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Friday, 22 November, 2024
होमखेलखिलाड़ियों पर भरोसा, ‘11 बैट्समैन’, कोटक फैक्टर- सौराष्ट्र ने कैसे भारतीय घरेलू क्रिकेट में धाक जमाई

खिलाड़ियों पर भरोसा, ‘11 बैट्समैन’, कोटक फैक्टर- सौराष्ट्र ने कैसे भारतीय घरेलू क्रिकेट में धाक जमाई

सौराष्ट्र की टीम पिछले कुछ सालों से बेहतर प्रदर्शन कर रही है, इस सीज़न में उसने तमाम बाधाओं के बावजूद रणजी और विजय हजारे ट्रॉफी जीती. खिलाड़ी इसके लिए कोचिंग और टीम स्पिरिट को श्रेय देते हैं.

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नई दिल्ली: गुजरात का काठियावाड़ क्षेत्र—जिसे अब सौराष्ट्र कहते हैं—के साथ क्रिकेट का एक सुनहरा इतिहास जुड़ा है क्योंकि यह ख्यात बैट्समैन महाराजा रणजीत सिंह जी यानी रणजी का घर है. पिछले कुछ सालों में अभूतपूर्व जीत हासिल करके सौराष्ट्र की क्रिकेट टीम इसी विरासत को आगे बढ़ा रही है, उसने तीन सत्रों में दो बार रणजी ट्रॉफी पर कब्ज़ा जमाया है. तो, आखिर उसकी इस सफलता का राज क्या है?

अगर आप इस साल की रणजी ट्रॉफी के ‘प्लेयर ऑफ द सीजन’ रहे राइट हैंड बैट्समैन अर्पित वासवदा से पूछें तो टीम का आत्मविश्वास और सामूहिक ताकत ही इसकी सफलता की वजह है.

उन्होंने इस तथ्य की ओर इशारा किया कि कुछ प्रमुख खिलाड़ियों की गैर-मौजूदगी में भी टीम ने महत्वपूर्ण मैच जीते हैं.

रणजी ट्रॉफी के दौरान दो सौराष्ट्रियन सितारे ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा और बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा भारत-ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज में खेल रहे थे. इसके अलावा, वासवदा ने उस समय सौराष्ट्र टीम का नेतृत्व संभाला जब कप्तान जयदेव उनादकट को उसी सीरीज़ में भारत की तरफ से खेलने के लिए बुला लिया गया.

वासवदा ने दिप्रिंट से कहा, ‘‘यह दर्शाता है कि एक यूनिट के तौर पर हम कितने कांफिडेंट हैं और बड़े खिलाड़ियों के बिना भी अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं.’’

उन्हें टीम की उपलब्धियों पर खासा गर्व है. सौराष्ट्र इलेवन घरेलू क्रिकेट के इस सीज़न में शानदार प्रदर्शन कर रही है. 2 दिसंबर 2022 को टीम ने फाइनल में महाराष्ट्र को हराकर 14 साल के अंतराल के बाद विजय हजारे ट्रॉफी पर कब्जा किया.

फिर, इस साल 19 फरवरी को टीम ने कोलकाता के ईडन गार्डन्स में पश्चिम बंगाल को हराकर रणजी ट्रॉफी जीती, जिसमें उसने 2019-20 के अपने प्रदर्शन का दोहराव किया, जब उसने राजकोट में बंगाल को हराकर ट्रॉफी जीती थी.

आइये, यहां कुछ उन फैक्टर पर नज़र डालें, जिन्होंने सौराष्ट्र की टीम को घरेलू सर्किट में एक बड़ी ताकत बना दिया है.


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‘ग्यारहवां खिलाड़ी भी बैट्समैन’, कोटक फैक्टर

सौराष्ट्र टीम की सफलता के पीछे यह तथ्य भी अहम है कि इसका 11वें नंबर का खिलाड़ी भी एक बल्लेबाज़ है और उनके पास एक मजबूत मिडल ऑर्डर है.

वासवदा ने कहा, ‘‘हमारी टीम की यूएसपी यही है कि यहां तक हमारा 11वां खिलाड़ी भी एक बल्लेबाज़ है. अगर आप चेतन सकारिया को पांचवें या सातवें नंबर पर भेजेंगे तो भी वह टीम के लिए रन बनाएंगे. भले ही वह बाएं हाथ का मीडियम तेज़ गेंदबाज़ है, लेकिन आप उस पर (रन बनाने के लिए भी) भरोसा कर सकते हैं.’’

गेंदबाज़ सकारिया ने टीम के लिए रन जुटाने में अपने बल्ले का कमाल दिखाया भी है. उदाहरण के तौर पर, जब भावनगर के मूल निवासी को कर्नाटक के खिलाफ रणजी सेमीफाइनल के दौरान सातवें नंबर पर मैदान में उतारा गया तो उन्होंने तीन छक्के लगाए और वासवदा के साथ मिल 62 रन बनाए.

2019-20 के रणजी सीज़न में भी सकारिया गुजरात के खिलाफ सेमीफाइनल में पांचवें नंबर पर बल्लेबाज़ी करने उतरे थे और उन्होंने 45 रन बनाए थे.

निश्चित तौर पर, मिडल ऑर्डर की मजबूती टीम की सबसे बड़ी ताकत है, विकेटकीपर-बल्लेबाज शेल्डन जैक्सन और ऑलराउंडर चिराग जानी और प्रेरक मांकड़ तो सौराष्ट्र के लिए रन-मशीन की तरह हैं.

जानी ने दिप्रिंट से कहा, ‘‘आप कह सकते हैं कि ज्यादातर खिलाड़ी ऑलराउंडर हैं. घोषित तौर पर कोई गेंदबाज़ हो सकता है, लेकिन जब टीम को उनकी ज़रूरत होती है, तो वे रन बना सकते हैं.’’

वहीं, कई खिलाड़ियों का कहना है कि टीम की बल्लेबाज़ी की ताकत का श्रेय पूर्व कोच सितांशु कोटक को जाता है.

सौराष्ट्र के लिए 130 प्रथम श्रेणी मैच खेलने वाले महान क्रिकेटर कोटक ने 2014 में टीम के कोच की जिम्मेदारी संभाली थी. वह पिछले साल तक सौराष्ट्र के कोच रहे और फिलहाल भारत की ए-टीम के कोच हैं.

चेतेश्वर पुजारा के साथ सितांशु कोटक | इंस्टाग्राम/Sitanshu Kotak

वासवदा ने कहा कि टीम की आज की ‘मूल संरचना’ कोटक ने ही तैयार की है. उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने खिलाड़ियों में जीत और आत्मविश्वास की भावना भरी.’’

गौरतलब है कि 2014 में जब सितांशु कोटक ने सौराष्ट्र के कोच के तौर पर अपना कार्यकाल शुरू किया था, तब टीम अपने शीर्ष मुकाम पर नहीं थी. यहां तक कि 2015 के रणजी सीजन में सौराष्ट्र को ‘ग्रुप सी’ में लाया गया था.

लेकिन एक साल के अंदर 2016 में टीम को एलीट ग्रुप में प्रमोट कर दिया गया.

क्रेडिटः दिप्रिंट टीम

वासवदा ने समझाया, इसका एक कारण यह भी रहा कि कोटक ने पुछल्ला खिलाड़ियों पर खास मेहनत की.

वासवदा ने बताया, ‘‘वह बल्लेबाजी के लिए तेज़ गेंदबाज़ों को तैयार करने में विश्वास करते थे, क्योंकि हमारे भारतीय ट्रैक में टेस्ट में कुछ ओवरों के बाद वे उतना योगदान नहीं दे सकते, जितना स्पिनर दे सकते हैं. इसलिए, उनकी प्रतिभा का उपयोग करने के लिए कोटक ने उनके बल्लेबाजी कौशल पर भी काम किया.’’

सौराष्ट्र के मौजूदा कोच नीरज ओडेदरा भी इस बात से सहमत हैं कि कोटक ने एक अनमोल भूमिका निभाई.

उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने खेलने की क्षमता बेहतर बनाने के लिए खिलाड़ियों के साथ मिलकर काम किया. मैं तब उनका सहायक कोच था.’’


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क्षमता पर ‘भरोसा’ उम्र कोई बंधन नहीं

मौजूदा समय में सौराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष जयदेव शाह के मुताबिक, खिलाड़ियों की ‘संभावित’ क्षमता पर भरोसा करना और उम्र को प्राथमिकता न देने वाले सुरक्षित माहौल से खिलाड़ियों का आत्मविश्वास बढ़ा और प्रदर्शन बेहतर हुआ. जयदेव शाह की कप्तानी में सौराष्ट्र पहली बार रणजी फाइनल में पहुंचा था.

शाह ने कहा, ‘‘हमारी सफलता की कुंजी यह है कि हम अपने खिलाड़ियों पर तब तक विश्वास बनाए रखते हैं जब तक कि वे टीम के लिए अच्छा प्रदर्शन नहीं करते. हम खिलाड़ी की क्षमता में विश्वास करते हैं और टीम को बार-बार नहीं बदलते हैं.’’

शाह ने कहा कि शेल्डन जैक्सन का मामला ‘भरोसा’ करने के अच्छे नतीजे निकलने का एक उदाहरण है. उन्होंने बताया, ‘‘मुझे याद है कि जब मैं कैप्टन था, शेल्डन जैक्सन को छह साल एक तरफ बैठे रहना पड़ा, लेकिन हमने उस पर कभी विश्वास नहीं खोया. वह टीम में थे और जब उन्हें मौका मिला तो आप नतीजे देखिए. आज वह सबसे भरोसेमंद मध्यक्रम के बल्लेबाज हैं.’’

शाह ने यह भी कहा कि जब खिलाड़ी एक निश्चित उम्र तक पहुंच जाते हैं तो उन्हें नज़रअंदाज नहीं करना महत्वपूर्ण होता है.

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा नहीं है कि 30 साल का खिलाड़ी टी-20 या वनडे नहीं खेल सकता. हम मौका देने और क्षमता को वास्तविक प्रतिभा में बदलने में भरोसा करते हैं. इस प्रकार, यह एक सुरक्षित वातावरण बनाने में मदद करता है और फिर हर कोई अच्छा प्रदर्शन करता है.’’

वासवदा ने कहा कि मौजूदा कप्तान जयदेव उनादकट ने भी खिलाड़ियों पर भरोसा जताने और उन्हें सफलता हासिल करने के लिए प्रेरित करने की परंपरा को आगे बढ़ाया है.

वासवदा ने कहा, ‘‘उनादकट ने बतौर कप्तान हमारी टीम के लिए बेहतरीन काम किया है. मुझे याद है, पिछले साल सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी के दौरान मैं चार-पांच मैचों से पांचवें या छठे नंबर पर बल्लेबाजी कर रहा था और अचानक जयदेव ने मुझे चंडीगढ़ के खिलाफ ओपनिंग करने के लिए कहा. मैं एकदम चौंक गया, लेकिन मैं आगे आया. उस मैच में मैंने बतौर ओपनर 70 रन बनाए थे. इसीलिए उन्हें अपने खिलाड़ियों पर इतना भरोसा है.’’

विजय हजारे ट्रॉफी, 2022 जीतने के बाद, बल्लेबाज कुशांग दिनेश भाई पटेल (बाएं), कप्तान जयदेव उनादकट (बीच में) और चेतन सकारिया (दाएं) | इंस्टाग्राम/Chetan Sakariya

उन्होंने कहा कि उनादकट ने न केवल टीम की प्रतिभाओं के साथ मिलकर काम किया है बल्कि उनके प्रयासों को स्वीकार किया और उन्हें नई ऊंचाइयों तक पहुंचने में मदद की है.

वासवदा ने कहा, ‘‘उनादकट अपनी सूझबूझ से फैसले निर्णय लेते हैं. वह चेतन जैसे पुछल्ले खिलाड़ी को पांचवे या सातवें नंबर पर बल्लेबाज़ी के लिए प्रोत्साहित करते हैं. वह खिलाड़ियों को मुश्किल स्थिति के लिए मानसिक तौर पर अच्छी तरह तैयार करते हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वह खेल में प्रत्येक खिलाड़ी के योगदान को नहीं भूलते.’’

उन्होंने कहा कि इसका एक हिस्सा टीम के लिए माहौल को तनावपूर्ण नहीं, सकारात्मक बनाए रखना भी है. उन्होंने कहा, ‘‘वह माहौल को बेहद हल्का बनाए रखते हैं, हमें रिलैक्स रखते हैं और सेलिब्रेट करते हैं. यह सब यादगार होता है और एक-दूसरे के बीच टीम का भरोसा बढ़ाने में भी मदद करता है.’’


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एक सुपरपावर जैसा आत्मविश्वास

सौराष्ट्र टीम ने सिलसिलेवार जीत हासिल करके एक नया मुकाम हासिल कर लिया है. इस सीज़न में दिल्ली के खिलाफ एक ग्रुप-स्टेज रणजी मैच के दौरान उनादकट ट्रॉफी के 88 साल के इतिहास में पहले ओवर में हैट्रिक लगाने एकमात्र खिलाड़ी बने. एक अन्य रिकॉर्ड में वासवदा दिनेश कार्तिक के बाद रणजी के सेमीफाइनल और फाइनल में शतक लगाने वाले एकमात्र खिलाड़ी बने.

विजय हजारे ट्रॉफी में मिडल ऑर्डर के बल्लेबाज़ शेल्डन जैक्सन को 133 रन (नाबाद) के साथ प्लेयर ऑफ द मैच पुरस्कार मिला और ऑलराउंडर चिराग जानी को महाराष्ट्र के खिलाफ फाइनल में टीम के लिए हैट्रिक मिली. ये प्रदर्शन उसी आत्मविश्वास को दर्शाते हैं जिसे टीम ने विकसित किया है.

दिप्रिंट से बात करने वाले कई खिलाड़ियों ने टीम के आत्मविश्वास को उसकी सबसे बड़ी ताकत बताया.

उन्होंने कहा, ‘‘हम अधिक निडर होकर खेलते हैं. ड्रेसिंग रूम के अंदर और बाहर दोनों हम अधिक अनुशासित हैं और अधिक आत्मविश्वास से भी भरे हैं.’’

वासवदा के अनुसार, टीम के लिए सबसे महान क्षणों में से एक मुंबई टीम के खिलाफ जीत थी, जो एक पारंपरिक रणजी पावरहाउस है, जिसने इतने सालों में 41 खिताब जमा किए हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास पुजारा या जडेजा नहीं थे क्योंकि वे ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज खेल रहे थे. यहां तक कि जयदेव भाई भी कुछ महत्वपूर्ण मैच नहीं खेल पाए. सौराष्ट्र के इन सभी दिग्गजों की गैरमौजूदगी में हमने मुंबई में मुंबई के खिलाफ 48 रनों से जीत हासिल की! मैं आपको बता दूं कि मुंबई में मुंबई के खिलाफ सौराष्ट्र की कोई भी टीम ऐसा नहीं कर पाई थी.’’

खासकर, जडेजा और पुजारा ने बॉर्डर-गावस्कर सीरीज में भारतीय टीम के लिए सराहना हासिल की है. पुजारा ने जहां, सीरीज़ में अपना 100वां टेस्ट मैच पूरा किया, जडेजा को दूसरे टेस्ट में प्लेयर ऑफ द मैच घोषित किया गया.

सही सेट-अप, बड़ी महत्वाकांक्षाएं

टीम के कोच नीरज ओडेदरा के मुताबिक, अच्छा बुनियादी ढांचा और सहयोग सौराष्ट्र टीम के प्रदर्शन, फॉर्मूले का एक अनिवार्य हिस्सा है.

फिलहाल ऑफ सीजन में आइसलैंड की नेशनल टीम को कोचिंग दे रहे ओडेदरा ने बरमूडा से फोन पर दिप्रिंट के साथ बातचीत में कहा, ‘‘बेहतर बुनियादी ढांचे के कारण भी टीम के प्रदर्शन में सुधार हुआ है. हमारे पास स्टेडियम में करीब 25 नेट्स हैं, जहां खिलाड़ी कभी भी आकर प्रैक्टिस कर सकते हैं. वहां पूरा सहयोग मिलता है.’’

अपने खुद के प्रयासों पर उन्होंने कहा, ‘‘मैंने खास तौर पर सौराष्ट्र के व्हाइट बॉल गेम पर कड़ी मेहनत की और परिणाम आपके सामने हैं. हमने 14 साल बाद विजय हजारे ट्रॉफी जीती है.’’

सीमित ओवरों के टूर्नामेंट के संबंध में टीम ने सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी हासिल करने पर अपनी नजरें गड़ा दी हैं. अभी जयदेव उनादकट और समर्थ व्यास इंडियन प्रीमियर लीग के आगामी सत्र के लिए क्रमशः लखनऊ सुपरजायंट्स और सनराइजर्स हैदराबाद के लिए खेलने की तैयारी कर रहे हैं.

ओडेदरा की आगे बढ़ने की बड़ी महत्वाकांक्षाएं हैं, ‘‘मैं सौराष्ट्र को अब व्हाइट बॉल के टूर्नामेंट में भी हावी होते देखना चाहता हूं.’’

(अनुवाद: रावी द्विवेदी | संपादन: फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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