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Thursday, 21 November, 2024
होमदेशहरियाणा की IAS पर '200 करोड़ का घोटाला' निपटाने के लिए जबरन वसूली का आरोप, FIR दर्ज

हरियाणा की IAS पर ‘200 करोड़ का घोटाला’ निपटाने के लिए जबरन वसूली का आरोप, FIR दर्ज

गुरुग्राम में दर्ज एफआईआर में, अधिकारी, अनीता यादव ने कथित तौर पर फरीदाबाद नगर निगम घोटाला मामले में अपना नाम साफ करवाने के लिए 5 करोड़ रुपये मांगे, जिसकी जांच की जा रही है.

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चंडीगढ़: कथित 200 करोड़ रुपये के फरीदाबाद नगर निगम घोटाले में एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) की जांच का सामना कर रहे हरियाणा कैडर के एक आईएएस अधिकारी ने जबरन वसूली का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई है.

फरीदाबाद मेट्रोपॉलिटन अथॉरिटी की अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में तैनात अनीता यादव ने सोमवार को दर्ज प्राथमिकी में आरोप लगाया कि फोन करने वाले ने मामले में अपना नाम क्लीयर करने के लिए 5 करोड़ रुपये की मांग की.

यह राज्य सरकार द्वारा एसीबी को यादव, एक अन्य आईएएस अधिकारी, सोनल गोयल और सात अन्य सरकारी अधिकारियों के मामले में जांच करने की अनुमति देने के कुछ दिनों बाद आया है. कथित घोटाला 2015 के बाद से बिना किसी वास्तविक विकास कार्य के ठेकेदारों को भुगतान जारी करने से संबंधित है. दोनों आईएएस अधिकारियों ने घोटाले में किसी भी तरह की भूमिका से इनकार किया है.

पिछले साल मार्च में मामले में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद सोनल गोयल पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय चली गई थीं और अदालत ने पुलिस को उनके खिलाफ कोई भी कठोर कार्रवाई करने से रोक दिया था. वह मामला अभी कोर्ट में है.

गुरुग्राम के सेक्टर 50 पुलिस स्टेशन में दर्ज अपनी शिकायत में, यादव ने दावा किया कि उन्होंने बातचीत रिकॉर्ड की थी और फोन कॉल का ऑडियो वीडियो प्रदान कर सकती हैंं. दिप्रिंट के पास एफआईआर की कॉपी है.

यादव की शिकायत में उस फोन नंबर का उल्लेख किया गया है, जिससे उन्हें कथित तौर पर 3 मार्च को कॉल आया था, ‘उन्होंने मुझे एसीबी द्वारा विचाराधीन एक मामले से मेरा नाम क्लीयर करने के लिए 5 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए कहा.’

उन्होंने कहा कि ऋषि के नाम के कॉलर ने दावा किया कि उसे यादव से संपर्क करने के लिए किसी राजनेता ने निर्देश दिया था.

प्राथमिकी में कहा गया है कि अगले दिन उसी व्यक्ति ने यादव से दोबारा संपर्क किया और उसने धमकी दी कि अगर उसने भुगतान करने से इनकार किया तो ‘परिणाम भुगतने होंगे’.

यह कहते हुए कि वह अपने परिवार की सुरक्षा के बारे में चिंतित थीं, यादव ने कहा कि उन्होंने फोन पर हुई बातचीत को रिकॉर्ड किया है और जांच के लिए ‘इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से ऑडियो-वीडियो प्रदान कर सकती हूं.’

कानूनी राय मांगी

अधिकारी की शिकायत पर थाने के एसएचओ ने शिकायत को कानूनी राय के लिए जिला अटार्नी (डीए) के पास भेज दिया. डीए ने कहा कि प्रथमदृष्टया आईपीसी की धारा 385 (जबरन वसूली) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत संज्ञेय अपराध बनता है.

जबकि एफआईआर सोमवार, 6 मार्च को दर्ज की गई थी, इसमें उल्लेख किया गया है कि यादव की शिकायत 4 मार्च को प्राप्त हुई थी. इस पर दिप्रिंट ने जब यादव से फोन पर संपर्क किया तो उन्होंने सोमवार को कहा कि 4 मार्च को ही पुलिस में शिकायत की थी.

उन्होंने कहा, ‘आज मैंने मामले को राज्य के गृहमंत्री अनिल विज के संज्ञान में लाया, जिसके बाद पुलिस ने मेरी प्राथमिकी दर्ज की.’

दिप्रिंट ने एफआईआर में दर्ज मोबाइल नंबर पर कॉल करने की कोशिश की, लेकिन वह स्विच ऑफ था.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)


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