scorecardresearch
Thursday, 21 November, 2024
होमदेशनिजी संस्थाएं ‘खुला’ के जरिये शादी समाप्त करने का फैसला नहीं दे सकतीं: मद्रास हाई कोर्ट

निजी संस्थाएं ‘खुला’ के जरिये शादी समाप्त करने का फैसला नहीं दे सकतीं: मद्रास हाई कोर्ट

अदालत ने कहा, 'वे न्यायालय नहीं हैं और ना ही विवादों के निपटारे के लिए मध्यस्थ हैं.' अदालत ने कहा कि ‘खुला’ मामलों में इस तरह की निजी संस्थाओं द्वारा जारी प्रमाणपत्र अवैध हैं.

Text Size:

नई दिल्ली: मद्रास हाई कोर्ट के एक निर्णय के अनुसार मुस्लिम महिलाएं ‘खुला’ (तलाक के लिए पत्नी द्वारा की गई पहल) के लिए, अपनी शादी को समाप्त करने के लिए परिवार अदालत में अपील कर सकती हैं, ‘शरीयत काउंसिल’ जैसी निजी संस्थाओं में नहीं.

अदालत ने कहा कि निजी संस्थाएं ‘खुला’ के जरिये शादी समाप्त करने का फैसला नहीं दे सकतीं, निजी निकायों द्वारा जारी खुला प्रमाणपत्र कानून में अमान्य होगा.

अदालत ने कहा, ‘वे न्यायालय नहीं हैं और ना ही विवादों के निपटारे के लिए मध्यस्थ हैं.’ अदालत ने कहा कि ‘खुला’ मामलों में इस तरह की निजी संस्थाओं द्वारा जारी प्रमाणपत्र अवैध हैं.

एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी को जारी किए गए ‘खुला’ प्रमाणपत्र को रद्द करने का अनुरोध करते हुए हाई कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की थी.

न्यायमूर्ति सी. सरवनन ने इस मामले में अपने फैसले में शरीयत काउंसिल ‘तमिलनाडु तौहीद जमात’ द्वारा 2017 में जारी प्रमाणपत्र को रद्द कर दिया.

न्यायाधीश ने अलग रह रहे जोड़े को निर्देश दिया कि वे अपने विवादों को सुलझाने के लिए या तो तमिलनाडु विधिक सेवा प्राधिकरण या पारिवारिक न्यायालय से संपर्क करें.

न्यायमूर्ति सी. सरवनन ने चेन्नई के मनाडी में शरीयत काउंसिल ऑफ तमिलनाडु तौहीद जमात द्वारा जारी एक खुला प्रमाणपत्र को रद्द करते हुए यह आदेश दिया कि दंपति को अपने विवादों को सुलझाने के लिए या तो तमिलनाडु विधिक सेवा प्राधिकरण या पारिवारिक न्यायालय से संपर्क करना होगा.

फैसले में कहा गया है कि मद्रास हाई कोर्ट ने बदीर सैयद बनाम केंद्र सरकार,2017 मामले में अंतरिम स्थगन लगा दिया था और उस विषय में ‘प्रतिवादियों (काजियों) जैसी संस्थाओं द्वारा ‘खुला’ के जरिये विवाह-विच्छेद को सत्यापित करने वाले प्रमाणपत्र जारी किये जाने पर रोक लगा दिया था.

अदालत ने कहा कि एक मुस्लिम महिला के पास यह विकल्प है कि वह ‘खुला’ के जरिये शादी को समाप्त करने के अपने अधिकार का इस्तेमाल परिवार अदालत में कर सकती है और जमात के कुछ सदस्यों की एक स्वघोषित संस्था को ऐसे मामलों के निपटारे का कोई अधिकार नहीं है.


यह भी पढ़ें: श्रद्धा मर्डर केस में आफताब पूनावाला के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने 3,000 पेज की चार्जशीट तैयार की


share & View comments