नई दिल्ली: दिल्ली में गुरुवार को राज्य भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के एक कार्यक्रम में रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण पहुंची. इस दौरान उन्होंने बालाकोट एयर स्ट्राइक में कितने आतंकी मारे गए इस आंकड़े को साझा करने से इनकार कर दिया. कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं से बात करते हुए रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि ‘मैं कोई नंबर नहीं बता रही कि कितने आतंकी मारे गए हैं. उन्होंने ये भी कहा कि मीडिया का एक धड़ा हमारे ही ऊपर सवाल उठा रहा है जबकि सब जानते हैं कि हमने जब कसाब को पकड़ा था तब भी पाकिस्तान ने उसे अपना मानने से मना कर दिया था.
वैसे इस कार्यक्रम में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण मसूद अज़हर और हाफ़िज़ सईद के नाम के बीच घालमेल कर बैठीं. उन्होंने मसूद अज़हर की जगह पर दो बार हाफिद सईद का नाम ले लिया. उन्होंने विपक्ष पर ‘सईद को छोड़े जाने’ का ग़लत आरोप लगाने की बात भी कही.
पिछले दिनों मसूद अज़हर ‘जी’ कह गए थे राहुल
दरअसल, कांग्रेस की एक मीटिंग में पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने मसूद अजहर के नाम के साथ ‘जी’ लगा दिया जिसके बाद बीजेपी उनकी घेराबंदी करने लगी. इसके जवाब में कांग्रेस ने पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी नीत एनडीए सरकार द्वारा मसूद अज़हर को छोड़े जाने का मामला उठाया. मामला उठाते हुए राहुल ने ट्वीट में लिखा था, ‘पीएम मोदी जी, कृपा कर 40 सीआरपीएफ शहीदों के परिवारों को बताइए कि इनके हत्यारे मसूद अजहर को किसने छोड़ा था.’ राहुल आगे लिखते हैं कि मोदी को लोगों को ये भी बताना चाहिए कि उनके वर्तमान सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने ही अजहर को छोड़ने की डील में अहम भूमिका निभाई थी.
रक्षा मंत्री इन्हीं आरोपों को ख़ारिज कर रही थीं. लेकिन इसी बीच वो दो बार मसूद अजहर को हाफिज सईद बुला बैठीं. उन्होंने ये भी कहा, ‘कारगिल के समय भी पाकिस्तान ने अपने शहीदों को स्वीकार नहीं किया था. इसलिए पाकिस्तान कभी नहीं कहेगा कि हमने उनके आतंकी मारे.’ हालांकि, इस बीच वो मारे गए आतंकियों की संख्या को लेकर सचेत दिखीं और कोई नंबर नहीं बताया. उन्होंने कहा, ‘मैं कोई नंबर नहीं बता रही कि कितने आतंकी मारे गए हैं. ‘उन्होंने ये भी कहा कि मीडिया का एक धड़ा हमारे ही ऊपर सवाल उठा रही है जबकि सब जानते हैं कि हमने जब कसाब को पकड़ा था तब भी पाकिस्तान ने उसे अपना मानने से मना कर दिया था.
सीतारमण की बातों से साफ झलक रहा था कि पार्टी अतिआत्मविश्वास का शिकार नहीं होना चाहती. बालाकोट को वो चुनावी लिहाज़ से फ़ायदेमंद तो बता रही थीं लेकिन अपील भी कर रही थीं कि दिल्ली बीजेपी लोगों तक अन्य मुद्दों को लेकर भी संदेश पहुंचाए. उन्होंने कहा, ‘बालाकोट के बाद लोगों को लगता है कि देश मोदी जी के नेतृत्व में सुरक्षित है. लेकिन नाकारात्मक प्रचार का प्रभाव अंतिम क्षण तक रहता है इसलिए हम आखिरी क्षण तक चूक नहीं सकते हैं. हमें अपने प्रधानमंत्री के नेतृत्व को बारे में अंतिम क्षण तक बताते रहने की ज़रूरत है.’
योजनाओं का किया बखान
वहीं, इसी कार्यक्रम में दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने उज्जवला, पांच लाख तक की कमाई पर भविष्य में टैक्स समाप्त हो जाने और मोदी की अन्य योजनाओं की बात के साथ अपना भाषण शुरू किया. उन्होंने भाजपा के गठबंधन को मज़बूती और विपक्ष के गठबंधन को मजबूरी बताया. वहीं, दिल्ली सरकार पर हमला करते हुए उन्होंने शिक्षा और महिला सुरक्षा के मामले में दिल्ली सरकार को नकामा बताया. उन्होंने कहा, ‘केजरीवाल ने 2015 में जिस कांग्रेस को दिल्ली से साफ़ किया आज उसी के क़दमों में लेट गए हैं.’
तिवारी ने केजरीवाल की भाषा पर हमला करते हुए कहा, ‘मैं जानता हूं कि दिल्ली मेरे बाप की नहीं. मैं जब आठवीं में था तो मेरे पिता गुज़र गए. मेरे पिता ने मुझे देशद्रोह नहीं सिखाया. केजरीवाल को मेरे पिता का नाम उछालने के पहले सोचना चाहिये कि वो हैं भी या नहीं.’ इसी बीच तिवारी ने दिल्ली के सांसदों द्वारा पार्क बनवाने, झूले और सीसीटीवी लगावाने जैसे दावे किया. साथ ही उन्होंने कहा कि दिल्ली के सांसदों ने सड़क बनवाने का भी काम किया. तिवारी ने दावा किया कि जितने सर्वे होते हैं उन सबमें ये बात सामने आती है कि वो सात की सात लोकसभा सीटें जीतेंगे.
तिवारी ने कहा कि वो खुद को एक्सिडेंटल नेता मानते हैं. उन्होंने कहा, ‘जब मैंने देखा कि भ्रष्टाचार बहुत ज़्यादा है और मोदी जी से मिला तो मुझे लगा कि इस व्यक्ति को भारत का पीएम होना चाहिए. फिर राजनीति में कूद गया और अब तैर रहा हूं.’ तिवारी ने ये भी कहा, ‘हम भी दिल्ली के पूर्ण राज्य के दर्जे की समीक्षा के समर्थक थे लेकिन केजरीवाल की राजनीति ने हम अपना पक्ष बदलने पर मजबूर कर दिया.’
‘पांच साल और हमें मोदी की ज़रूरत है’
तिवारी ने ‘पांच साल और हमें मोदी की ज़रूरत है’ गाना भी गया. उन्होंने कहा, “एक व्यक्ति मुझसे ग़ुस्सा हो गया और पूछा कि पांच साल ही क्यों तो मैंने कहा कि पांच साल और दे दो फिर कोई पार्टी वोट मांगने लायक नहीं रह जाएगी. सबसे बड़ी बात ये रही कि बीजेपी का ये कार्यक्रम पार्टी को दिल्ली में 51% वोट दिलाने से जुड़ा था लेकिन एकाध नेताओं को छोड़कर किसी का ध्यान इस एजेंडे पर नहीं था.