नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गाजियाबाद की एक स्पेशल पीएमएलए अदालत द्वारा पत्रकार राणा अय्यूब को समन किए जाने वाले फैसले को चुनौती देने वाली की याचिका को खारिज कर दिया. शीर्ष अदालत ने कहा, ‘हम इस याचिका को खारिज कर रहे हैं.’
शीर्ष अदालत ने कहा कि मामले से जुड़े सवालों के जवाब के लिए सबूतों की जरूरत हैं और इसलिए वह ट्रायल कोर्ट के समक्ष इस मुद्दे को उठाने की स्वतंत्रता देती है.
न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यन की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले की सुनवाई की और गाजियाबाद की अदालत के उस आदेश के खिलाफ अय्यूब की याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया, जहां उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (पीएमएलए) मामले के संबंध में समन जारी किया गया था.
शीर्ष अदालत ने 25 जनवरी को गाजियाबाद की एक विशेष अदालत से कहा था कि अय्यूब के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 27 जनवरी को सुनवाई की कार्यवाही 31 जनवरी के बाद की तारीख तक स्थगित कर दे.
सुनवाई के दौरान अय्यूब की ओर से पेश एडवोकेट वृंदा ग्रोवर ने पीठ को बताया कि वह एक अधिकार क्षेत्र का मुद्दा उठा रही हैं कि गाजियाबाद की अदालत को इस मामले की सुनवाई का अधिकार नहीं है.
ग्रोवर ने कहा कि अय्यूब की शिकायत मुंबई में दर्ज की जानी चाहिए, जहां अपराध होने का आरोप है, अपराध का उत्तरप्रदेश से कोई लेना देना नहीं है.
प्रवर्तन निदेशालय की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अय्यूब की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग एक अकेला अपराध नहीं है, ये और भी कई अपराधों से जुड़े हुए है.
बता दें कि पिछले साल 12 अक्टूबर को ईडी ने अय्यूब के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया और उन पर लोगों को धोखा देने तथा दान के नाम पर मिली 2.69 करोड़ रुपये की रकम का निजी संपत्ति बनाने में इस्तेमाल करने में तथा विदेश योगदान अधिनियम का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था.
मेहता ने कहा कि उत्तर प्रदेश के कई लोगों ने अय्यूब के अभियान में दान दिया है इसलिए कार्रवाई का एक हिस्सा गाजियाबाद और उत्तर प्रदेश में हुआ है.
राणा अय्यूब ने अप्रैल 2020 से ‘केटो’ प्लेटफॉर्म पर तीन धन जुटाने वाले अभियान शुरू किए और कुल 2,69,44,680 रुपये की धनराशि एकत्र की थी.
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