चंडीगढ़/नई दिल्ली: खालिस्तानी अमृतपाल सिंह को आखिरी बार होशियारपुर के एक गांव में दिखे दस दिन से ज्यादा का समय बीत चुका है. लेकिन पुलिस को वारिस पंजाब दे के मुखिया के नए ठिकाने की अभी तक कोई जानकारी नहीं मिली है. अमृतपाल 18 मार्च से फरार है.
पंजाब पुलिस के शीर्ष सूत्रों का कहना है कि ऐसा लगता है कि अमृतपाल फिर से उत्तर प्रदेश में छिप गया है, क्योंकि पीलीभीत और लखीमपुर खीरी इलाकों के सिखों में उसके कुछ समर्थक हैं.
मार्च के अंत तक अमृतपाल की ओर से एक भी बात सामने नहीं आई थी, लेकिन हाल ही में उसने एक ऑडियो और दो वीडियो क्लिप जारी कर अकाल तख्त के जत्थेदार (प्रमुख) से बैसाखी पर सिख समुदाय के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए सरबत खालसा, या सिखों की आम सभा बुलाने की अपील की थी.
इस बीच, सरबत खालसा के बारे में कोई भी चर्चा न करते हुए अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने गुरुवार को घोषणा की कि बैसाखी के आसपास हर साल होने वाली तीन दिवसीय धार्मिक सभा (समागम) 12-15 अप्रैल तक तख्त दमदमा साहिब में आयोजित की जाएगी. बैसाखी इस साल 14 अप्रैल को है.
जबकि जत्थेदार अमृतपाल की सरबत खालसा बुलाने की मांग पर चुप्पी साधे हुए हैं – जिसे अकाल तख्त के वर्चुअल ना के रूप में देखा जा रहा है – अन्य सिख निकायों ने भी इस आह्वान का विरोध किया है.
कट्टरपंथी सिख संगठन दल खालसा ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर कहा कि इस मामले पर सिख निकायों के बीच एकता की कमी के कारण सरबत खालसा आयोजित करने का सही समय नहीं था.
दल खालसा के महासचिव कंवर पाल सिंह ने कहा, “हमारा मानना है कि सरबत खालसा आयोजित करने के लिए न तो माहौल अनुकूल है और न ही इसके लिए कोई आधार है.”
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (DSGMC) के प्रमुख हरमीत सिंह कालका ने भी बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें कहा गया कि अकाल तख्त के जत्थेदार को जो भी फैसला लेना है, वह DSGMC सहित अन्य सिख निकायों के साथ परामर्श के बाद ही लिया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि सरबत खालसा आमतौर पर तब कहा जाता है जब पूरा सिख समुदाय टूट रहा होता है, लेकिन अभी ऐसा दिखाई नहीं दे रहा है.
पंथ सेवक कलेक्टिव के सदस्यों ने भी इस कदम का विरोध किया. बुधवार को जालंधर में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए. कलेक्टिव के दलजीत सिंह ने कहा, “सरबत खालसा का मतलब सिखों का जमावड़ा करना नही है. इसके बुलाए जाने में एक प्रक्रिया शामिल है. सिख पंथ के प्रतिनिधि एक विशिष्ट एजेंडे के लिए इसमें भाग लेते हैं. ”
अमृतपाल की मांग में सिर्फ सिख धार्मिक संगठनों को ही नहीं बल्कि पुलिस को भी परेशानी नजर आई.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, अमृतपाल को पकड़ने के लिए बनाई गई विशेष टीम का हिस्सा, नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, “वह एक और वीडियो संदेश जारी कर सकता है जब यह स्पष्ट हो जाए कि सरबत खालसा नहीं बुलाया जा रहा है. लेकिन उसके बाद क्या? हमें विश्वास है कि उसे बैसाखी से पहले गिरफ्तार कर लिया जाएगा.”
बैसाखी से पहले अमृतपाल के पंजाब लौटने की उम्मीद में, पुलिस की कई टीमें राज्य भर के बस स्टैंडों और सैकड़ों डेरों पर नजर रख रही हैं.
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अमृतपाल की तलाश
अमृतपाल, अपने गुरु पपलप्रीत सिंह के साथ, 27 मार्च को होशियारपुर में पुलिस को चकमा देने में कामयाब रहा था – यह दूसरी बार था जब कट्टरपंथी उपदेशक पुलिस को चकमा देने में कामयाब रहा.
18 मार्च को, जब पंजाब पुलिस ने अमृतपाल और उसके आदमियों पर जबरदस्त कार्रवाई की थी, तब वह भागने में सफल रहा था. हालांकि, बड़ी संख्या में उसके करीबी सहयोगियों को गिरफ्तार किया गया था.
पुलिस के मुताबिक, अमृतपाल और पपलप्रीत पीलीभीत के एक डेरा तक पहुंचने में कामयाब रहे, जहां से वे 27 मार्च को पंजाब लौट आए और नडाला के एक गांव के गुरुद्वारे में शरण ली.
पुलिस सूत्रों ने कहा कि नडाला गुरुद्वारा के प्रमुख गुरमीत सिंह अकाल तख्त के जत्थेदार से संपर्क करने और अमृतपाल द्वारा संभावित आत्मसमर्पण के लिए बातचीत करने की कोशिश कर रहे थे.
हालांकि, इससे पहले कि कोई आत्मसमर्पण कर पाता, पुलिस ने 27 मार्च को गांव पर धावा बोल दिया, लेकिन अमृतपाल और पपलप्रीत एक इनोवा में भागने में सफल रहे. पीछा करने के बाद दोनों ने होशियारपुर के मरनियां कलां गांव में वाहन को छोड़ दिया.
कार 28 मार्च को बरामद हुई थी और उसके चालक जोगा सिंह को 31 मार्च को लुधियाना के पास साहनेवाल से गिरफ्तार किया गया था.
पुलिस ने कहा कि पपलप्रीत और अमृतपाल दोनों मरनियां कलां गांव में अलग हो गए. 29 मार्च को मरनियां के पास एक गुरुद्वारे के अंदर से पपलप्रीत का सीसीटीवी फुटेज भी पुलिस को मिला था.
हेबियस कॉर्पस पेटीशन
वारिस पंजाब दे ने गुरुवार को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में एक अवकाश पीठ के समक्ष कई हेबियस कॉर्पस पेटीशन दायर कीं, जिसमें आरोप लगाया गया कि अमृतपाल के चाचा हरजीत सिंह सहित कम से कम पांच सहयोगियों को पंजाब पुलिस द्वारा असम के डिब्रूगढ़ में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में लिया गया था.
पीठ ने वारिस पंजाब दे के वकील इमान खारा से सवाल किया कि जब अभियुक्तों के ठिकाने का पता था तो हेबियस कॉर्पस पेटीशन कैसे सुनवाई योग्य थी. जेल अधीक्षक को नाम से याचिकाओं में पक्षकार बनाने के लिए वकील खारा पर भी यह भारी पड़ा.
पीठ ने अधिवक्ता से असम जेल अधिकारियों से किसी भी राहत के लिए या तो सुप्रीम कोर्ट या असम में हाई कोर्ट जाने के लिए कहा.
अमृतपाल सिंह के संबंध में खारा द्वारा दायर एक अन्य हेबियस कॉर्पस पेटीशन के साथ ही ये याचिकाएं अब 11 अप्रैल को सुनवाई के लिए आएंगी.
संपादन : पूजा मेहरोत्रा
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