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Tuesday, 19 November, 2024
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PM Modi की विदेशों में मजबूत छवि को बनाने में जुटे हैं भारतवंशी नेता

2003 में अटल बिहारी वाजपेयी के इंडियन डायस्पोरा के साथ प्रवासी भारतीय दिवस मनाने से लेकर मोदी द्वारा भारतीय मूल के लोगों को साधने तक, BJP ने प्रतिभा की सोने की खान को तैयार किया है.

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इंदौर में मंगलवार को संपन्न हुए 17वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन के अंतिम दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक तरफ गुयाना के राष्ट्रपति इरफान अली और दूसरी तरफ सूरीनाम के राष्ट्रपति चंद्रिकाप्रसाद संतोखी थे. यानि की एक मुस्लिम नेता और दूसरा हिंदू नेता जो कि ग्लोब के दूसरे हिस्से साउथ अमेरिका में अपने कैरियर के शीर्ष पर हैं.

2020 में जब वे निर्विरोध चुने गए, उस समय चैन संतोखी की वतन हितकारी पार्टी (वीएचपी) काफी हद तक इंडो-सूरीनामी पार्टी थी, लेकिन उनके साथ, यह एक बहु-जातीय प्रगतिशील सुधार पार्टी बन गई. संतोखी शपथ ग्रहण समारोह के दौरान संस्कृत श्लोकों और मंत्रों का पाठ करना नहीं भूले- वहीं, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने पिछले साल लंदन में गीता पर हाथ रख कर गोपनीयता की शपथ लेते हुए किताब से एक पत्ता निकाला था.

इरफान अली के फेसबुक पेज पर, प्रवासी भारतीय सम्मेलन की उनकी और मोदी की तस्वीरों पर बारबरा पर्सौद-तिवारी (‘प्रसाद’, ‘परसाद’ या ‘पर्सौद’), पूनम रामनरीन (‘राम नारायण’) और रूडोल्फ बालकरन जैसे नाम वाले प्रशंसकों के कॉमेंट्स आए.

इरफान अली ने मोदी की प्रतिष्ठा के बारे में साफगोई से बात की और जिक्र किया कि भारत ने कैसे गुयाना को महामारी से निपटने में मदद के मकसद से 80,000 कोविड टीके भेजे थे.


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मोदी की तारीफ, बदलता नज़रिया

मोदी और भारत के बारे में अधिक प्रशंसा हाल-फिलहाल ही सुर्खियों में आई. नवंबर में द इकोनॉमिस्ट ने कहा था कि 2023 भारत को दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनने में मदद करेगा, देश की विकास दर सात प्रतिशत तक पहुंच जाएगी. पत्रिका ने कहा कि यूरोप रूस-यूक्रेन युद्ध के तनाव से जूझ रहा था, भारत ने आर्थिक और राजनीतिक स्थिरता दोनों को बनाए रखने के लिए रूस से सस्ते तेल की खरीद का लाभ उठाया.

इस बीच, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के मुख्य इकोनॉमिसट पियरे-ओलिवियर गौरिनचास ने भारत को अंधकार की दुनिया में “चमकती रोशनी” के रूप में दर्शाया, जबकि ब्रिटिश थिंक टैंक, सेंटर फॉर इकोनॉमिक्स एंड बिजनेस रिसर्च का कहना है कि भारत 2036 में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा.

यह स्पष्ट है कि मोदी अपनी तारीफ से उत्साहित होते हैं. सत्ता के अपने 8 साल में केवल दूसरी बार, उन्होंने परंपरा को तोड़ा और सोमवार को एक विदेशी देश की आंतरिक राजनीतिक स्थिति के बारे में ट्वीट किया – रियोट्स इन ब्राजील. हालांकि, भारत ने विदेशी राष्ट्रों की आंतरिक स्थिति के बारे में टिप्पणी करने से हमेशा परहेज किया है.

देश में कुछ ज़रूर बदल रहा है. कथित रूप से राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो की हार के बाद हुए दंगों का ज़िक्र करते हुए, पीएम ने ट्वीट किया कि वह दंगों और बर्बरता की खबरों के बारे में “चिंतित” थे और “लोकतांत्रिक परंपराओं का सभी को सम्मान करना चाहिए.”

मोदी ने केवल दूसरी बार किसी बाहरी देश के आंतरिक मामलों के बारे में ट्वीट किया था, इससे पहले एक ट्वीट अमेरिका में तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के जो बाइडन से चुनाव हारने के बाद कैपिटल हिल पर दंगों के मद्देनजर था.

मोदी दुनियाभर के पत्रकारों द्वारा खींची गई मजबूत और धमकाने वाली छवि को संजो कर रखना चाहते हैं और 2023 में एक नए संदेश के साथ प्रवेश करना चाहते हैं.

“प्रवासी भारतीय” या “इंडियन डायस्पोरा” पर जोर दिया जाना इस रणनीति का हिस्सा नज़र आता है कि मोदी सिर्फ भारतीयों के पीएम नहीं हैं, बल्कि विदेशों में रहने वाले सभी भारतीय मूल के लोगों के साथ वह एक मजबूत संबंध बनाए रखना चाहते हैं, चाहे कितने ही साल पहले उन लोगों ने अपनी मातृभूमि को छोड़ दिया हो और चाहे वह लोग कितनी भी विकट परिस्थितियों में क्यों न हों.

2003 में अटल बिहारी वाजपेयी के इंडियन डायस्पोरा के साथ प्रवासी भारतीय दिवस मनाने से लेकर मोदी द्वारा भारतीय मूल के लोगों को साधने तक, BJP ने प्रतिभा की सोने की खान का दोहन किया है.

अटल बिहारी वाजपेयी, जिन्होंने 2003 में प्रवासी दिवस के साथ इंडियन डायस्पोरा का उत्सव शुरू किया, मोदी की भारतीय मूल के लोगों को साधने तक, बीजेपी ने निश्चित रूप से प्रतिभा, कड़ी मेहनत और मॉडल की सोने की खान को संजोया है जिसने भारतीय समुदाय को विश्व स्तर पर कठिन कार्यों का पालन करने के लिए मजबूत किया है.


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न्यू डायस्पोरा

पिछले 150 साल में इंडियन डायस्पोरा में कई बदलाव हुए हैं, पहले भारतीयों ने ब्रिटिश एम्पायर के चीनी के बागानों में काम करने के लिए कॉन्ट्रैक्ट मजदूर, या “गिरमिटिया” (‘समझौते’ शब्द के अर्थ) के रूप में दुनिया के सभी कोनों की यात्रा की थी- सूरीनाम, गुयाना, वेस्ट इंडीज, दक्षिण अफ्रीका और मॉरीशस इसके कुछ उदाहरण हैं.

चैन संतोखी और इरफान अली के पूर्वज “गिरमिटिया” थे- दिलचस्प बात यह है कि सूरीनाम एक डच कॉलोनी थी, जिसने 1975 में स्वतंत्रता हासिल की, इसलिए संतोखी एक मूल निवासी की तरह डच भाषा बोलते हैं. 18वीं शताब्दी में अंग्रेज़ों द्वारा बसावट बनाने से पहले इरफान अली का गुयाना भी एक डच कॉलोनी में था – यह 1966 में स्वतंत्र हो गया.

इसके बाद अमेरिका जैसे पश्चिमी देशों में बड़े पैमाने पर भारतीय आर्थिक प्रवासी पहुंचे, जो पिछले 50 वर्षों में अपने को गोद ली हुई ज़मीन में एक आदर्श समुदाय के जैसे बस गए हैं. भारतीय मूल के एक अमेरिकी अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, (“हमने आधी दूरी पाने के लिए दोगुनी मेहनत की”) – कमला हैरिस, सुंदर पिचाई, सत्या नडेला, रिचर्ड वर्मा इस बेहद सफल भारतीय-अमेरिकी आइसबर्ग के सिर्फ उदाहरण हैं.

नीले और सफेद कॉलर वाले मजदूर जो खाड़ी देशों के चमचमाते शहरों में काम कर रहे हैं और बड़ी मात्रा में देश में पैसे भेजते हैं वे प्रशंसा के योग्य है. और देश की इकॉनोमी में सहयोग कर रहे हैं. विश्व बैंक माइग्रेशन और डेवल्पमेंट पर अगर नजर डालें तो ये गुमनाम नायकों के कारण भारत को आने वाले साल में 100 बिलियन डॉलर रुपये देश में आएगा.

सच्चाई तो यह है कि पीएम मोदी इंडियन डायस्पोरा को विदेशों में प्रभाव बढ़ाने के लिए एक पुल के रूप में इस्तेमाल करना चाहते हैं. यह तर्क कि दूसरी नागरिकता के इंडियन्स पर कुछ भी बकाया नहीं है और वे अपने पीछे छोड़े गए देश के बारे में अब कम ही महसूस करते हैं – एक वैश्वीकृत दुनिया में, जहां ट्विटर और फेसबुक मौजूद हैं- समय और दूरी के इतर एक-दूसरे से जुड़ने की जरूरत है.

इसी ज़रूरत को मोदी सरकार भुना रही है. मोदी जानते हैं कि जब तक भारत बहु-सांस्कृतिक और लोकतांत्रिक बना रहता है, तब तक विदेशों में रह रहे भारतीय अपने देश में होने वाली गतिविधियों के बारे में ज्यादा परवाह नहीं करते, यहां एक आम लिंचिंग उनके विचार को बदलने के लिए काफी नहीं है.

इसलिए प्रवासी भारतीय सम्मेलन इतना महत्वपूर्ण है. यह लोगों को एकजुट करता है. क्रॉस-पॉलीनेशन होता है जिसमें हर कोई जीतता है.

(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)

(लेखक कंसल्टिंग एडिटर हैं. उनका ट्विटर हैंडल @jomalhotra है. व्यक्त विचार निजी हैं.)

(इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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