल स्थिति खड़ी हो गई है. सूत्र बता रहे हैं कि पार्टी नेताओं से बातचीत में नाराज़गी जताते हुए सिंह ने कहा है कि जब किसी केंद्रीय मंत्री की सीट नहीं बदली गई तो उनकी क्यों बदली गई और वो भी उन्हें विश्वास में लिए बिना.
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सीट छिनने के बाद से सिंह ने मीडिया को इस बारे में कोई सीधा बयान नहीं दिया है. लेकिन एक रीट्वीट में उनका मिजाज़ झलकता है. चौकीदार बबलू कुमार के जिस ट्वीट को सिंह ने रीट्वीट किया है उसमें एक मीडिया रिपोर्ट के हवाले से लिखा है, ‘नवादा लोकसभा से केंद्रीय मंत्री गिरिराज जी को उम्मीदवार नहीं बनाए जाने से दुखी हैं ग्रामीण महिलाएं. कहा जिसने चरखा चलाकर जीना सिखाया उन्हें ही हटा दिया गया. गिरिराज दादा यही आपकी सबसे बड़ी उपलब्धि है. आप जहां भी रहें महादेव आपको शक्ति प्रदान करते रहें.’ इस ट्वीट से आप गिरिराज सिंह की मनोदशा साफ समझ सकते हैं.
नवादा लोकसभा से केंद्रीय मंत्री @girirajsinghbjp जी को उम्मीदवार नहीं बनाए जाने से दुखी हैं ग्रामीण महिलाएं। कहा जिसने चरखा चलाकर जीना सिखाया उन्हें ही हटा दिया गया। गिरिराज दादा यही आपकी सबसे बड़ी उपलब्धि है। आप जहाँ भी रहें महादेव आपको शक्ति प्रदान करते रहें। pic.twitter.com/X75d8Y5SWJ
— Chowkidar Babloo Kumar (@BablooK51802696) March 20, 2019
उम्मीदवार बनाए जाने के बाद के पहले ट्वीट में कन्हैया ने लिखा, ‘आम जन की भावना का ध्यान रखते हुए हमारी पार्टी ने देशहित में कट्टरवादी सोच के प्रतिनिधि और केंद्र सरकार के मंत्री गिरिराज सिंह के ख़िलाफ़ बेगूसराय से चुनाव लड़ने का फ़ैसला किया है.’ गिरिराज सिंह पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि ये लड़ाई ‘सच और झूठ’ तथा ‘हक़ और लूट’ के बीच है, ‘कट्टर सोच और युवा जोश’ के बीच है.
आम जन की भावना का ध्यान रखते हुए हमारी पार्टी ने देशहित में कट्टरवादी सोच के प्रतिनिधि और केंद्र सरकार के मंत्री गिरिराज सिंह के ख़िलाफ़ बेगूसराय से चुनाव लड़ने का फ़ैसला किया है। ये लड़ाई ‘सच और झूठ’ तथा ‘हक़ और लूट’ के बीच है। ये लड़ाई 'कट्टर सोच और युवा जोश' के बीच है। pic.twitter.com/i4SyKz6Gxr
— Kanhaiya Kumar (@kanhaiyakumar) March 24, 2019
एक और ट्वीट में उन्होंने लिखा, ‘साझी लड़ाई तो एकजुट होकर ही जीती जा सकती है. जन संघर्ष के इस नए मोर्चे पर हर बार की तरह इस बार भी आपका सहयोग मिलेगा, इस बात की मुझे उम्मीद ही नहीं, बल्कि पूरा यकीन है.’ आपको बता दें कि पहले महागठबंधन द्वारा कन्हैया को साझा उम्मीदवार बनाए जाने की संभावना थी. लेकिन लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल कुमार की उम्मीदवारी के ख़िलाफ़ थी. बताया जा रहा है कि तेजस्वी अपने सामने किसी युवा नेता को उभरते हुए नहीं देखना चाहते जो आगे जाकर उनके लिए ख़तरा बन जाए.
दिप्रिंट ने पहले ही ये जानकारी दे दी थी कि नवादा से सिंह का पत्ता कटने वाला है और उन्हें बेगूसराय से लड़वाया जाएगा. हमने ये भी बताया था कि ये लड़ाई कन्हैया बनाम गिरिराज सिंह की होगी. एक जानकारी ये भी है कि महागठबंधन बेगूसराय सीट से एक बार फिर मुस्लिम उम्मीदवार तनवीर हसन को उतार सकता है. हसन ने मोदी लहर में भी इस सीट पर अच्छा प्रदर्शन किया था.
बीबीसी के रिपोर्ट के मुताबिक पिछले चुनाव में एक तरफ जहां बीजेपी के भोला सिंह को क़रीब 4.28 लाख वोट मिले थे, वहीं आरजेडी के तनवीर हसन को 3.70 लाख वोट मिले थे. दोनों में करीब 58 हज़ार वोटों का अंतर था. ऐसे में आरजेडी का एक तर्क ये भी है कि जिस सीट को वो मोदी लहर की वजह से कुछ हज़ार वोटों से हारे थे उसे वो लेफ्ट के लिए क्यों छोड़ दें.
सिंह और कुमार के अलावा हसन के चुनाव लड़ने की संभावना से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. एक तरफ तो भूमिहारों का गढ़ माने जाने वाली इस सीट पर गिरिराज और कन्हैया दोनों के भूमिहार होने से इनके वोट बंट जाएंगे. वहीं, 13.71 प्रतिशत मुसलमानों को भी अपनी बिरादरी से आने वाले हसन और लेफ्ट के उम्मीदवार कन्हैया के बीच चुनने में थोड़ी परेशानी आ सकती है क्योंकि बेगूसराय को लेफ्ट का भी गढ़ माना जाता है.
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एक और बड़ी बात ये है कि अपने इस गृह नगर में पिछले एक-डेढ़ साल में कन्हैया ने ज़मीनी स्तर पर लोगों से जुड़ने का काम किया है, वहीं गिरिराज सिंह ने एक सांसद के तौर पर जो भी काम किया है वो नवादा में किया है. ऐसे में अगर वो इस नई सीट पर जाते हैं तो देखने वाली बात होगी कि वोटरों को कैसे लुभाने की कोशिश करते हैं. इन सारी बातों की वजह से इस सीट पर कौन जीतेगा ये बताना संभव नहीं रह गया है और अगर गिरिराज इस सीट पर लड़ने को मान जाते हैं तो ये 2019 आम चुनाव के सबसे दिलचस्प मुकाबलों में से एक होगा.
बिहार के चुनाव में एक तरफ नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) है. इसमें शामिल पार्टियों में बीजेपी के पास 17, नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के पास 17 और राम विलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी के पास छह सीटें हैं. वहीं, महागठबंधन में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के पास 20, कांग्रेस के पास 9, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के पास 5, हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (हम) के पास 3, विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के पास 3 और आरजेडी कोटा से माले को एक सीट दी गई है. बिहार में लोकसभा की कुल सीटों की संख्या 40 है.