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Sunday, 24 November, 2024
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VHP ने MP के स्कूलों को चेताया- हिंदू बच्चों को सांता क्लॉज रूप में सजाना ‘कन्वर्जन की शुरुआत’

विश्व हिंदू परिषद ने कहा कि वह मध्य प्रदेश के किसी भी स्कूल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगी, जिसमें हिंदू बच्चों को माता-पिता की अनुमति के बिना सांता क्लॉज के रूप में तैयार होने के लिए मजबूर किया जाएगा.

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नई दिल्ली: मध्य प्रदेश में विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने एक प्रेस नोट जारी किया है, जिसमें स्कूलों से अपील की है कि वे बच्चों के माता-पिता के इजाजत बिना उन्हें सांता क्लॉज के रूप में न सजाएं-धजाएं.

भोपाल में वीएचपी के प्रांतीय प्रचार प्रमुख जितेंद्र चौहान के हस्ताक्षर में शनिवार को जारी प्रेस नोट में कहा गया है कि स्कूल ‘सनातन धर्म का पालन करने वाले’ छात्रों से सांता क्लॉज के रूप में तैयार होने और स्कूल में क्रिसमस ट्री लाने के लिए कह रहे हैं.

‘यह हिंदू संस्कृति पर हमला है. यह हिंदू बच्चों को ईसाई धर्म से प्रभावित करने की साजिश है और आर्थिक दृष्टि से परिवारों के लिए भी नुकसान है. नोट में ये बात कही गई है.

नोट ने कहा गया है, भारत, ‘संतों की भूमि है, सांता की नहीं.’

आगे कहा गया है, ‘क्या स्कूल, बच्चों को सांता के रूप में तैयार होने के लिए कह कर, ईसाई धर्म के प्रति प्रशंसा और विश्वास विकसित करने की कोशिश कर रहा है?’

नोट में आगे कहा गया है कि हिंदू बच्चे ‘राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर और गुरु गोविंद (एसआईसी) सिंह’ के रूप में तैयार हो सकते हैं. इसमें कहा गया है, ‘इन सभी को क्रांतिकारी, महापुरुष बनना चाहिए, लेकिन सांता क्लॉज नहीं.’

वीएचपी को 1964 में ‘हिंदू समाज को आत्मसात करने, हिंदू धर्म की रक्षा करने और समाज की सेवा करने’ के उद्देश्य से स्थापित किया गया था.

इसमें ये भी कहा कि यह किसी भी स्कूल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करेगा जो हिंदू बच्चों को उनके माता-पिता की सहमति के बिना सांता क्लॉज के रूप में तैयार करने के लिए मजबूर करता है.

इस नोट की एक प्रति राज्य के सभी स्कूलों में भेज दी गई है.

दिप्रिंट से बात करते हुए चौहान ने कहा कि विहिप को अभी तक इस संबंध में माता-पिता से कोई शिकायत नहीं मिली है, लेकिन संगठन उन परिवारों के साथ खड़ा होगा जो दावा करते हैं कि उन्हें इससे कोई समस्या है.

‘स्कूलों को माता-पिता से लिखित अनुमति लेनी होगी. बच्चों को बनाना (वेश में) सांता क्लॉज उन्हें प्रभावित करके कन्वर्जन की शुरुआत है. अगर कोई स्कूल या संस्था ऐसा करना चाहती है तो हमें कोई दिक्कत नहीं है जब तक वे (बच्चों के) परिवारों से अनुमति लेते हैं.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘अगर कोई स्कूल इसका उल्लंघन करता पाया गया तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. अब तक किसी ने शिकायत नहीं की है. यह जागरूकता पैदा करने का एक प्रयास है क्योंकि कुछ लोग समझ नहीं पाते हैं.’

(अनुवाद और संपादन : इन्द्रजीत)

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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