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Saturday, 23 November, 2024
होमदेशहिट एंड ड्रैग केस: बीमार मां, भाई-बहनों की फीस से लेकर खाना तक, परिवार की अकेली कमानेवाली थी अंजलि

हिट एंड ड्रैग केस: बीमार मां, भाई-बहनों की फीस से लेकर खाना तक, परिवार की अकेली कमानेवाली थी अंजलि

लगभग 8 साल पहले उसके पिता की मृत्यु हो गई थी. उसके बाद अंजली अपने परिवार की एकमात्र कमाने वाली सदस्य थी. शुरू में एक सैलून में काम किया, नौकरी छूटने के बाद शादी और इवेंट्स में काम करने लगी.

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नई दिल्ली: अंजलि सिंह का सपना था एक ब्यूटीशियन बनना, अपना खुद का पार्लर खोलना. ताकि वह अपनी बीमार मां और तीन छोटे भाई-बहनों का भरण-पोषण करने के लिए पर्याप्त कमाई कर सकें. उसे इंस्टाग्राम रील्स बनाना और ड्रेसअप करना बहुत पसंद था.

लेकिन नए साल से ठीक एक दिन पहले रात को इस 20 साल की लड़की की जान चली गई. इस घटना ने लोगों के मन शहर की सड़कों को सुरक्षित बनाने के लिए पुलिस के प्रतिबद्धता की कमी को लेकर नाराज कर दिया.

अपनी परिस्थितियों से लड़ते हुए अंजलि वैसे भी अपना जीवन हर दिन जोखिम में डाल ही रही थी. अंजलि के परिवार और दोस्तों ने दिप्रिंट को बताया कि नौकरी छूटने के बाद उसे इवेंट्स (शादी या फिर बर्थ-डे पार्टी) में काम करने को मजबूर होना पड़ा. उसकी आय कभी भी एक जैसी नहीं थी वो किसी दिन अपनी मां को 500 रुपये का नोट देती थी और किसी किसी दिन तो 2000 रुपये तक कमा लेती थी. उसका परिवार किसी तरह गुजारा कर रहा था.

अपनी मौत की रात भी अंजलि और उसकी दोस्त निधि दिल्ली के एक होटल की पार्टी में ही थी. यहां उनकी, कुछ लोगों के साथ बहस भी हुई थी. एक पुलिस सूत्र ने कहा, ‘दोनों लड़कियों का उसके पुरुष मित्रों के साथ विवाद हो गया था, जिसके बाद वे होटल से चली गईं थीं.’

रात करीब 1:30 बजे दोनों लड़कियां चली गईं थीं लेकिन केवल निधि वापस घर पहुंच पाई. 2.15 बजे तक अंजलि एक कार के पहिए के नीचे कुचल दी गई. पुलिस ने कहा कि कार सवार सभी पांचों लोग नशे में थे.

Crowds gather near Anjali Singh's Delhi residence, demanding justice for her, Tuesday| Manisha Mondal |ThePrint
इंसाफ की मांग को लेकर मंगलवार को अंजलि सिंह के दिल्ली स्थित आवास के पास भीड़ जमा हो गई | मनीषा मंडल | दिप्रिंट

अंजलि पार्टी के लिए अपने करण विहार स्थित घर से शाम करीब 5 बजे निकली थी. जाते वक्त उसने अपनी बीमार मां से कहा था वह कि अगली सुबह लौट आएगी. लेकिन सुबह उसकी बहन को पुलिस का फोन आया कि अंजलि का एक्सीडेंट हो गया है और परिवार को अस्पताल आना चाहिए.

उसकी स्कूटी की टक्कर एक बलेनो कार से हुई जिसके बाद उसे करीब 15 किमी तक घसीटा गया. उसका सिर कार के चक्के के साथ नीचे फंस गया जिसके कारण उसके शरीर से उसकी चमड़ी और कपड़े तक उतर गए.

हादसे की चश्मदीद उसकी सहेली निधि ने शुरू में पुलिस को घटना की जानकारी नहीं दी. पुलिस के सूत्रों के मुताबिक उसने बताया कि एक्सीडेंट के बाद दोनों अलग-अलग गिर गए और वह अपने घर वापस चली गई क्योंकि वह बहुत डर गई थी.

दिल्ली पुलिस के एक सूत्र ने कहा, ‘उसने बताया कि वह नशे में थी और वह नहीं चाहती थी कि कोई उससे पूछताछ करे, इसलिए वह वहां से भाग गई थी.’

सीसीटीवी फुटेज में दोनों लड़कियां रात करीब 1.30 बजे होटल से निकलती दिख रही हैं. सूत्रों के मुताबिक, अंजलि पार्टी में एक आदमी से बहस होने के तुरंत बाद चली गई.

निधि ने मंगलवार को कहा, ‘हमारे बीच इस बात पर बहस हुई थी कि स्कूटी कौन चलाएगा. एक्सीडेंट के समय, मैं काफी डर गई थी और समझ नहीं पा रही था कि क्या करूं, इसलिए मैंने पुलिस को फोन नहीं किया और घर वापस चली गई. कार तेज रफ्तार में थी और हमारी स्कूटी को टक्कर मार दी. अंजलि कार के नीचे फंस गई. मैं दूसरी तरफ गिर पड़ी थी. मुझे लगता है कि उन लोगों ने जानबूझकर उसे घसीटा. कार में तेज म्यूजिक नहीं बज रहा था.’


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‘घर में एकमात्र कमाने वाली’

अंजलि के पिता की मृत्यु लगभग आठ साल पहले संपत्ति विवाद में परिवार के किसी अन्य सदस्य द्वारा कथित तौर पर हमला करने के बाद हो गई थी. उनकी मां रेखा एक स्कूल में काम करती थीं, लेकिन लॉकडाउन और किडनी से जुड़ी बीमारियों के कारण उन्हें नौकरी छोड़नी पड़ी जिसके कारण आय के यह स्रोत भी बंद हो गया. अंजलि की दो बहनें थी, एक बड़ी और एक छोटी, दोनों की शादी हो चुकी है और दो छोटे भाई हैं.

परिवार करीब पांच साल पहले खरीदे गए तीन कमरों के घर में रहता है.

मां का काम बंद होने के बाद अंजलि ने ब्यूटी पार्लर में नौकरी कर ली. उसकी मां रेखा ने दिप्रिंट को बताया कि जब वहां भी उसकी नौकरी छूट गई, तो उसने इवेंट्स और शादियों में काम करना शुरू कर दिया.

लॉकडाउन के कारण अंजलि को काम कम ही मिल रहे थे और विकल्प भी अधिक नहीं थे. वह कमाई का जरिया ढूंढ रही थी कि एक दिन किसी ने उसे इवेंट में काम करने का सुझाव दिया. इसमें जल्दी पैसे मिल जाते थे और परिवार का भरण पोषण ठीक से चल जाता था.

अंजली की मां रेखा ने कहा, ‘वह कभी कभी सुबह सुबह जल्दी चली जाती थी और रात को देर से लौटती थी. कभी-कभी वह अगले दिन ही वापस आती थी. हम ज्यादा उससे सवाल नहीं पूछते थे. उस दिन उसने कहा कि वह पार्टी में जा रही है. रात करीब 9 बजे उसे दो बार फोन किया जिसमें हमने उससे आखिरी बार बात की. उसने मुझे रात का खाना खाने और सोने के लिए कहा और कहा कि वह अगले दिन वापस आएगी.’

Anjali’s sister and friends leave the house as the body was taken to the funeral ground Tuesday. | Manisha Mondal | ThePrint
अंजलि की बहन और दोस्त मंगलवार को शव के अंतिम संस्कार के लिए ले जाने के दौरान | मनीषा मंडल | दिप्रिंट

अंजलि की मौसी अनु कुमारी ने कहा, ‘पूरा परिवार उसकी कमाई पर ही निर्भर था. चाहें घर पर मौजूद सदस्य के पेट में खाना पहुंचाना हो या फिर छोटे भाइयों की स्कूल की फीस. सारी जरूरतें अंजलि ही पूरा किया करती थी. वह केवल कक्षा 9 तक ही पढ़ सकी. उसे पढ़ाई छोड़नी पड़ी क्योंकि परिवार की देखभाल करने वाला कोई और नहीं था.’

उनकी छोटी बहन अंशिका के लिए यह उनकी पढ़ाई का आखिरी पड़ाव था. उसने कहा, ‘दीदी हर चीज का ध्यान रखती थी. वह त्योहारों पर हमारे लिए गिफ्ट्स लेकर आती थी. उन्होंने सारी जिम्मेदारियां संभाल ली थी.’

मंगलवार को ऑटोप्सी रिपोर्ट में मौत के अंतिम कारण का पता चला जिसमें बताया गया कि सिर, रीढ़, बाएं फीमर और दोनों निचले अंगों में मौत होने से पहले गंभीर चोट लगी और रक्तस्राव हुआ. सभी चोटें गाड़ी से टक्कर लगने और घसीटने के कारण लगीं.

स्पेशल सीपी सागर प्रीत हुड्डा ने कहा, ‘रिपोर्ट के मुताबिक रेप और यौन उत्पीड़न का कोई निशान नहीं मिला है.’

दिल्ली पुलिस के सूत्रों के मुताबिक दुर्घटना के समय निधि नशे में थी और टक्कर मारने वाली कार में पांचों सवार लोग भी नशे में थे. उन्होंने पूछताछ के दौरान बताया कि उन्हें पता नहीं चला कि शरीर कार के नीचे फंस गया था और बाद में एहसास हुआ कि शरीर कार से उलझा हुआ है.

एक पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘उन्होंने कार को वापस अपने दोस्त आशुतोष के घर छोड़ दिया. कार उन्होंने अपने बहनोई लोकेश से उधार ली थी.’

इस घटना के कारण मां रेखा की दुनिया ही उजड़ गई. उसने 20 हजार रुपये स्कूटी के लिए उधार लिए थे और बाकी अंजली ने ईएमआई के जरिए चुकाए थे. उसने कहा, ‘भाग्य ने उसे इतनी रात को बाहर निकलने और देर तक काम करने के लिए मजबूर किया. हम जानते थे कि यह महिलाओं के लिए कितना असुरक्षित है लेकिन हमारे पास और कोई विकल्प नहीं था.’

अनु कुमारी ने कहा, ‘बाहरी दिल्ली के भीड़भाड़ वाले इलाके में माता-पिता अब अपनी बेटियों को काम करने देने जाने को लेकर संशय में हैं.

उन्होंने आगे कहा, ‘उसने जो भी काम किया, वह इसके लायक नहीं थी. दूसरी लड़की चली गई. वे लोग रुक सकते थे और उसे कार के नीचे से निकाल सकते थे. जब उसे घसीटा जा रहा था शायद तब तक वह जिंदा थी. वह मदद के लिए जरूर चिल्लाई होगी. जब हमने उसका शरीर देखा तो वो बिना कपड़े की थी और उसकी चमड़ी तक उतरी हुई थी.’

मंगलवार शाम को अंजलि का अंतिम संस्कार किया गया. करण विहार में भारी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया था और परिवार से किसी को भी मिलने की अनुमति नहीं थी. लेकिन अंत में सवाल ये है कि ‘उन्होंने कार क्यों नहीं रोकी ?’

(अनुवाद | संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)


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