नई दिल्ली: जमीयत उलेमा-ए-हिंद के 34वें आम सत्र में संगठन के अध्यक्ष सैयद अरशद मदनी के विवादित भाषण के बाद कई धार्मिक नेता मंच से चले गए.
#WATCH दिल्ली: जमीयत उलेमा-ए-हिंद प्रमुख मौलाना सैयद अरशद मदनी के संबोधन के बाद मंच पर उपस्थित आचार्य लोकेश मुनि (जैन मुनि) ने नाराज़गी जाहिर करते हुए कहा, "हम उनके(अरशद मदनी) वक्तव्य से सहमत नहीं है। हम केवल आपस में मिलजुल कर रहने से सहमत हैं।" https://t.co/LB4GPrpL39 pic.twitter.com/kNSH849N42
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 12, 2023
मंच पर मौजूद जैन मुनि, आचार्य लोकेश मुनि ने मदनी की टिप्पणी पर नाराजगी व्यक्त की और कहा, ‘हम केवल मिल-जुलकर रहने से सहमत हैं, लेकिन ओम, अल्लाह और मनु के बारे में सभी कहानी बकवास है. वह (मदनी) ने सत्र का माहौल पूरी तरह खराब कर दिया.’
उन्होंने (मदनी) सत्र का माहौल पूरी तरह खराब कर दिया. उन्होंने कहा, ‘उन्होंने जो कहानियां कहीं, मैं उससे भी बड़ी कहानियां सुना सकता हूं. मैं उनसे (मदनी) से मेरे साथ बहस के लिए आने का अनुरोध भी करूंगा, या यहां तक कि मैं सहारनपुर में उनसे मिलने आ सकता हूं.’
उन्होंने आगे कहा, ‘यह याद रखना चाहिए कि पहले जैन तीर्थंकर ऋषभ थे और उनके पुत्र भरत और बाहुबली थे, जिनके नाम पर इस देश का नाम ‘भारत’ पड़ा. आप इसे मिटा नहीं सकते. हम उन बयानों से सहमत नहीं हैं.’
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष सैयद अरशद मदनी ने इससे पहले दिन में यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया था कि उन्होंने ‘धर्म गुरुओं से पूछा कि जब कोई नहीं था, न श्री राम, न ब्रह्मा और न ही शिव, तो मनु किसकी पूजा करते थे?’
उन्होंने कहा, ‘कुछ ने मुझे बताया कि वे ‘ओम’ की पूजा करते थे. मैंने कहा कि यह ‘ओम’ ही है, जिसे हम अल्लाह कहते हैं, फारसी बोलने वाले ‘खुदा’ और अंग्रेजी बोलने वाले ‘गॉड’ कहते हैं.’
मदनी ने कहा, ‘इसका मतलब है कि केवल एक ओम या अल्लाह है, और दोनों एक ही हैं, और मनु केवल इसी की पूजा करते थे. कोई शिव, कोई ब्रह्मा नहीं था, लेकिन केवल एक ओम और अल्लाह की पूजा की जाती थी.’
मदनी ने सत्र को संबोधित करते हुए यह भी कहा, ‘इस देश में हिंदू और मुसलमान करीब 1400 साल से भाइयों की तरह रह रहे हैं और हमने कभी किसी को जबर्दस्ती इस्लाम में धर्मांतरित नहीं किया.’
उन्होंने कहा, ‘यह केवल भाजपा सरकार के तहत है कि हमने सुना है कि 20 करोड़ मुसलमानों को घर भेज दिया जाना चाहिए. उन्हें घर भेजने का उनका मतलब उन्हें हिंदू बनाना था. ये लोग भारत के इतिहास के बारे में कुछ नहीं जानते हैं.’
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