नई दिल्ली: पूर्व चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने शनिवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा से अयोग्यता को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर जमकर हमला बोला. किशोर ने कहा कि पार्टी को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की लाइन ‘छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता’ याद रखनी चाहिए.
अपनी ‘जन सुराज यात्रा’ के बीच बिहार के सारण जिले में प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित कर रहे किशोर ने कहा कि उन्हें लगता है कि एक आपराधिक मानहानि मामले में दो साल की सजा बहुत अधिक है.
उन्होंने कहा, ‘राजनीति में लोग इस तरह के बयान और टिप्पणियां करते रहते हैं. भाजपा के मित्रों और समर्थकों को उनके नेता अटल जी की कही एक अद्भुत बात याद रखनी चाहिए और बड़ा दिल दिखाना चाहिए. अगर अदालत ने फैसला किया होता तो भी (लोकसभा) सदस्यता नहीं छीनी जानी चाहिए थी. उन्हें (राहुल को) उच्च न्यायालयों में जाने का अवसर दिया जाना चाहिए था.’
गुरुवार को सूरत की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने वायनाड से तत्कालीन लोकसभा सांसद गांधी को एक आपराधिक मानहानि मामले में दो साल की जेल की सजा सुनाई थी. यह मामला 2019 के आम चुनाव से पहले एक रैली में की गई राहुल गांधी की टिप्पणी से संबंधित है.
हालांकि, अदालत ने उन्हें जमानत दे दी और 30 दिनों के लिए सजा को निलंबित कर दिया ताकि उन्हें उच्च न्यायालय में अपील करने की अनुमति मिल सके.
उनकी सजा के एक दिन बाद, लोकसभा सचिवालय ने एक बुलेटिन में कहा कि राहुल गांधी उनकी सजा की तारीख से लोकसभा के सदस्य के रूप में अयोग्य हैं.
प्रशांत किशोर राहुल गांधी के समर्थन में अपनी बात रखने वाले विपक्षी नेताओं और दलों में शामिल हो गए.
प्रशांत किशोर अभी जन-सुराज यात्रा पर हैं. उन्होंने अपनी 3,500 किलोमीटर की पदयात्रा 2 अक्टूबर को पश्चिम चंपारण जिले के भितिहरवा में गांधी आश्रम से शुरू की थी, जहां महात्मा गांधी ने 1917 में पहला सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया था.
इस कदम को किशोर के बिहार की राजनीति में प्रवेश का अग्रदूत करार दिया जा रहा है.
‘बेपरवाह’ कांग्रेस
किशोर – जिन्होंने पहले कांग्रेस के साथ काम किया है और पिछले साल अप्रैल तक कांग्रेस के साथ बातचीत कर रहे थे. उन्होंने कहा कि कांग्रेस अभी भी इस बात से बेखबर है कि वह किसके खिलाफ है.
प्रशांत किशोर ने कहा, ‘जहां तक कांग्रेस का संबंध है, वे निराश हैं. वह ठीक है. लेकिन आप एक राजनीतिक दल हैं. आज भी, कांग्रेस में ज्यादातर लोग यह नहीं समझते हैं कि वे किसके खिलाफ हैं. आप केवल दिल्ली में संसद तक मार्च करके और ट्वीट करके इस लड़ाई को नहीं लड़ सकते.’
उन्होंने कहा, ‘राजनीतिक झगड़े गांवों में, जमीन पर, गलियों में और बूथों पर लड़े जाते हैं.’
उन्होंने आगे कहा कि अगर आपको यह लड़ाई लड़नी है तो आपको जमीन पर, गांवों में और सड़कों पर उतरना होगा.
पूर्व चुनाव रणनीतिकार ने कहा कि मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ विपक्ष की लड़ाई चुनाव परिणामों में दिखाई देनी चाहिए.
किशोर ने कहा, ‘उस समय तक, कोई भी आपको गंभीरता से नहीं लेगा.’
उदाहरण के तौर पर, उन्होंने कर्नाटक में आगामी चुनावों के बारे में बात की. भाजपा से लड़ने वाली किसी भी विपक्षी पार्टी को पहले पार्टी की ताकत को समझना चाहिए और दीर्घकालिक रणनीति बनानी चाहिए.
प्रशांत किशोर ने कहा, ‘यह घटना (राहुल गांधी की सजा और अयोग्यता) आज हुई है. दो महीने बाद कर्नाटक में चुनाव हैं. अगर कर्नाटक में बीजेपी जीतती है तो पूरा देश मानेगा कि (बीजेपी की तरफ) कोई मुद्दा नहीं था. और अगर आप (कांग्रेस) कर्नाटक में भाजपा को हराते हैं तो लोग आप पर विश्वास करेंगे और आपसे जुड़ेंगे.’
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