मार्च के महीने में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड और आईपीएल के मालिकों में ठनना तय है. आप भी इसकी वजह जान लीजिए. 2 मार्च से लेकर 13 मार्च तक भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू वनडे सीरीज खेलेगी. इसके बाद मार्च के आखिरी हफ्ते से आईपीएल का 12वां संस्करण शुरू हो जाएगा. आईपीएल जब खत्म होगा तो टीम इंडिया के सामने विश्व कप की चुनौती होगी. 2019 विश्व कप इंग्लैंड में खेला जाना है.
असली टकराहट इसी शेड्यूल को लेकर होनी है. बीसीसीआई चाहेगी कि उसके खिलाड़ी विश्व कप 2019 के लिए तरोताजा रहें. जिसके लिए उन्हें कुछ आराम मिलना चाहिए. जबकि इससे ठीक उलट फ्रेंचाइजी की चाहत होगी कि उसके स्टार खिलाड़ी हर मैच के लिए मैदान में उतरें. आईपीएल का ये सीजन मई के दूसरे हफ्ते में खत्म होगा जबकि विश्व कप के मुकाबले चौथे हफ्ते से शुरू होंगे.
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यानि कुल मिलाकर आईपीएल और विश्व कप के बीच में 10-12 दिनों का वक्त खिलाड़ियों को मिलेगा. बीसीसीआई और फ्रेंचाइजी मालिकों में हितों का यही टकराव विवाद कराएगा. बात बाहर आए ना आए लेकिन त्योरियां खिंचेगी जरूर. सबसे पहले जान लेते हैं कि मौजूदा टीम के स्टार खिलाड़ियों में से कौन किस टीम के साथ है. यहां हम उन्हीं खिलाड़ियों का जिक्र कर रहे हैं जो टीम इंडिया के ‘की-प्लेयर’ हैं.
इन 10 खिलाड़ियों में से भी ज्यादा परेशानी तेज गेंदबाजों को लेकर है. हाल के दिनों में जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद शमी ने आराम लिया है. भुवनेश्वर कुमार ने न्यूज़ीलैंड के खिलाफ सीरीज खेली है. बल्लेबाजों में विराट कोहली ने न्यूज़ीलैंड के खिलाफ वनडे सीरीज के आखिरी दो मैच और टी-20 सीरीज से आराम लिया था. इसके अलावा बाकी सभी खिलाड़ियों ने लगभग लगातार क्रिकेट खेला है. ये बात भी तय है कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू वनडे और टी-20 सीरीज में कुछ खिलाड़ियों को आराम दिया जाएगा.
क्यों आराम के पक्ष में नहीं रहते फ्रेंचाइजी मालिक?
दरअसल इसकी वजह बड़ी साफ है. आईपीएल के मालिकों का इन खिलाड़ियों में पैसा लगा है. उन्होंने आईपीएल की बोली में मोटी रकम देकर इन खिलाड़ियों को खरीदा है. ज़ाहिर है उनके लिए ‘बाप बड़ा ना भैया सबसे बड़ा रुपैया’ की कहावत हमेशा साथ चलती है. ऐसे में फ्रेंचाइजी मालिकों को इस बात की फिक्र रहती है कि अगर उनके स्टार खिलाड़ी मैदान में नहीं उतरे तो टीम के प्रदर्शन पर तो फर्क पड़ेगा ही पड़ेगा साथ ही फैंस को स्टेडियम तक लाना मुश्किल होगा. ऐसे में मालिक ये चाहते हैं उनके स्टार खिलाड़ी ज्यादा से ज्यादा मैच में मैदान में उतरें.
मैदान में पसीना बहाने के बाद लगातार सफर है असली परेशानी
20-20 का फॉर्मेट ऐसा कोई बहुत थकाने वाला नहीं होता. एक गेंदबाज को चार ओवर फेंकने होते हैं. वो चार ओवर भी अलग-अलग स्पेल में फेंकने होते हैं. असली परेशानी है खिलाड़ियों का सफर. आईपीएल के फॉर्मेट के हिसाब से टीमें आधे मैच अपने घर में और आधे मैच विपक्षी टीम के शहर में खेलती है. अलग-अलग शहरों में मैच खेले जाने की वजह से खिलाड़ी या तो मैदान में होते हैं या फ्लाइट में. उन्हें जिस तरह आराम मिलना चाहिए वो मिल नहीं पाता. आईपीएल के दौरान ‘स्पॉन्सर कमिटमेंट’ भी ज्यादा होते हैं.
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अब पार्टियों का सिलसिला तो कम हो गया है फिर भी मिलना जुलना लगा ही रहता है. इसके अलावा एक बड़ी परेशानी है चोट. लगातार मैदान में बने रहने का मतलब है चोट की संभावना का ज्यादा होना. टीम मैनेजमेंट कतई नहीं चाहेगा कि विश्व कप से ऐन पहले कोई खिलाड़ी चोटिल हो. हाल के दिनों में हार्दिक पांड्या पर लगे बैन से एक खिलाड़ी की कमी को टीम मैनेजमेंट और क्रिकेट फैंस सभी ने महसूस किया है. इस पूरे माहौल में आखिरी फैसला खिलाड़ी को ही करना है. उसे ही ये तय करना है कि मैदान में कब नहीं उतरना है. निश्चित तौर पर इसमें बतौर कप्तान विराट कोहली की अहम भूमिका रहेगी.
(शिवेंद्र कुमार सिंह खेल पत्रकार हैं. पिछले करीब दो दशक में उन्होंने विश्व कप से लेकर ओलंपिक तक कवर किया है. फिलहाल स्वतंत्र लेखन करते हैं.)