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Friday, 22 November, 2024
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‘वनवास खत्म’ 16 साल तक किया संघर्ष अब बिहार के शिवहर में पहुंचेगी छुक छुक गाड़ी

शिवहर में रेल की मांग काफी पुरानी है. बीते कई साल से शहर के युवा और बुद्धिजीवी रेल की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे थे. बीते 28 फरवरी को रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने परियोजना के लिए 566.83 करोड़ राशि आवंटित की.

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नई दिल्ली: क्षेत्रफल की दृष्टि से बिहार का सबसे छोटा जिला शिवहर, जिला बनने के लगभग 30 साल बाद ट्रेन की सीटी सुनने को आतुर है. लेकिन शिवहर के निवासियों का चेहरा उस वक्त चहक उठा, जब केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कई वर्षों से प्रस्तावित इस परियोजना के लिए राशि का आवंटन किया.

केंद्रीय रेल मंत्री ने सीतामढ़ी से मोतिहारी भाया शिवहर नई रेल लाईन के प्रथम चरण में सीतामढ़ी से शिवहर तक 28 किलोमीटर नई रेल लाईन निर्माण के लिए 566.83 करोड़ राशि आवंटित की. इसमें सिविल इंजीनियरिंग के लिए 506.90 करोड़, जनरल इलेक्ट्रिकल के लिए 6.56 करोड़, इलेक्ट्रिकल टीआरडी के लिए 24.05 करोड़, एस एंड टी के लिए 27.09 करोड़, मैकेनिकल के लिए 2.22 करोड़ व सीआरएम के लिए 0.005 करोड़ रुपये के लिए आवंटित किए गए हैं.

ट्रेन की सीटी सुनने के लिए लंबा संघर्ष

शिवहर के निवासी ट्रेन की सीटी सुनने के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं. शिवहर निवासी सामाजिक कार्यकर्ता और ‘संघर्षशील युवा अधिकार मंच’ के संस्थापक मुकुंद प्रकाश मिश्र, जो लंबे समय से शिवहर में रेलवे के लिए संघर्ष कर रहे हैं, ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा, ‘आज हमारे लिए बहुत ही खुशी का दिन है. यह हमारे वर्षों के संघर्ष का परिणाम है.’

बता दें कि  ‘संघर्षशील युवा अधिकार मंच’ शिवहर के युवाओं और बुद्धिजीवियों का एक संगठन है जो बीते कई सालों से रेल परियोजना के लिए आंदोलन कर रहा था. संगठन के प्रमुख मुकुंद प्रकाश मिश्र कहते हैं, ‘हम लगभग 6-7 सालों से शहर में रेल के लिए आंदोलन कर रहे थे, लेकिन न ही सरकार और न ही जनप्रतिनिधि इस पर ध्यान दे रहे थे.’

एक टेम्पू पर छपे पोस्टर में रेलवे की मांग | फोटो: विशेष प्रबंधन

2007 में मिली थी स्वीकृति 

सीतामढ़ी से मोतिहारी भाया शिवहर रेल परियोजना को सबसे पहली बार साल 2007 में स्वीकृति मिली थी. रेलवे की ओर से इस परियोजना के लिए लगभग 24 करोड़ रुपए स्वीकृत भी किए थे. 2007 के ही अक्टूबर में शिवहर में तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव ने इस परियोजना के सर्वे कार्य का शिलान्यास भी किया था. उसके बाद वित्त वर्ष 2017-18 के बजट में इसके लिए 100 करोड़ रुपए आवंटित भी किए गए थे. साल 2017 में मुकुंद प्रकाश मिश्र ने सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) के तहत रेलवे बोर्ड से परियोजना से संबंधित जानकारी भी मांगी थी. मुकुंद ने रेलवे से पूछा था कि 24 करोड़ रुपए कहां खर्च किए गए और परियोजना का रोडमैप क्या है ? इसका जवाब देते हुए रेल मंत्रालय ने कहा कि मोतिहारी-सीतामढ़ी भाया शिवहर रेल लाइन को साल 2006-07 के रेलवे बजट में शामिल किया गया था.

इस परियोजना के 1006.75 करोड़ रुपए के डिटेल्ड एस्टिमेट के जांच के सिलसिले में सक्षम प्राधिकारी ने परियोजना के नकारात्मक प्रतिफल दर एवं आसन्न क्षेत्र में उपलब्ध रेलवे मार्ग के मद्देनजर परियोजना के क्रियान्वयन को स्थगित कर दिया गया है.

रेलवे बोर्ड के इस जवाब के बाद शिवहर में आंदोलन और तेज हो गया था. इसके बाद मुकुंद प्रकाश मिश्र ने पटना हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसके बाद पटना हाईकोर्ट ने इसी साल फरवरी में रेलवे बोर्ड को चार हफ्ते के अंदर परियोजना के संबंध में जवाब देने का निर्देश दिया था. उसके बाद सांसद रमा देवी ने संसद में भी शिवहर में रेलवे की मांग उठाई थी. इसी बीच बीते 28 फरवरी को रेलवे ने इस नई रेल परियोजना के लिए राशि आवंटित कर दी.

बता दें कि शिवहर का नजदीकी जिला सीतामढ़ी और मुजप्फरपुर है जहां रेलवे की सुविधा उपलबद्ध है.


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‘कांग्रेस सरकार ने लटकाई परियोजना’

शिवहर की बीजेपी सांसद रमा देवी ने परियोजना पर खुशी व्यक्त करते हुए लिखा, ‘आज का दिन शिवहर के लिए काफी ज्यादा खास एवं ऐतिहासिक है क्योंकि मेरे लगातार प्रयास के बाद आज सीतामढ़ी से मोतिहारी भाया शिवहर नई रेल लाईन निर्माण का रास्ता साफ हुआ है. आज माननीय रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव जी द्वारा सीतामढ़ी से मोतिहारी भाया शिवहर रेल लाईन के पहले फेज मे सीतामढ़ी से शिवहर तक 28 किलोमीटर नई रेल लाईन निर्माण के लिए 566.83 करोड़ रुपये की स्वीकृति प्रदान की गई है.’

सांसद ने आगे लिखा, ‘वर्ष 2006-07 की यह परियोजना है, जिसे कांग्रेस सरकार ने अपने कार्यकाल में अधर में लटका के रखा एवं पूरा नहीं किया. सीतामढ़ी से मोतिहारी रेल परियोजना के जैसी बिहार में रेलवे की ऐसी कई परियोजनाएं है जिसे यूपीए सरकार में सिर्फ घोषणा किया गया.’

लोगों ने बताया सामूहिक प्रयास का फल

शिवहर में रेल परियोजना के लिए राशि के आवंटन का स्थानीय लोगों ने स्वागत किया. शिवहर निवासी रवि रंजन ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा, “देश की आजादी के 75 साल से ऊपर हो चुके हैं, लेकिन आज तक शिवहर में रेल नहीं आ पाई. हमारा जिला बिहार का सबसे छोटा और सबसे पिछड़े जिलों में से एक है. बाढ़ ग्रस्त होने के साथ साथ रोजगार की काफी कमी है. रोजगार की कमी के कारण यहां पलायन काफी अधिक है. रेलवे के आने से जिले का विकास होगा, लोगों को आवागमन की सुविधा मिलेगी और रोजगार के साधन खुलेंगे.”

उन्होंने आगे कहा, ‘लेकिन हमें संतुष्टि तब मिलेगी जब जमीन पर काम शुरू होगा. कहीं यह यह चुनावी जुमला तो नहीं है. सरकार ने इससे पहले भी एक बार पैसे का आवंटन किया था लेकिन काम शुरू नहीं हो पाया था.’

हालांकि रवि रंजन को उम्मीद है कि इस बार काम शुरू हो सकता है.

वो कहते हैं, “यह शिवहरवासियों की जीत तो है ही, साथ ही हाईकोर्ट के आदेश का भी प्रभाव है.”

शिवहर निवासी पेशे से पत्रकार और शिवहर रेलवे आंदोलन पर करीब से नजर रखने वाले गोविंद प्रकाश मिश्र कहते हैं, “शिवहर में रेलवे की जरूरत बहुत दिनों से थी. लोग बराबर इसकी मांग कर रहे थे. लेकिन जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण यह परियोजना अभी तक लटका रहा. आज जनप्रतिनिधि इसका श्रेय लेने के लिए आगे आ रहे हैं लेकिन यह शिवहर के लोगों के आंदोलन का परिणाम है.”

बिहार का सबसे छोटा जिला

शिवहर बिहार का सबसे छोटा जिला है. बीते साल बिहार सरकार द्वारा जारी की गई आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में शिवहर बिहार का सबसे पिछड़ा जिला भी था. साल 2011 की जनगनणा के मुताबिक शिवहर की जनसंख्या 656,246 थी. साल 2019-20 में जिले की प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 0.19 लाख रुपए थी. बागमती और बूढ़ी गंडक के बीच होने के कारण यह बाढ़ प्रभावित इलाका है. यहां खेती के अलावा रोजगार का कोई साधन नहीं है जिसके कारण यहां के लोग रोजी-रोटी के लिए दूसरे राज्यों में पलायन करते हैं.

साल 1994 से पहले यह सीतामढ़ी का एक अनुमंडल हुआ करता था, लेकिन 1994 में इसे जिला बना दिया गया. साल 2018 तक शिवहर में डिग्री कॉलेज भी नहीं था लेकिन बाद में यहां डिग्री कॉलेज की स्थापना हुई. इसी साल जनवरी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शिवहर में इंजीनियरिंग कॉलेज का उद्घाटन किया था.


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