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Wednesday, 20 November, 2024
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युद्ध के बंधकों और घायलों को बचाने वाली जेनेवा संधि का पाकिस्तान ने किया है उल्लंघन

दोनों देश जिस तरह से एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं इससे एक अघोषित युद्ध जैसा माहौल खड़ा हो रहा है. इसी बीच सोशल मीडिया पर जेनेवा कन्वेंशन ट्रेंड कर रहा है.

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नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच पुलवामा फिदायीन हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है. बुधवार को दोनों देशों ने एक दूसरे पर आरोप लगाया जिसमें वायु सेना के विमानों के मार गिराने का दावा भी किया गया. दोनों देशों के बीच बढ़ी तनातनी के बीच भारतीय विदेश मंत्रालय ने पुष्टी किया कि उसने पाकिस्तान का एक वायु यान को गिरा दिया है वहीं यह भी माना कि एक मिग विमान क्षतिग्रसत हो गया है और एक पायलट लापता है. इसी बीच पाकिस्तान वायु सेना ने भारतीय सीमा के भीतर घुसकर नौशेरा में बमबारी भी की.

पाकिस्तान सेना ने एक विडियो जारी कर उसे भारतीय विंग कमांडर बताने का दावा किया है. एएनआई की खबर के मुताबिक भारत ने पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए साफ तौर पर कहा है कि पाकिस्तान ने भारतीय वायुसेना बंधक बना लिए गये पायलट की जिस तरह से नुमाइश की है वह जेनेवा कन्वेंशन का उल्लंघन है. उसे अच्छी तरह समझ लेना चाहिए कि हिरासत में लिए गये भारतीय सुरक्षा जवान को कोई नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए. भारत उसकी तुरंत और सुरक्षित वापसी चाहता है. दोनों देश जिस तरह से एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं इससे एक अघोषित युद्ध जैसा माहौल खड़ा हो रहा है. इसी बीच सोशल मीडिया पर जेनेवा कन्वेंशन ट्रेंड कर रहा है जिसके बाद यह जानना जरूरी हो जाता है कि यह आखिर है क्या.

क्या है जेनेवा कन्वेंशन

दो देशों के बीच जब भी युद्ध होता है उसमें बहुत क्षति होती है. जान-माल का व्यापक स्तर पर नुकसान होता है. बहुत सारे लोग मारे जाते हैं घायल होते हैं और गिरफ्तार कर लिए जाते हैं. मारे जाने वालों में ज्यादातार दोनों देशों के सैनिक होते हैं. सैनिकों के अलावा उन दोनों देशों के नागरिक भी युद्ध में मारे जाते हैं. जो लोग मर गए हैं, उनका कुछ नहीं किया जा सकता. लेकिन जो लोग घायल हो गए, या फिर जिन्हें इलाज़ की जरूरत है, उनकी बेहतरी के लिए चीजें की जा सकती हैं. इसको लेकर 1864 से 1949 तक स्विटजरलैंड के जेनेवा में कई तरह की संधि हुई. इन सभी को हम एक साथ जेनेवा संधि कहते हैं. वर्तमान समय में हमारे पास चार जेनेवा संधि हैं. इनके अलावा तीन प्रोटोकाल हैं. जिसको इन संधि के साथ जोड़ा गया.

इसका मकसद था कि युद्ध में जो सैनिक या आम नागरिक घायल हुए हैं उनको स्वास्थय सुविधाएं दी जाए. उनकी जान बचाने का पूरा प्रयास किया जाए.

दूसरे विश्व युद्ध के पहले जेनेवा कन्वेंशन

पहला जेनेवा कन्वेंशन

जेनेवा कन्वेंशन की पृष्ठभूमि रेड क्रास सोसाइटी की स्थापना से शुरू होती है. जिसे हेनरी डे्यूनेट ने किया था. वो एक स्विस व्यापारी और समाजिक कार्यकर्ता थे. हेनरी 1859 में इटली में एक व्यापारिक यात्रा पर थे. उसी समय वहां एक युद्ध होता है. बैटल ऑफ सलफेरिनो. इस युद्ध में कई लोग मारे जाते हैं और बहुत सारे लोग घायल हो गए. युद्ध में हुई जान-माल की क्षति को देखकर हेनरी डे्यूनेट का मन विचलित होता है. वे इस युद्ध से इतना प्रभावित होते हैं कि घायलों की मदद करने की ठान ली. हिस्टरी चैनल के मुताबिक वे 1862 में ‘ए मेमोरी ऑफ सलफेरिनो’ नाम से एक फर्स्ट-हैंड अकाउंट लिखते हैं. जिसमें उन्होंने युद्ध के दौरान का आंखों देखा हाल लिखने के अलावा युद्ध से पीड़ित लोगों की मदद के लिए एक प्रस्ताव भी पेश किया. जिसमें उन्होंने युद्ध से पीड़ित लोगों को मानवीय रूप से मदद करने की बात कही.

हेनरी द्वारा उठाए गए मुद्दे को लेकर स्विटजरलैंड में एक कांफ्रेस का आयोजन किया गया. इसमें इस बात पर चर्चा हुई कि किस तरह युद्ध में घायल सैनिकों को राहत पहुंचाई जाए. और इस तरह से 1864 में 12 यूरोपियन देशों ने मिलकर पहला जेनेवा कन्वेंशन तैयार किया.

सेंकेंड जेनेवा कन्वेंशन

1906 में आए इस कन्वेंशन में पहले कन्वेंशन के कुछ प्रावधानों को जोड़ा गया. इस कन्वेंशन में घायल सैनिकों के अलावा बीमार सैनिकों की देखभाल के लिए भी प्रावधान जोड़ा गया. और इनकी मदद करेगा रेड क्रॉस सोसाइटी. दुनिया भर में इसके करोड़ों कर्माचारी हैं और इस संस्था को 1917, 1944 और 1963 में नोबल शांति पुरस्कार दिया गया. यह कन्वेंशन केवल जमीन पर लड़ी जा रही लड़ाईयों के लिए था. जो युद्ध समुंद्र में हो रहे थे, उसके लिए इस कन्वेंशन में कोई प्रावधान नहीं था.

तीसरा जेनेवा कन्वेंशन

तीसरा कन्वेंशन में प्रिज़नर ऑफ वार को शामिल किया गया. प्रिज़नर ऑफ वार वो सैनिक होते हैं जो दो देशों के बीच हुए युद्ध में दुश्मन देश द्वारा बंधक बना लिए जाते हैं. यह कन्वेंशन 1929 में आया था. जिसमें कहा गया था युद्ध में बंधक बनाए गए लोगों के साथ मानवीय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए. किसी भी युद्धबंदियों को डराया धमकाया नहीं जाना चाहिए. तथा उन्हें केवल उनके नाम, सैन्यपद, नंबर और युनिट से ही पहचाना जाना चाहिए.

दूसरे विश्वयुद्ध के बाद जेनेवा कन्वेंशन

कई शक्तिशाली देशों के बीच लड़े गए दूसरे विश्वयुद्ध में जेनेवा कन्वेंशन का उल्लंघन किया गया. 1948 में स्टॉकहोम में जेनेवा कन्वेशन की रूप रेखा फिर से तैयार किया जाता है. और 12 अगस्त 1949 से चार जेनेवा कन्वेंशन लागू किया जाता है. पहले के तीन जेनेवा कन्वेंशन लगभग पहले के कन्वेशन जैसे ही थे लेकिन चौथे कन्वेंशन में एक नई बात जोड़ी गई. 194 देशों की सहमती से पारित हुए इस कन्वेंशन में युद्धरहित इलाकों के नागरिक जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से युद्ध में शामिल हैं, उनके लिए प्रावधान बनाया गया. जैसे अगर दो देशों में अगर युद्ध होता है तो जिस जगह युद्ध हो रहा है वहां के लोगों का जो भी नुकसान हुआ है, उसे बचाने के लिए इस प्रावधान को जोड़ा गया.

पाकिस्तान पहले कई बार कर चुका है उल्लंघन

पाकिस्तान द्वारा जेनेवा कन्वेंशन का उल्लंघन करना कोई नई बात नहीं है. इससे पहले भी उसने कई बार यह साबित किया है कि उसके लिए इस अंतराष्ट्रीय संधि का कोई मतलब नहीं है. 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान कैप्टन सौरभ कालिया और उनके पांच साथियों के साथ पाकिस्तान ने बहुत बुरा बर्ताव किया था. उनकी आंखें निकाल ली गई थी, उनकी ऊंगलियां काटी गई और उनकी ऑटोप्सी से यह बात भी सामने आई कि उन्हें सिगरेट से जलाया गया. इसके अलावा 2013 में पाकिस्तानी आतंकी लांस नायक हेमराज का सिर काट कर ले गए थे.

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