नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने राफेल सौदा मामले में पुनर्विचार याचिकाओं पर केंद्र सरकार द्वारा दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई पूर कर ली है और फैसला सुरक्षित रख लिया है.
केंद्र सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता केके वेणु गोपाल ने हाल राफेल से जुड़े लीक दस्तावेजों पर कहा कि कोई भी राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े दस्तावेज प्रकाशित नहीं कर सकता है और राष्ट्र की सुरक्षा सबसे ऊपर है. इसके जवाब में अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि हमने जो दस्तावेज प्रस्तुत किये हैं या जिन्हें आधार बनाया गया है वह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े नहीं हैं.
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Supreme Court: What privilege do you (Attorney General) claim? They have already produced them in court. Attorney General: They have produced it after stealing it. State documents can't be published without explicit permission. #Rafale https://t.co/L8xgmCmDiZ
— ANI (@ANI) March 14, 2019
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गौरतलब है कि राफेल विमान सौदे से जुड़े दस्तावेजों पर केंद्र ने विशेषाधिकार का दावा किया है और उच्चतम न्यायालय में कहा है कि इससे जुड़े विभाग की बिना इजाजत के कोई इसे पेश नहीं कर सकता. मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की पीठ के सामने अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अपनी दावे को साबित करने के लिए कानून की धारा 123 और सूचना के अधिकार कानून के प्रावधानों का जिक्र किया.
वहीं इससे पहले मोदी सरकार ने दावा किया था कि फ्रांस से 36 राफेल फाइटर जेट विमान की खरीद से संबंधित गोपनीय दस्तावेजों की ‘फोटोकॉपी’ अनधिकृत है. यह चोरी के समान है. बुधवार को दायर किये गये अपने हलफनामे में मोदी सरकार ने कहा कि ये दस्तावेज मूलरूप से दिसंबर 2018 के राफेल फैसले की समीक्षा की मांग से जुड़े हैं. जो कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संवेदनशील हैं क्योंकि वे लड़ाकू विमानों की युद्ध क्षमता से संबंधित हैं.
यह याचिका एक्टिविस्ट वकील प्रशांत भूषण और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दो नेताओं अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा द्वारा दायर की गयी थी.