सुप्रीम कोर्ट ने जजों के नाम सार्वजनिक कर के कुछ हद तक पारदर्शिता दिखाई है लेकिन बाकी उम्मीदवारों के लिए भी यह होना चाहिए. इस तरह के निराधार सरकारी तर्कों को सार्वजनिक करने से सिर्फ कार्यपालिका-न्यायपालिका का टकराव ही बढ़ेगा, जो कि खत्म होनी चाहिए. दांव पर जनहित लगा है.