नई दिल्ली: जम्मू बस स्टैंड में ग्रेनेड फेंकने के आरोप में गिरफ्तार नाबालिग ने पूछताछ के दौरान स्वीकार किया कि आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के सदस्य ने घटना को अंजाम देने के लिए उसे 50,000 रुपये दिए थे. घटना में दो की मौत हो गई और 30 अन्य घायल हो गए.
घटना को अंजाम देने के बाद संदिग्ध को कश्मीर घाटी की ओर भागते वक्त जम्मू शहर के बाहरी इलाके नागरोटा के टोल प्लाजा से गिरफ्तार किया गया. प्रत्यक्षदर्शियों और सीसीटीवी फुटेज की मदद से पुलिस आरोपी को पकड़ने में सफल रही. अगर संदिग्ध का अधारकार्ड और स्कूली रिकार्ड सही है तो, उसकी जन्मतिथि 12 मार्च 2013 है, जिसका मतलब है कि वह नाबालिग है.
वह अपने मां-बाप का बड़ा बेटा है और कक्षा नौ का छात्र है. उसके पिता पेंटर है. पुष्ट सूत्रों ने बताया कि हिजबुल मुजाहिदीन के एक सदस्य मुजाम्मिल ने हमले को अंजाम देने के लिए आरोपी को 50,000 रुपये और एक ग्रेनेड दिए.
पूछताछ से पता चला कि हिजबुल के जिला कमांडर फैयाज भट्ट ऊर्फ उमर ने इस घटना को अंजाम देने के लिए वास्तव में मुजाम्मिल को चुना था, लेकिन वह इसे कर नहीं पाया. फैयाज भट्ट ने जिसके बाद मुजाम्मिल को यह कार्य यासिर जावेद भट्ट ऊर्फ छोटू से करवाने के लिए कहा.
बता दें, जम्मू के एसआरटीसी बस स्टैंड पर गुरुवार दोपहर जो ग्रेनेड हमला हुआ था उसके आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया गया. इनमें 28 लोगों के घायल होने की बात सामने आई है और दो की हालत गंभीर बताई जा रही है. जानकारी के अनुसार हमलावर बस के नीचे ग्रेनेड फेंककर भाग निकला था. इसके बाद घायलों को तुरंत पास ही के मेडिकल कॉलेज पहुंचाया गया जहां इनका इलाज किया गया.
जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने हमले की निंदा की. मृतकों के परिजनों के लिए उन्होंने पांच लाख़ रुपए के मुआवज़े का एलान किया है. वहीं, घायलों के लिए उन्होंने 20,000 रुपए के मुआवज़े का एलान किया है.