पीआईबी की फैक्ट-चेक की पहल सेंसरशिप की तरफ ले जाने वाली है. यह सरकार का डोमेन नहीं है. जब सब कुछ ऑनलाइन है तो फर्जी कंटेंट भी हर तरफ मौजूद है. या तो सच से मुकाबला किया जाए या अदालत का रुख. मध्यस्थ प्लेटफार्मों से कंटेंट को हटाने के लिए सरकार के पास अनियंत्रित शक्ति नहीं होनी चाहिए.