नई दिल्ली: अगर टीवी पर दिख रहे विज्ञापन और ब्रांड किसी खेल या टूर्नामेंट के बारे में कुछ बताते हैं, तो हाल ही में खत्म हुए महिला प्रीमियर लीग के ओवरों के बीच में आने वाले विज्ञापन भी बाजार में महिलाओं के खेल के प्रति बढ़ रहे विश्वास और विज्ञापन की दुनिया में आ रहे जेंडर से जुड़े बदलाव की कहानी बताते हैं. जब पेप्सी और कोक जैसे बड़े और जाने माने ब्रांड भारत में क्रिकेट टूर्नामेंटों से दूरी बना लेते हैं, तो यह इस बात को भी दर्शाता है कि पैसे और एक ऐसे खेल जो कि भारत में अभी शुरू ही हुआ है, उसके बीच कितनी दूरी है.
डब्ल्यूपीएल के दौरान दिखाए जा रहे अधिकतर विज्ञापनों में और ज्यादातर ब्रांडों ने इसे महिला दिवस का अभियान जैसा बना दिया था.
आयोजकों ने इवेंट के पहले एडिशन में 35 आधिकारिक विज्ञापनदाताओं को शामिल किया, जिनमें ज्यादातर महिला केंद्रित ब्रांड जैसे नव्यासा, मिया बाय तनिष्क, वेगा ब्यूटी और लोटस हर्बल्स शामिल थे. यहां तक कि प्यूमा और टाटा सफारी जैसे जेंडर न्यूट्रल ब्रांड भी डब्ल्यूपीएल को महिला-केंद्रित अभियान जैसा दिखाने के लिए साथ आये.
हालांकि, विज्ञापनदाताओं ने टूर्नामेंट में नए उत्पादों या बड़े अभियानों को लॉन्च नहीं किया जो शायद ये खेल का आयोजन जो अभी शुरू हो रहा है में कम विश्वास को दिखाता है.
अभी तक ऐसा कोई डेटा उपलब्ध नहीं है जो WPL दर्शकों की संख्या का लिंग विभाजन को बताता हो. विज्ञापन विशेषज्ञों ने इससे पहले कहा था कि यह सिर्फ एक धारणा थी कि टूर्नामेंट अधिक महिला दर्शकों को टेलीविजन की ओर आकर्षित करेगा. यही कारण है कि टूर्नामेंट महिला-केंद्रित ब्रांडों के लिए लोकप्रियता हासिल करने का एक और मंच बन गया.
गुरुग्राम की एक कंपनी चेल इंडिया के सीनियर एडवरटाइजर अर्नब दत्ता चौधरी ने कहा कि “महिला केंद्रित अभियानों में आई तेज़ी से पता चलता है कि कैसे विज्ञापनदाताओं ने टूर्नामेंट को सिर्फ एक खेल आयोजन के रूप में नहीं देखा. आईपीएल को एक सामान्य टूर्नामेंट के साथ साथ व्यापक पहुंच के रूप में भी देखा जाता है. जबकि डब्ल्यूपीएल के लिए लोगों ने सोचा कि दर्शक केवल महिला सशक्तिकरण के आसपास केंद्रित सामग्री को देखने में रुचि रखते हैं. वे इसे एक सार्वभौमिक पहुंच वाले मंच के रूप में नहीं देखते थे.”
अनुभवी विज्ञापनकर्ता और सलाहकार शुभो सरकार ने कहा कि महिला-केंद्रित अभियानों का समय -समय पर बदलना विज्ञापनदाताओं की प्रवृत्ति के लिए भी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. चूंकि पहली बार भारत में इस तरह का महिला क्रिकेट टूर्नामेंट आयोजित किया जा रहा है, इसलिए महिलाओं को अधिक से अधिक जोड़ने के लिए ये अच्छा मौका था. यदि यह एक मिक्स-टीम लीग होती तो विज्ञापन समानता, भागीदारी के आसपास केंद्रित होती.
उन्होंने आगे कहा, “यह हमेशा एक विज्ञापनदाता की प्रवृत्ति होती है कि वह सबसे लोकप्रिय और नए फैक्टर को उठाए और उसी को प्रदर्शित करे.”
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सबसे मशहूर अभियान
खुद को महिला प्रीमियर लीग का ‘गर्व’ और आधिकारिक भागीदार बताते हुए टाटा सफारी ने अपने विज्ञापनों में नाइके जैसी भाषा का इस्तेमाल किया, जिसमें आत्मविश्वास से भरी महिलाओं को दिखाया गया है. जो अपनी कार जैसी तेज़ गति से दुनिया पर राज करने के लिए तैयार हैं. उनके अभियान और विज्ञापन क्रिकेट के इर्द-गिर्द केंद्रित नहीं थे, बल्कि वह उन महिलाओं को भी इसमें दिखा रहे थे जो विभिन्न खेलों में हैं.
हिमालय के 360-डिग्री के #NotFair विज्ञापन ने एक सीनियर एडवरटाइजमेंट प्रोफेशनल का ध्यान आकर्षित किया. बैंगलोर के खिलाड़ियों ने अपने हेलमेट पर #NotFair लिखकर मैदान पर उतरे. हिमालय ने बाद में बताया कि महिलाएं हिमालया रोज फेसवॉश के बारे में बात कर रही थीं, जो कहता है कि सुंदरता रंग के बारे में नहीं है और इसी के साथ उन्होंने अच्छे प्लान को अंजाम दिया.”
सरकार ने डब्ल्यूपीएल के दौरान विज्ञापन देने वाले ब्रांडों के स्टेटस में अंतर को भी रेखांकित किया. जिसमें कुछ एड-टेक स्टार्टअप और अंतरराष्ट्रीय ब्रांड थे.
सीनियर एडवरटाइजमेंट प्रोफेशनल ने कहा कि टूर्नामेंट के समय सॉफ्ट ड्रिंक के ब्रांडों को इससे दूर रखा, भले ही उनकी विज्ञापन दरें आईपीएल की तुलना में बहुत सस्ती थीं. उन्होंने कहा पेप्सी जैसे ब्रांड के लिए महिलाओं पर केंद्रित एक अभियान शुरू करने का यह सही अवसर हो सकता था, लेकिन सॉफ्ट ड्रिंक का मौसम अभी आया नहीं है, इसलिए लगता है कि कोला ब्रांडों ने भाग नहीं लिया है.
सरकार ने बताया कि पुराने ब्रांड एक्सपेरिमेंटल आयोजनों से दूर रहते हैं और नकदी-संकट वाली अर्थव्यवस्था में वे इस बात को लेकर और भी अधिक सचेत हैं कि अपना पैसा कहां खर्च किया जाए. ऐसा नहीं है कि पुराने ब्रांड पूरी तरह से अनुपस्थित थे, लेकिन वे आम तौर पर अपना पैसा किसी ऐसी चीज पर खर्च नहीं करेंगे जिसे आजमाया और परखा न गया हो. विज्ञापन स्लॉट सस्ते थे, लेकिन किसी को नहीं पता था कि कितने विज्ञापन लोगों की आंखो को भाएंगे.
ओपनिंग सीजन को प्रोत्साहित करना
महिला-संचालित अभियानों ने विज्ञापन की दुनिया में अपनी जगह बना ली, सोनाटा सॉफ्टवेयर, ड्रीम 11, जेएसडब्ल्यू पेंट्स, अपार इंडस्ट्रीज, एमपीएल स्ट्राइकर, गोनॉइस, कुछ जेंडर नूट्रल ब्रांड थे जिन्होंने टूर्नामेंट के दौरान विज्ञापन किया.
टाटा महिला प्रीमियर लीग एक बहुत बड़ी हिट साबित हुई. वायाकॉम द्वारा एक प्रेस रीलीज़ के अनुसार इसमें 10 मिलियन से अधिक नए दर्शकों की संख्या बढ़ी है जो दुनिया में किसी भी महिला खेल टूर्नामेंट के लिए सबसे ज्यादा है. जिओ सिनेमा ऐप पर मुफ्त में स्ट्रीम किए जाने वाले मैचों का औसत देखने का समय प्रति उपयोगकर्ता 50 मिनट था.
इसके उलट अकेले इंडियन प्रीमियर लीग के टीवी दर्शकों की संख्या पिछले साल 22.9 करोड़ थी. दर्शकों की संख्या में अंतर का विज्ञापन दरों पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा. जबकि आईपीएल के दौरान 10 सेकंड के विज्ञापन स्पॉट की कीमत 10-15 लाख रुपये के बीच हो सकती है. डब्ल्यूपीएल विज्ञापन स्पॉट कथित तौर पर 1-1.25 लाख रुपये में बेचे गए थे.
हालांकि, विज्ञापनदाताओं ने कहा कि टूर्नामेंट के पहले एडिशन के लिए प्रतिक्रिया उत्साहजनक थी और किसी भी तरह से इंडियन प्रीमियर लीग की तुलना नहीं की जा सकती.
सरकार ने कहा, “आईपीएल का यह पंद्रहवां सीज़न है लेकिन महिला लीग के लिए यह पहला था. लेकिन इसका भविष्य उज्ज्वल दिख रहा है. फ्रेंचाइजी खेल न केवल क्रिकेट में बल्कि भारत में एक जबरदस्त सफलता रही है. इस साल की लोकप्रियता अब भविष्य में ब्रांड्स के लिए ब्लूप्रिंट का काम करेगी.”
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