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Tuesday, 26 November, 2024
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‘महिलाएं हुई सशक्त’, UN में भारत की प्रतिनिधि ने कहा- ‘बेटी-बचाओ, बेटी-पढ़ाओ से बढ़ी लैंगिक समानता

भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कम्बोज ने कहा, ‘भारत सरकार महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए ऋण, उनके रोजगार तथा उन्हें डिजिटली रूप से सक्षम बनाने पर काम कर रही है.’

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नई दिल्ली: शुक्रवार को यूनाइटेड नेशन में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कम्बोज ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने लैंगिक समानता, महिला सशक्तिकरण जैसे मुद्दों पर मजबूती के साथ काम किया है. भारत की स्थायी प्रतिनिधि ने कहा, ‘बेटी-बचाओ, बेटी-पढ़ाओ जैसे पहल के कारण देश में लैंगिक समानता बढ़ी है.’

उन्होंने कहा, ‘भारत सरकार महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए ऋण, उनके रोजगार तथा उन्हें डिजिटली रूप से सक्षम बनाने पर काम कर रही है.’

उन्होंने आगे कहा कि इन उपायों के कारण देश में महिलाओं को बड़ी सहायता मिली है. यह महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकने और हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी को सुनिश्चित करने में काफी प्रभावी हुआ है.

उन्होंने आगे कहा, ‘भारत में 55 प्रतिशत से अधिक बैंक खाते महिलाओं के हैं.’

रुचिरा कम्बोज ने संयुक्त राष्ट्र में जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाने पर पाकिस्तान की आलोचना करते हुए उसे ‘दुर्भावनापूर्ण और झूठा प्रचार’ करार दिया.

उन्होंने कहा, ‘मैं पाकिस्तान के प्रतिनिधि द्वारा जम्मू-कश्मीर को लेकर की गई टिप्पणी को खारिज करती हूं. मैं इस ‘झूठे प्रचार’ को जवाब देने के योग्य नहीं समझती.’

‘संयुक्त राष्ट्र का विस्तार जरूरी’

संयुक्त राष्ट्र की इनफॉर्मल मीटिंग ऑफ द पलेनरी ऑन द इंटरगवर्नमेंटल नेगोशिएशन की मीटिंग में भारतीय प्रतिनिधि ने कहा था कि संयुक्त राष्ट्र का विस्तार बेहद जरूरी है. उन्होंने कहा था कि संयुक्त राष्ट्र के विस्तार से विकासशील देश को आवाज मिल सकेगी.

उन्होंने भारत की सुरक्षा परिषद में स्थायी रूप से शामिल करने की मांग की. कंबोज ने कहा, ‘संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद का विस्तार और भारत को स्थायी सदस्य का दर्जा एकमात्र विकल्प है जिससे सुरक्षा परिषद की ताकत और  समकालीन भू राजनीति को एक किया जा सकता है.’

कंबोज ने आगे कहा, ‘हमें सुरक्षा परिषद में विविधता की जरूरत है. सुरक्षा परिषद में विकासशील देश के अलावा, उन क्षेत्रों को भी प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए, जिनका प्रतिनिधित्व नगण्य है, जैसे- लैटिन अमेरिका, एशिया प्रशांत और अफ्रिकन देश. उन्हें उनका अधिकार मिलना चाहिए.’

उन्होंने आगे कहा कि सुरक्षा परिषद में स्थायी और अस्थायी श्रेणियों में 15-15 देशों को शामिल किया जाना चाहिए. बता दें कि अभी सुरक्षा परिषद में 5 स्थायी और 10 अस्थायी सदस्य शामिल हैं.


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