नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस, रैपिड एक्शन फोर्स और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवानों को सीबीआई मुख्यालय के बाहर तैनात किया गया है. एजेंसी, दिल्ली शराब नीति मामले में पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की 5 दिन की रिमांड खत्म होने के बाद आज उन्हें लोकल कोर्ट में पेश करेगी.
सिसोदिया को सीबीआई ने दिल्ली की नई आबकारी नीति बनाने और कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं के लिए गिरफ्तार किया है, जिसे विपक्ष द्वारा गड़बड़ी के आरोपों लगाने पर वापस ले लिया गया था.
राष्ट्रीय राजधानी में एक ट्रायल कोर्ट के समक्ष सिसोदिया की ओर से दायर ताजा जमानत याचिका में कहा गया है कि उन्हें हिरासत में रखने से कोई सार्थक उद्देश्य पूरा नहीं होगा क्योंकि मामले में सभी बरामदगी पहले ही की जा चुकी है.
इसमें आगे कहा गया है कि दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम जांच में सहयोग कर रहे थे और जब भी सीबीआई द्वारा समन किया जाता था, तब पेश होते थे. इस मामले में गिरफ्तार किए गए अन्य आरोपियों को पहले ही जमानत मिल चुकी है.
सिसोदिया ने अपनी याचिका में आगे कहा है कि वह डिप्टी सीएम के महत्वपूर्ण संवैधानिक पद पर थे और समाज में उनकी गहरी जड़ें हैं.
विशेष जज एमके नागपाल इस जमानत याचिका की आज सुनवाई करेंगे.
सिसोदिया को 27 फरवरी को दी गई उनकी रिमांड अवधि खत्म होने पर शनिवार को भी पेश किया जाना है.
राउज एवेन्यू कोर्ट ने सोमवार को सिसोदिया को सीबीआई रिमांड पर भेजते हुए निर्देश दिया था कि शराब नीति मामले के आरोपियों से रिमांड अवधि के दौरान उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुसार सीसीटीवी कवरेज वाले किसी स्थान पर पूछताछ की जाए. उक्त फुटेज को सीबीआई सुरक्षित रखे.
सिसोदिया को जीएनसीटीडी की आबकारी नीति के निर्धारण और कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं से संबंधित एक मामले की चल रही जांच में पिछले रविवार को गिरफ्तार किया गया था.
सिसोदिया को सीबीआई रिमांड पर भेजते समय, ट्रायल कोर्ट ने पाया था कि अभियुक्त दो बार इस मामले की जांच में शामिल हुए थे, लेकिन वे पूछताछ के दौरान ज्यादातर सवालों के संतोषजनक जवाब देने में विफल रहे.
कोर्ट ने कहा, ‘यह सच है कि उनसे खुद को दोषी ठहराने वाले बयान देने की उम्मीद नहीं की जा सकती है, लेकिन न्याय के हितों और एक निष्पक्ष जांच के लिए जरूरी है कि उन्हें उन सवालों के कुछ वैध जवाब देने चाहिए जो जांच अधिकारी द्वारा उनसे पूछे जा रहे हैं.’
अदालत ने कहा, ‘उनके कुछ अधीनस्थों ने कुछ तथ्यों का खुलासा किया है, जिन्हें उनके खिलाफ अभियोग के रूप में लिया जा सकता है और उनके खिलाफ कुछ दस्तावेजी सबूत भी सामने आ चुके हैं, एक उचित और निष्पक्ष जांच के लिए आवश्यक है कि उनसे इस बारे में पूछे जा रहे सवालों के कुछ वास्तविक और वैध जवाब दिए जाएं, इसलिए, इस अदालत की सुविचारित राय में, यह केवल अभियुक्तों की हिरासत में पूछताछ के दौरान ही किया जा सकता है.’
जिरह के दौरान सीबीआई के वकील ने अदालत से कहा था कि मामले की प्रभावी जांच के लिए पूर्व उपमुख्यमंत्री से हिरासत में पूछताछ जरूरी है. सिसोदिया की पांच दिन की रिमांड मांगते हुए सीबीआई के वकील ने कहा था, ‘साजिश बहुत ही सुनियोजित और गुप्त तरीके से रची गई थी.’
सिसोदिया की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन ने सीबीआई की रिमांड अर्जी का विरोध किया.
सिसोदिया के वकील ने तर्क दिया, ‘अगर कोई कुछ कहने को तैयार नहीं है, तो यह गिरफ्तारी का आधार नहीं हो सकता है.’
उनके वकील ने आगे तर्क दिया, ‘मुझे उस फोन का क्या करना चाहिए जिसे मैंने बदल दिया है? मैं एक मंत्री हूं, मैं इसे पुरानी दुकान पर नहीं भेज सकता, इसमें महत्वपूर्ण डेटा होगा. सीबीआई के सामाने सामग्री के साथ पहुंचा, लेकिन मैंने कबूल नहीं किया. रिमांड आवेदन में कहा गया है मैंने गोलमोल जवाब दिया. यह रिमांड का आधार नहीं हो सकता. उन्होंने 19 अगस्त, 2022 को मेरे आवास की तलाशी ली. मैंने अपना फोन सौंप दिया. उन्होंने मुझे जांच में शामिल होने के लिए बुलाया और मैं शामिल हो गया. मैंने सहयोग किया.’
शराब नीति मामले में सिसोदिया को गिरफ्तार करने के बाद, सीबीआई ने एक बयान जारी कर दावा किया कि उन्होंने सवालों के गोलमोल जवाब दिए और शराब घोटाला मामले में चल रही जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं.
यह भी पढ़ें: पूर्वोत्तर में सफलता बीजेपी की ही नहीं, भारत की भी कामयाबी की कहानी है