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Friday, 22 November, 2024
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AAP ने असंवैधानिक बताकर ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का किया विरोध, कहा- लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ

आप ने कहा कि "चुनाव एक साथ होते हैं तो राज्य केंद्रित मुद्दे सार्वजनिक चर्चा से दूर हो जाएंगे क्योंकि यह शक्तिशाली और संसाधन-संपन्न दलों द्वारा नियंत्रित खेल बन जाएगा."

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नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के प्रस्ताव का विरोध करते हुए इसे असंवैधानिक और लोकतंत्र के सिद्धांतों के खिलाफ बताया है. पार्टी ने कहा कि प्रस्ताव बीजेपी के कथित ‘ऑपरेशन लोटस’ को वैध बनाने और विधायकों की खरीद-फरोख्त को वैध बनाने के लिए है. यदि किसी दल को बहुमत नहीं मिलता है, तो विधायक और सांसद सीधे राष्ट्रपति-शैली के वोट के माध्यम से मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री का चुनाव कर सकते हैं.

आम आदमी पार्टी मुख्यालय पर एक संवाददाता सम्मेलन में आप की वरिष्ठ नेता और विधायक आतिशी ने कहा, “आम आदमी पार्टी ने एक देश एक चुनाव के प्रस्ताव के खिलाफ अपनी चिंताओं को उजागर करते हुए राष्ट्रीय विधि आयोग को 12 पन्नों का जवाब दिया है. संसद के पास संविधान में संशोधन करने की शक्ति है. फिर भी, यह उसके मूल ढांचे को बदल नहीं सकता है, जैसा कि केशवानंद भारती मामले के ऐतिहासिक फैसले में सर्वोच्च न्यायालय की 13 न्यायाधीशों की पीठ द्वारा आयोजित किया गया था.” उन्होंने कहा, “संविधान का मूल ढांचा देश को लोकतंत्र के संसदीय स्वरूप की गारंटी देता है. विधायिका प्रश्नों, प्रस्तावों, अविश्वास प्रस्तावों, स्थगन प्रस्तावों और बहसों के माध्यम से सरकार की जांच कर सकती है. सरकार तब तक चलती है जब तक उसे विश्वास है. लेकिन वन नेशन वन इलेक्शन प्लान में यह पूरी अवधारणा बदल जाती है.

उन्होंने कहा, “चुनाव एक साथ होते हैं तो राज्य केंद्रित मुद्दे सार्वजनिक चर्चा से दूर हो जाएंगे क्योंकि यह शक्तिशाली और संसाधन-संपन्न दलों द्वारा नियंत्रित खेल बन जाएगा.”

“ऐसे पैटर्न हैं जो इंगित करते हैं कि समाज के विभिन्न वर्ग राज्य और केंद्र के चुनावों में दो पूरी तरह से अलग पार्टियों को वोट देते हैं. चुनाव लोकतांत्रिक अभ्यास होने के बजाय धन और बाहुबल का खेल बन जाएगा. इस प्रक्रिया से संसदीय प्रणाली की मूल भावना ही बदल जाएगी.”

आतिशी ने यह भी कहा, “कॉन्सट्रक्टिव वोट ऑफ नो-कॉन्फिडेंस” की शुरुआत करके, एक साथ चुनाव लोकतंत्र और लोगों के अपने प्रतिनिधियों को चुनने और उन्हें जवाबदेह ठहराने के अधिकार को कमजोर कर देंगे. आज की स्थिति में, चुनाव फिर से होते हैं और लोगों को यह अधिकार है कि वे फिर से अपना निर्णय लें. और जनता फिर से मतदान करके नई सरकार चुन सकती है. लेकिन ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ सिस्टम में लोगों को अगले चुनाव तक इंतजार करना होगा.”

“इस प्रस्ताव में एक और बहुत खतरनाक बात है जिसे ‘कॉन्सट्रक्टिव वोट ऑफ नो कॉन्फिडेंस’ कहा जाता है यानी अगर अविश्‍वास प्रस्‍ताव के बाद अगर कोई सरकार गिरती है तो वही मुख्‍यमंत्री या प्रधानमंत्री अपने पद पर तब तक बना रहेगा जब तक कि कोई और सरकार न बना ले. सरकार. इसका मतलब यह है कि सदन में बहुमत न होने के बावजूद सरकारें कई वर्षों तक चल सकती हैं, क्योंकि चुनाव पांच साल बाद ही हो सकते हैं.

आप विधायक ने कहा, त्रिशंकु संसद/विधानसभा की स्थिति में प्रधानमंत्री/मुख्यमंत्री के चयन का प्रस्तावित तंत्र अव्यावहारिक, खतरनाक है और इससे विधायकों का संस्थागत दल-बदल होगा. ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के प्रस्ताव का सबसे खतरनाक पहलू यह है कि ‘मान लीजिए किसी की सरकार नहीं बनी या किसी दल को बहुमत नहीं मिला तो प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री का चुनाव कैसे होगा. क्योंकि चुनाव 5 साल बाद ही हो सकता है, ऐसी स्थिति में विधायकों की खरीद-फरोख्त वैध और संवैधानिक हो जाएगा.”

उन्होंने अंत में कहा, “हमारा एक सवाल है कि यह प्रस्ताव क्यों लाया जा रहा है. यह बार-बार कहा जाता है कि चुनावों में बहुत खर्च होता है. चुनाव एक बहुत महंगी प्रक्रिया है. इस वजह से हम ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ ला रहे हैं.” 2019 के आम चुनावों में 9,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे. अगर हम यह मानें कि उनका लगभग सारा पैसा राज्यों के चुनाव कराने में खर्च होता है. यदि दोनों चुनाव एक साथ होते हैं, तो स्वाभाविक है कि अधिक संसाधन, अधिक ईवीएम मशीन और अधिक फोर्सेज की जरूरत होती. ऐसे में मान लें कि 9,000 करोड़ रुपए का कम से कम 50 फीसदी और खर्च होता.

“कुल मिलाकर 5 साल में 5000 करोड़ रुपए बचाने के लिए यानी एक साल में एक हजार करोड़ रुपए के खर्च को बचाने के लिए आज हमारे देश के लोकतंत्र और जनता के शासन को खतरे में डाला जा रहा है. आम आदमी पार्टी ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के इस प्रस्ताव का पुरजोर विरोध करती है.” यह असंवैधानिक है और यह लोकतंत्र के सिद्धांतों के खिलाफ है.”

प्रेस कॉन्फ्रेंस में आप नेता जैस्मीन शाह ने कहा, ‘2018 में लॉ कमीशन ने इस विचार का विश्लेषण किया और वन नेशन वन इलेक्शन का समर्थन करते हुए 175 पेज की रिपोर्ट जारी की. हमने अच्छे और बुरे को समझने के लिए खुले दिमाग से प्रस्ताव का विश्लेषण किया.’ यदि हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे होते कि प्रस्ताव से देश को लाभ हो सकता है, तो हम निश्चित रूप से इसका समर्थन करते. लेकिन जब हमने रिपोर्ट को बारीकी से पढ़ा और विचार को लागू करने की उनकी योजना को देखा, तो हम एक बहुत अलग निष्कर्ष पर पहुंचे हैं. ”

प्रेस कॉन्फ्रेंस में आप नेता जैस्मीन शाह ने कहा, ‘2018 में लॉ कमीशन ने इस विचार का विश्लेषण किया और वन नेशन वन इलेक्शन के समर्थन में 175 पेज की रिपोर्ट निकाली. हमने प्रस्ताव का अच्छे और बुरे को समझने के लिए खुले दिमाग से विश्लेषण किया.’ यदि हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे होते कि प्रस्ताव से देश को लाभ हो सकता है, तो हम निश्चित रूप से इसका समर्थन करते. लेकिन जब हमने रिपोर्ट को बारीकी से पढ़ा और विचार को लागू करने की उनकी योजना क्या है, तो हम एक बहुत अलग निष्कर्ष पर पहुंचे हैं. ”
उन्होंने आगे कहा, “भारतीय संविधान की मूल संरचना के सिद्धांतों में से एक सरकार की संसदीय प्रणाली है.

उन्होंने कहा, ‘अगर ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ प्रस्ताव को उसके मौजूदा फार्मूले के साथ अस्तित्व में लाया जाता है, तो यह बिल्कुल स्पष्ट है कि यह किस राजनीतिक दल को लाभ पहुंचाएगा. विधि आयोग को सौंपी गई आम आदमी पार्टी की 12 पन्नों की विस्तृत रिपोर्ट में हमने इन्ही तर्कों को शामिल किया है. हमने अपनी रिपोर्ट मीडिया के साथ भी साझा की है और हमारा कहना है कि लोग इसे जरूर पढ़ें.

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