शिमला: हिमाचल प्रदेश विधानसभा परिसर में मंगलवार को जैसे ही एक सफेद रंग की हैचबैक आकर रुकी, इसे लेकर तुरंत ही सुगबुगाहट शुरू हो गई कि इससे कौन आया है. यह लाजिमी भी था क्योंकि उस कार में सवार कोई और नहीं बल्कि खुद राज्य के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू थे.
दिसंबर 2022 में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद से ही सुक्खू अपनी जड़ों से जुड़े रहने को लेकर काफी लोकप्रिय बने हुए हैं. वह हिमाचल सड़क परिवहन निगम के ड्राइवर के बेटे हैं और कभी छोटा शिमला में दूध की दुकान चलाते थे.
बतौर मुख्यमंत्री अपने पहले बजट सत्र के लिए ऑल्टो लेकर विधानसभा आना सुक्खू की साधारण जीवनशैली का ही परिचायक है.
उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘किसी भी इंसान को अपना अतीत कभी नहीं भूलना चाहिए, चाहे वह कितने भी उच्च पद पर क्यों न पहुंच जाए.’
विधानसभा में मीडिया से बातचीत के दौरान सुक्खू ने कहा कि वह 2003 में विधायक बनने के बाद से इस कार का उपयोग कर रहे हैं. सुक्खू ने कहा, ‘यह मुझे मेरे पुराने दिनों की याद दिलाती है.’ साथ ही जोड़ा, ‘हम व्यवस्था परिवर्तन करने आए हैं.’
सुक्खू राज्य में यशवंत सिंह परमार, राम लाल ठाकुर और छह बार के मुख्यमंत्री और चार दशक तक राज्य में कांग्रेस का चेहरा रहे बुशहर स्टेट के पूर्व शाही वंशज वीरभद्र सिंह के बाद हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के चौथे मुख्यमंत्री हैं.
सुक्खू चार बार के विधायक हैं. मुख्यमंत्री के तौर पर अपने तीन महीने के कार्यकाल में उन्होंने खुद को आम लोगों के नेता के तौर पर पेश करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.
इसमें उनकी सरकार का पहला बड़ा फैसला शामिल है, जिसके तहत मंत्रियों और विधायकों को हिमाचल भवन, हिमाचल सदन और राज्य के अंदर और बाहर अन्य विश्राम गृहों में किराये और भोजन में मिलने वाली सब्सिडी के विशेषाधिकार को खत्म कर दिया गया है.
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‘अब भी एक आम इंसान’
हिमाचल के अधिकांश राजनेताओं की तरह सुक्खू भी छात्र राजनीति की उपज हैं. उनकी चुनावी पारी 1992 में शुरू हुई, जब वे कांग्रेस में अपने शुरुआती दिनों में नगरपालिका पार्षद के रूप में चुने गए थे.
मुख्यमंत्री के करीबी लोगों का कहना है कि उन्होंने अपने किसी पुराने दोस्त का साथ कभी नहीं छोड़ा.
शिमला नगर निगम के पूर्व पार्षद सुधीर आजाद ने कहा, ‘सुक्खू भाई के साथ मेरा पुराना नाता है. वह एक पार्षद, फिर विधायक और अब सीएम बने, लेकिन मैंने उनके व्यवहार में कोई बदलाव नहीं देखा.’
उन्होंने आगे कहा, ‘वह 2013 से 2019 तक जब (राज्य में) पार्टी अध्यक्ष थे, तब आम कार्यकर्ताओं की बात सुनते थे. एक बार कांग्रेस के कुछ कार्यकर्ताओं ने उनसे किसी निजी कार्य के संबंध में शिकायत की. तो उन्होंने इस मुद्दे को तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के समक्ष उठाया. उन्होंने न केवल पार्टी को सक्रिय रखा बल्कि कार्यकर्ताओं का जोश भी बनाए रखा.’
छोटा शिमला के पूर्व पार्षद सुरेंद्र चौहान भी सुक्खू की काफी प्रशंसा करते हैं.
उन्होंने कहा, ‘सुक्खू भाई एक आम इंसान हैं. मुख्यमंत्री बनने के बाद उनमें जरा-सा भी बदलाव नहीं आया है. यही गुण उन्हें अन्य राजनेताओं से अलग बनाता है.’
कुछ दिन पहले वायरल हुई कुछ तस्वीरों में मुख्यमंत्री सुबह की सैर के दौरान स्थानीय निवासियों के साथ बातचीत करते दिखाई दे रहे थे. इस दौरान उनका सुरक्षा घेरा कहीं नजर नहीं आया, उनके साथ राज्य के महाधिवक्ता अनूप रतन भी थे.
शिमला शहर के एक दुकानदार शिव कुमार ने कहा कि वह मुख्यमंत्री को बिना सुरक्षा के शहर की सड़कों पर घूमते देख हैरान रह गए थे.
उन्होंने कहा, ‘एक नजर में तो किसी का मुख्यमंत्री पर ध्यान ही नहीं गया होगा क्योंकि उसके पास कोई सुरक्षा घेरा नहीं थी. वह हमारी-आपकी तरह ही सड़क पर घूम रहे थे.’
11 मार्च को, सुक्खू अपने काफिले को छोड़ लगभग एक किमी दूर ओक ओवर स्थित अपने आधिकारिक आवास से कार्यालय तक चले गए. इस तरह के अन्य उदाहरण भी सामने हैं.
25 जनवरी को बिलासपुर जिले के दौरे के दौरान वह बागी बनौला के लोकप्रिय बहादुर का ढाबा में मक्की की रोटी और माह की दाल खाने के लिए रुके. जब वह खाना खा रहे थे, वहां उनके और उनके स्टाफ के अलावा अन्य ग्राहक भी आसपास ही बैठे थे.
उन्होंने कहा, ‘मैं यहां पहली बार नहीं आया हूं. मैं नियमित तौर पर यहां आता रहता हूं. अब भले ही सीएम हूं, लेकिन यह मुझे एक आम आदमी की तरह व्यवहार करने से नहीं रोकता है, जो मैं हूं.’
राज्य की वित्तीय स्थिति गंभीर
बतौर मुख्यमंत्री सुक्खू के सामने एक बड़ी चुनौती है, जैसा उन्होंने खुद मंगलवार को सदन में स्वीकार किया कि राज्य की वित्तीय स्थिति काफी गंभीर है.
मुख्यमंत्री ने विधानसभा में कहा, ‘हर हिमाचली पर एक लाख रुपये का कर्ज है.’
बजट सत्र के पहले दिन सदन की बैठक शुरू होने के साथ ही भाजपा ने राज्य सरकार पर चालू वित्त वर्ष के लिए विधायक स्थानीय क्षेत्र विकास (एलएडी) निधि की अंतिम किस्त रोकने का आरोप लगाते हुए कार्य स्थगन प्रस्ताव दिया.
पूर्व मुख्यमंत्री और अब विधानसभा में नेता विपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि अंतिम किस्त लंबित थी और इसमें देरी से न केवल भाजपा, बल्कि अन्य दलों के विधायकों की तरफ से कराए जाने वाले विकास कार्य प्रभावित होंगे.
इस पर मुख्यमंत्री ने जवाब दिया कि राज्य आर्थिक तंगी से जूझ रहा है.
उन्होंने कहा, ‘हम अपना वित्तीय प्रबंधन सुधार रहे हैं और लोक कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं.’ इस पर जोर देते हुए कि यह इतना अहम मुद्दा नहीं है कि इस पर कार्यस्थगन प्रस्ताव लाया जाए, मुख्यमंत्री ने कहा, ‘हमने एमएलए एलएडी अनुदान निलंबित नहीं किया है, बल्कि इसे कुछ समय के लिए रोका है.’
(संपादनः शिव पाण्डेय)
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