चंडीगढ़: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की रविवार को एक न्यायाधीश पर की गई टिप्पणी से राजनीतिक विवाद छिड़ गया है, विपक्ष ने उन पर “हाईकोर्ट के न्यायाधीश के कामकाज में हस्तक्षेप करने और उन्हें धमकाने की कोशिश करने” का आरोप लगाया है.
कथित तौर पर खट्टर ने जिले के अपने तीन दिवसीय दौरे के पहले दिन भिवानी के खड़क कलां गांव में जनता से बात करते हुए यह टिप्पणी की, जिसका एक वीडियो तब से वायरल हो गया है.
वीडियो में, सीएम को किसी को आश्वासन देते हुए सुना जा सकता है: “वो हल हो जाएगी, चिंता मत करो. एक जज है. उसके माथे में कुछ गड़बड़ है. ठीक करेंगे उसको.”
खट्टर का आश्वासन जनता के कुछ सदस्यों की प्रतिक्रिया के रूप में आया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि हालांकि सरकार ने नौकरी दी थी, कुछ अदालती मामलों में फंस गए थे. यह दावा करते हुए कि उनकी सरकार ने पिछले आठ वर्षों में, 1 लाख से अधिक नौकरियां दी हैं, जिनमें से 10,000 सफल उम्मीदवार भिवानी से थे और 40 उस गांव से थे, खट्टर पूछते हैं, “मुझे बताएं कि क्या किसी को नौकरी पाने के लिए एक पैसा भी देना पड़ता है .”
खट्टर कहते हुए सुने गए, “पांच में से तीन हज़ार शामिल हो गए ना? बाकि जो दो हजार बच्चे हैं, उस मामले में भी कोर्ट का फैसला जल्दी करवा लेंगे.”
हालांकि सीएम ने यह नहीं बताया कि वह किस भर्ती का जिक्र कर रहे हैं, कांग्रेस महासचिव और राज्यसभा सदस्य रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया है कि वह हरियाणा पुलिस में कांस्टेबलों की भर्ती के बारे में बात कर रहे थे, जिस पर पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में मामला लंबित है.
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कांग्रेस प्रतिक्रिया देती है
प्रेस नोट में जारी कर सुरजेवाला ने खट्टर की टिप्पणी को अहंकारी और एक ‘हस्तक्षेप’ करार दिया, और कहा कि उन्होंने हाई कोर्ट के एक न्यायाधीश के खिलाफ ‘धमकी देने वाली भाषा’ का इस्तेमाल किया. उन्होंने मांग की कि खट्टर न्यायपालिका से माफी मांगें. दिप्रिंट के पास प्रेस नोट की एक प्रति है.
सुरजेवाला ने यह भी कहा कि मुख्य न्यायाधीश को न्यायपालिका को प्रभावित करने और डराने की कोशिश करने के लिए खट्टर के खिलाफ अदालत की अवमानना का नोटिस जारी करना चाहिए.
उन्होंने कहा, “न्यायपालिका के लिए खट्टर द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली भाषा उनकी पार्टी और सरकार के शर्मनाक और अहंकारी आचरण, चरित्र और चेहरे को दर्शाती है. अगर मुख्यमंत्री अपने बयान के लिए माफी नहीं मांगते हैं तो उन्हें तत्काल उनके पद से बर्खास्त कर देना चाहिए.”
सुरजेवाला के अनुसार, खट्टर की भाषा भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के न्यायपालिका के जुनून का सबूत थी.
कांग्रेस नेता ने कहा, “केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू सुप्रीम कोर्ट को हर दिन लगातार कोसते रहते हैं और रिटायर हो चुके न्यायाधीशों को धमकी देते हैं. अब खट्टर ने हरियाणा में यह भूमिका संभाल ली है.”
उन्होंने कहा कि जब हरियाणा सेवा चयन आयोग (एचएसएससी) के अध्यक्ष ने खुद यह कहा है कि कांस्टेबल पदों के लिए 833 उम्मीदवारों के बायोमेट्रिक्स का मिलान नहीं किया जा सका, तो न्यायपालिका को कैसे दोषी ठहराया जा सकता है?
सुरजेवाला ने पूछा, “2019 में शुरू हुई कोई भर्ती प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हो सकी तो यह सरकार की गलती है या न्यायपालिका की?”
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