scorecardresearch
Tuesday, 19 November, 2024
होममत-विमतचोकसी की कहानी बताती है कि कानूनी तंत्र ने लुटेरों के पुराने गढ़ों को अमीर अपराधियों का अड्डा कैसे बना दिया है

चोकसी की कहानी बताती है कि कानूनी तंत्र ने लुटेरों के पुराने गढ़ों को अमीर अपराधियों का अड्डा कैसे बना दिया है

कैरिबियाई लुटेरों की उस मदमस्त दोपहर को बीते 500 साल से ज्यादा हो चुके हैं लेकिन कहानी खत्म नहीं हुई है. यह मेहुल चोकसी की कहानी को असाधारण बनाती है.

Text Size:

यह 1688 की बात है. फ्रांसीसी युद्धपोत ‘डेविल’ के कैप्टन विलियम किड एंटिगुआ द्वीप पर एक मधुशाला में बैठे लाईम जूस, अंडे की ज़र्दी, जायफल के साथ रम के जोशीले गिलासों के मजे लेते हुए अगले हमले की योजना बना रहे थे. मनोरम मेरी गालान्ते द्वीप पर फ्रांसीसी एनक्लेव को वे क्रिसमस के अगले दिन अपने लोगों को भेंट करना चाहते थे. ‘डेविल’ पर काला झंडा फहराते हुए किड के नाविक दल के लोग गहने, मवेशी, गुलामों, मोलासेस, कपड़े वगैरह पर कब्जा करने में भीड़ गए थे.

किड के लुटेरों के लिए एक ही कानून था— “लूट नहीं, तो वेतन नहीं.”

कैरिबियाई लुटेरों की उस मदमस्त दोपहर को बीते 500 साल से ज्यादा हो चुके हैं लेकिन कहानी खत्म नहीं हुई है. आज दुनिया के विशाल बैंक और अंतरराष्ट्रीय कानून व्यवस्था लुटेरों के पुराने गढ़ों को सुपर अमीर अपराधियों के पनाहगाहों के रूप में बनाए रखने में जुटे हुए हैं.

इस सप्ताह खबर आई कि हीरों का व्यापारी मेहुल चोकसी को इंटरपोल की ‘वाचलिस्ट’ (उन अपराधियों की सूची जिन्हें इंटरपोल के सदस्य देशों को देखते ही गिरफ्तार करना जरूरी है) हटा दिया गया है. इससे पहले चोकसी ने एंटिगुआ की अदालत में अर्जी देकर दावा किया था कि भारत की खुफिया संस्था ‘रॉ’ ने उसका अपहरण कर लिया है ताकि उसे भारत लाकर उस पर मुकदमा चलाया जा सके.

यह कहानी सिर्फ इसमें घटी हुई घटनाओं के कारण असाधारण नहीं है बल्कि इसलिए है यह लूट के उन आधुनिक गढ़ों की विचित्र दुनिया पर रोशनी डालती है जिन्हें तोड़ने के लिए किसी देश की सरकार तैयार नहीं दिखती है.

लूट की विफल कोशिश

लाखों फिल्में हमें बता चुकी हैं कि मनमौजी सेक्स कैरिबियन में लुटेरों की रीति का हिस्सा था. लेकिन इस कहानी से हैरतअंगेज़ कामुकता का तत्व निकाल दिया गया है. 1655 में, मार्गरेट हीथकोट ने अपने भाई, कनेक्टिकट के पवित्रतावादी गवर्नर को पत्र में लिखा था कि “में किसी से इतना प्यार नहीं करती कि विदेश चली जाऊं. वे सब समलैंगिकों की जमात हैं.”

एंटिगुआ पर नज़र रखने वाले एक समकालीन प्रेक्षक ने कहा था, “वे इस ब्रह्मांड के समलैंगिक हैं.”

वैसे, चोकसी की कहानी आम कैरिबियायी हॉलिडे के रूपक के साथ शुरू हुई. 23 मई 2021 को देर शाम चोकसी एंटिगुआ के उत्तरी छोर पर स्थित एक वीला की ओर बढ़ रहा था. वह लंदन से आए हंगरी के एक नये युवा रियल एस्टेट कारोबारी को डिनर पर ले जाने की योजना बना रहा था. पुलिस की एक जांच रिपोर्ट में दर्ज किया गया है कि हीरे के व्यापारी चोकसी के सिर पर अचानक एक मास्क डाल दिया गया और “एक व्हीलचेयर से बांध कर उसका उसका मुंह बांध दिया गया”.

उसकी महिला मित्र ने जिस विला को किराये पर लिया था उसके पिछवाड़े खड़ी एक छोटी नाव में चोकसी को डाल कर समुद्र में जाने वाले याट ‘कैलियोपे ऑफ आर्ने’ में बैठा दिया गया. चंद घंटों में सीबीआइ का एक चार्टर्ड बिजनेस जेट चोकसी को प्रत्यर्पित करने के लिए डोमिनिका पर उतर गया.

चोकसी के अपहरण की खबर लोकल मीडिया में छा गई. राजनीतिक विपक्ष उत्तेजित हो गया. उच्च स्तरीय कानूनी कार्रवाई के बाद चोकसी को एंटिगुआ लौटा लाया गया और सीबीआइ को अपने देश लौटना पड़ा.

इस अपहरण के समय ये पांच लोग एंटिगुआ में मौजूद थे—सेंट किट्स में राजनयिक गुरदीप बाथ, और ब्रिटेन के निवासी बारबरा जाराबिक, गुरजीत भंडल, और लेस्ली फार्रो-गाइ. इन सबको पूछताछ के लिए बुलाया गया. ‘दप्रिंट’ के पास उपलब्ध दस्तावेज़ बताते हैं कि इस महीने के शुरू में एंटिगुआ के हाइकोर्ट जज मारिसा रॉबर्टसन ने यह पता करने के लिए और सुनवाई की थी कि द्वीप देश की पुलिस मामले की अच्छी तरह से जांच कर रही है या नहीं. बताया जाता है कि जाराबिक को अबू धाबी में गिरफ्तार कर लिया गया है.

चोकसी के वकीलों का दावा है कि ‘रॉ’ ने अपहरण रचा, लेकिन इस दावे के पक्ष में अब तक सबूत कमजोर ही हैं. वैसे, बाथ और भारतीय राजनीतिक तंत्र के आंकड़ों के बीच संबंध सर्वविदित है. 2019 में, बाथ के अब निजी ट्विटर एकाउंट पर पोस्ट की गई एक फोटो में वह कैरीबियन कम्यूनिटी की एक बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ दिख रहा है. यह समुदाय कैरीबिया के 15 देशों और आश्रितों का संगठन है.

दिखावा प्रेमी इस व्यवसायी ने एक बार अपनी लक्जरी कार को चित्रों से रंग डाला था और उस पर लिखवा दिया था— ‘रेंज रोवर चीट्स ऐंड लाइज़’. हालांकि भारतीय राजनयिक बाथ से अच्छी तरह परिचित हैं लेकिन इस बात के सबूत नहीं हैं कि वह किसी गलत काम में शामिल रहा है.

‘रॉ’ ने लुटेरों वाला कायदा अपनाया या नहीं और उसमें नाकाम रहा, इसके सबूतों के लिए जांच पूरी होने का इंतजार करना पड़ेगा. हालांकि देशों की ओर से अपहरण की कार्रवाई कोई अजूबा नहीं है लेकिन भारत ने ऐसा किया इसकी जानकारी भविष्य के प्रत्यर्पण प्रयासों में एक अनुशासित पात्र के तौर पर उसकी साख को धूमिल करेगी.


यह भी पढ़ेंः अमेरिका के ऊपर चीनी गुब्बारा एक चेतावनी- अंतरिक्ष से जासूसी को रेग्युलेट करने का समय आ गया है


जेल से छुड़ाने वाला पासपोर्ट

एंटिगुआ और डोमिनिका की ताकतवर हस्तियों ने चोकसी का समर्थन क्यों किया इसके कारणों की सावदाहनी से जांच की जानी चाहिए. भारत से फरार होने से पहले चोकसी ने ‘निवेश करो, नागरिकता पाओ’ (सीबीआइ) धंधे के तहत 2 अरब डॉलर का निवेश करके एंटिगुआ की नागरिकता हासिल की थी. सेंट किट्स के प्रधानमंत्री डेंज़िल डगलस द्वारा शुरू की गई इन योजनाओं में भारी संपत्ति वालों को ऐसा पासपोर्ट जारी किया गया था जो उन्हें वीसा के बिना ब्रिटेन और यूरोप समेत 100 से ज्यादा देशों की यात्रा करने की सुविधा प्रदान करता था.

विशेषज्ञ एन मार्लोवे द्वारा की गई आधिकारिक जांच बताती है कि ब्रिटेन और यूएई की जिन कंपनियों ने इस तरह की नागरिकता बेचने में महारत हासिल की है वे अर्जी देने वालों से ज्यादा पूछताछ नहीं करती थीं. एक मामला ऐसा भी हुआ कि सेंट किट्स के करीब 5000 पासपोर्टों को इसलिए वापस लेना पड़ा क्योंकि उनमें पासपोर्ट धारक के जन्मस्थान का कोई जिक्र नहीं था.

संसाधन से वंचित एंटिगुआ जैसे देश अपनी एक वास्तविक संपत्ति से इस तरह किराया उगाहते थे. एक विचित्र किस्म का मामला यह था कि एंटिगुआ के प्रधानमंत्री वेरे बर्ड जूनियर ने एंटिगुआ की छोटी बहन जैसे बारबुदा द्वीप का आधा हिस्सा खरीदने की, भगोड़े फाइनांशियर रॉबर्ट वेस्को की योजना का कथित रूप से समर्थन किया था. यह वेस्को को पूरी तरह अपने स्वामित्व वाला अपना देश ‘सॉवरेन ऑर्डर ऑफ न्यू अरागोन’ बनाने की छूट मिल जाती.

दुनिया भर के रसूख वाले लोग इन लुटेरे द्वीपों के बेहद उदार बैंकिंग गोपनीयता क़ानूनों के कारण उनकी ओर खिंचे चले आते हैं. फ़ेलोन्स पॉल बिल्ज़ेरियन और रोजर वर ने सेंट किट्स की खातिर अमेरिका की अपनी नागरिकता छोड़ दी. अवैध मार्केटस्थल सिल्क रोड के संस्थापक रॉस उल्ब्रिख्त को 2013 में जब गिरफ्तार किया गया तब वह डोमिनिका की नागरिकता हासिल करने की कोशिश कर रहा था.

दस साल पहले, चोकसी की तरह जतिन मेहता की तलाश भारत में बैंक घोटाला करने के लिए की जा रही थी और उसने सेंट किट्स का पासपोर्ट हासिल कर लिया था. सीबीआइ अब तक यह पता नहीं लगा पाई है कि मेहता उस द्वीप में है या नहीं.

कैरीबिया के मानदंडों के हिसाब से एंटिगुआ का रुख कोई अजूबा नहीं था. दूसरे संसाधनों से वंचित देश अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था—जिसमें सभी को समान संप्रभुता हासिल है—को ही संसाधन के रूप में इस्तेमाल करते थे. निवेश के एवज में नागरिकता और क्षेत्र के अपने गोपनीयता कानून एक ही मकसद को पूरा करते हैं. वह है— फीस लेकर धन को देशों की पहुंच से दूर करना.

आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) ने कैरीबियाई देशों पर अपने तटीय शरणस्थलों को बंद करने का दबाव डाला मगर जॉर्ज बुश की सरकार ने उसे नाकाम कर दिया. अर्थशास्त्री वॉन जेम्स ने लिखा है कि अमेरिका ने कहा कि वह टैक्स दरें निश्चित करने के किसी वैश्विक प्रयास का समर्थन नहीं करेगा.

लुटरों की किस्मत

जैसा कि लुटेरों की कहानी में होता है, कैप्टन किड के लिए उलटी घटनाएं घटीं. 1701 की गर्मियों में उसे लंदन में टेम्स नदी के किनारे फांसी दे दी गई, तब वह बुरी तरह नशे में था. उसकी सड़ती हड्डियां कई वर्षों तक लटकती दिखती रहीं. ईस्ट इंडिया कंपनी ने मुगल बादशाह मुहि अल-दीन मुहम्मद औरंगजेब को खुश करने के लिए उसकी बलि दी थी क्योंकि बादशाह अपने कीमती पोतों की लूट से काफी परेशान था.

उस साल बाद में, किड के खजाने—“सोना-चांदी और कुछ हीरों, रूबी, और अन्य बेशकीमती चीजों”– को 5,500 पाउंड में नीलाम कर दिया गया. सबसे बड़े हीरे ‘ब्रिस्टल स्टोन’ को 25 पाउंड में नीलाम किया गया. किड के खजाने का बड़ा हिस्सा कभी ढूंढा न जा सका.

19वीं सदी के मध्य से शाही ब्रिटेन ने दुनिया भर में लुटेरों पर हमला बोला. लूटपाट ने एटलांटिक पार होने वाले व्यापार पर बेहिसाब बोझ डाल दिया. स्थानीय आर्थिक हितों को काफी लंबा और अक्सर खूनी संघर्ष करना पड़ा लेकिन देशों की नौसैनिक ताकत के आगे लुटरों का दुस्साहस नहीं टिक पाया.

चोकसी भारतीय अदालतों से कन्नी कटाने में भले सफल हुआ हो, भावी आर्थिक अपराधियों के लिए हालत कठिन होने वाले हैं. टैक्स स्वर्गों के खिलाफ लोगों का गुस्सा बढ़ रहा है, कोविड के कारण दबाव पहले से बढ़ा हुआ है. इन सब कारणों से पश्चिमी देश कैरीबिया के लुटेरे देशों पर दबाव बढ़ा सकते हैं. यूक्रेन युद्ध ने दिखा दिया है कि वित्त व्यवस्था कुटिल शासनों के लिए पैसे का हेरफेर करने वालों के प्रति असहिष्णु होती जा रही है.

यह नामुमकिन दिख सकता है लेकिन मुंबई के मोटे हीरा व्यापारी का नाम इतिहास में शायद कैरीबिया का आखिरी लुटेरे के रूप में दर्ज होगा.

(प्रवीण स्वामी दिप्रिंट के नेशनल सिक्योरिटी एडिटर हैं. उनका ट्विटर हैंडल @praveenswami है. व्यक्त विचार निजी हैं.)

(इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: भारत-पाकिस्तान के लिए यूक्रेन युद्ध का सबक यही है कि अब कोई युद्ध छोटा नहीं होगा


share & View comments