नई दिल्ली: वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक वेद प्रताप वैदिक का मंगलवार को सुबह लगभग 9 बजे बाथरूम में फिसलने के कारण निधन हो गया. वह 78 साल के थे.
वरिष्ठ पत्रकार सुबह अपने गुरुग्राम स्थित आवास पर बेहोश हो गए थे, जिसके बाद उन्हें नजदीक के अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.
वेद प्रताप वैदिक की गिनती भारत के उन लेखकों और पत्रकारों में की जाती है, जिन्होंने हिंदी को मौलिक चिंतन की भाषा बनाने में अपना पूरा योगदान और सहयोग दिया.
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने वरिष्ठ पत्रकार के निधन पर शोक जताते हुए ट्वीट किया.
उन्होंने कहा, ‘श्री वेद प्रताप वैदिक जी एक प्रखर पत्रकार एवं स्तंभकार थे जो अपनी लेखनी से समसामयिक विषयों पर अपनी बेबाक़ राय रखते थे. राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विषयों पर भी उनकी गहरी पकड़ थी. उनके निधन से हिंदी पत्रकारिता में एक रिक्तता आयी है. उनके परिवार के प्रति मेरी संवेदनाएं.’
श्री वेद प्रताप वैदिक जी एक प्रखर पत्रकार एवं स्तंभकार थे जो अपनी लेखनी से समसामयिक विषयों पर अपनी बेबाक़ राय रखते थे। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विषयों पर भी उनकी गहरी पकड़ थी। उनके निधन से हिन्दी पत्रकारिता में एक रिक्तता आयी है।उनके परिवार के प्रति मेरी संवेदनाएँ।ॐ शांति।
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) March 14, 2023
78 वर्ष के वैदिक ने प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) ‘भाषा’ के संस्थापक-संपादक के रूप में लगभग एक दशक तक काम किया. उन्होंने टाइम्स ग्रुप के नवभारत टाइम्स में संपादक के रूप में भी काम किया है.
कई भाषाओं के ज्ञाता
30 दिसंबर 1944 में मध्य प्रदेश के इंदौर में जन्मे वैदिक कई भाषाओं के ज्ञाता थे. उन्हें हिंदी के साथ-साथ रूसी, फारसी, जर्मन और संस्कृत भाषा का भी ज्ञान था.
बता दें कि वैदिक भारतीय भाषाओं के अधिकारों की रक्षा करने वाले संगठन ‘भारतीय भाषा सम्मेलन’ के अंतिम अध्यक्ष भी थे.
वेद पूरे भारत के ऐसे पहले विद्वान हैं, जिन्होंने अपना अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर रिसर्च पेपर हिंदी में लिखा था, जिसकी काफी तारीफ और चर्चाएं भी हुई थी.
अफगान विदेश नीति पर रिसर्च के दौरान वैदिक ने कोलंबिया विश्वविद्यालय से भी पढ़ाई की थी. उन्होंने स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज, लंदन और इंस्टीट्यूट ऑफ द पीपल्स ऑफ एशिया, मॉस्को में भी अध्ययन किया था.
विवादों से था नाता
वैदिक अपने पत्रकारिता के जीवन में खुद भी बहुत बार चर्चा और विवादों में बने रहते थे. कभी वो अपने द्वारा दिए बयानों के कारण घिर जाते थे तो कभी उनके द्वारा लिए गए इंटरव्यू चर्चा का विषय बन जाते थे.
वैदिक ने 2014 में लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक और मुंबई पर हुए 26/11 हमले के मास्टर माइंड आतंकी हाफ़िज सईद का इंटरव्यू लिया था, जिसके बाद उन पर देशद्रोह का इल्ज़ाम भी लगा था और उनकी गिरफ़्तारी की मांग उठाई गई थी.
संसद में अपनी गिरफ़्तारी और देशद्रोह के आरोप से क्रोधित वैदिक ने कहा था, ‘मुझे फांसी पर चढ़ा दो. मैं ऐसी संसद पर थूकता हूं.’
बता दें कि हाफ़िज़ मोहम्मद सईद के साथ उनकी विवादास्पद मुलाकात के बाद 2014 में कांग्रेस के दो नेताओं ने उनके खिलाफ एक स्थानीय अदालत में शिकायत दर्ज कराई थी.
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर पत्रकार के निधन पर शोक जताया है.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘वरिष्ठ पत्रकार डॉ. वेद प्रताप वैदिक जी के निधन का दुखद समाचार प्राप्त हुआ. ईश्वर से दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान और परिजनों को यह गहन दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना करता हूं.’
वरिष्ठ पत्रकार डॉ. वेद प्रताप वैदिक जी के निधन का दुखद समाचार प्राप्त हुआ।
ईश्वर से दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान और परिजनों को यह गहन दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना करता हूं।
।। ॐ शांति ।।
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) March 14, 2023
पत्रकारिता में अपने सराहनीय योगदान के लिये वेद प्रताप वैदिक को अपने जीवनकाल में कई प्रकार के पुरुस्कारों से सम्मानित किया गया. उन्हें गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार 1976, पत्रकारिता 1990 के लिए हिंदी अकादमी दिल्ली पुरस्कार, विश्व हिंदी सम्मेलन सम्मान, सूरीनाम 2003, न्यूज़मेकर्स अचीवर्स अवार्ड्स 2022 पुरुस्कारों से सम्मानित किया गया था.
यह भी पढ़ें: ‘आपकी आवाज महा बुलंद है,’ सदन के हंगामें से जब नाराज़ हुईं जया बच्चन तो सभापति धनखड़ ने ऐसे मनाया