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Friday, 22 November, 2024
होमदेशएयर इंडिया पेशाब मामला : पीड़ित महिला SC पहुंचीं, बेकाबू यात्रियों के लिए गाइडलाइन्स की मांग की

एयर इंडिया पेशाब मामला : पीड़ित महिला SC पहुंचीं, बेकाबू यात्रियों के लिए गाइडलाइन्स की मांग की

उन्होंने कहा कि केबिन क्रू ने 'जूते, ड्राई-क्लीनिंग, आदि की लागत की भरपाई' के लिए उक्त शख्स को उनका मोबाइल फोन नंबर देने की 'सुविधा' दी. उन्हें उसी सीट पर बैठाया, जो कि गीली थी और पेशाब की बदबू आ रही थी.

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नई दिल्ली : 72 साल की बुजुर्ग महिला जिन पर पिछले साल नवंबर में न्यूयॉर्क-दिल्ली उड़ान के दौरान कथित तौर पर नशे में धुत शख्स ने पेशाब कर दिया था, सुप्रीम कोर्ट पहुंची हैं और मांग की हैं कि वह डीजीसीए और सभी एयरलाइन्स को, बेकाबू यात्रियों से निपटने के लिए मैंडेटरी स्टैंडर्ड प्रक्रिया और जीरो टॉलरेंस नियम बनाने के निर्देश दे.

हेमा राजरमन ने ‘बेकाबू/नुकसानदेह व्यवहार को लेकर नगर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) को सीएआर में जीरो टॉलरेंस नीति शामिल करने की मांग की है, जो कानून प्रवर्तन को रिपोर्ट करना जरूरी हो, इसमें नाकाम होने पर सभी मामलों में एयरलाइन्स के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.

याचिका में कहा गया है, ‘प्रतिवादी संख्या 2 (डीजीसीए) को निर्देश दे कि डीजीसीए की मई 2017 की बनी नागरिक उड्डयन आवश्यकताएं (सीएआर) को ‘शराबीपन’ या ‘शराब पीने’ को विमान में उदण्ड/नुकसानदेह व्यवहार माना जाना चाहिए.’

यचिका में कहा गया है कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय और डीजीसीए एसओपी बनाए और हवाई अड्डों और विमानों में अनियंत्रित/नुकसानदेह व्यवहार से निपटने के लिए एयरलाइन कंपनियों से कानून के तहत आवश्यक संचालन नियमावली बनाना तय करे व यह सुनिश्चित करे कि डीजीसीए के मानदंडों का पालन किया जाए.

आरोपी शंकर मिश्रा को 26 नवंबर, 2022 में इस घटना में, जिसे फ्लाइट के बिजनेस क्लास में महिला पर पेशाब करने को लेकर 6 जनवरी को बेंगलुरू से गिरफ्तार किया गया था. आरोपी को बाद में जमानत दे गई थी.

याचकिा में कहा गया है कि वास्तव में, केबिन क्रू ने ‘जूते, ड्राई-क्लीनिंग, आदि की लागत की भरपाई’ करने के लिए उक्त शख्स को उनका मोबाइल फोन नंबर देने की ‘सुविधा’ दी. उन्होंने कहा कि, ‘उन्हें उसी सीट पर बैठाया गया, जो गीली थी और पेशाब की बदबू आ रही थी.’

याचिका में कहा गया है कि उसकी पीड़ा तब बढ़ गई जब चालक दल ने ‘उन्हें उस यात्री के साथ समझौता करने के लिए मजबूर किया, जिसने उस पर पेशाब किया था.’

उन्होंने कहा, ‘वह घटना की पीड़ा से लगातार जूझ रही थीं.’

याचिका में मंत्रालय और डीजीसीए को ‘यात्रियों और एयरलाइन कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर भारतीय विमानों के लिए अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में शराब नीति पर दिशा-निर्देश बनाने, यात्रा की कटेगरी के आधार पर बिना किसी भेदभाव के शराब की लिमिट तय करने के लिए निर्देश की मांग की गई है.’

याचिका में कहा गया है, ‘वह डीजीसीए को अपने यात्री चार्टर में संशोधन करने के लिए निर्देश दे ताकि स्टाफ द्वारा किसी भी प्रकार के दुर्व्यवहार पर यात्रियों के अधिकारों को जोड़ा जा सके, जिसमें लोकपाल के माध्यम से पीड़ितों के लिए निवारण तंत्र और मुआवजे के पैरामीटर भी शामिल हों.’

याचिका में 6 फरवरी को राज्यसभा में पेश किए गए आंकड़ों का हवाला दिया गया है, जिसमें दिखाया गया है कि केवल 63 बेकाबू यात्रियों को ‘नो फ्लाई’ लिस्ट में रखा गया था.

याचिका में कहा गया है कि कई और घटनाएं होंगी जिन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, ‘दुनिया के तीसरे सबसे बड़े हवाई ट्रैफिक और 132 हवाई अड्डों के साथ, भारत को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि उसके घरेलू और विदेशी यात्री न्यूनतम सुरक्षा के साथ यात्रा कर सकें. विशेष रूप से 150 मिलियन वरिष्ठ नागरिकों के एक अति संवेदनशील समूह के साथ, उड़ान को सुरक्षित बनाने के लिए सकारात्मक कदम उठाए जाने चाहिए.’

याचिका में इस बात को भी हाइलाइट किया गया है कि कैसे उसके बारे में मीडिया रिपोर्ट ‘अनुमानों से भरी’ थीं.

उन्होंने अदालत से इस बात पर विचार करने के लिए कहा कि स्पष्ट दिशा-निर्देशों के अभाव में अनुमानों पर आधारित मीडिया रिपोर्टें विचारधीन मामलों को कैसे प्रभावित कर सकती हैं.


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