नई दिल्लीः मुंबई की एक विशेष अदालत ने आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और प्रबंध निदेशक (एमडी) चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को 26 दिसंबर तक के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की हिरासत में भेज दिया.
सीबीआई ने सीईओ द्वारा वीडियोकॉन ग्रुप की कंपनियों को कर्ज देने में बरती गई कथित गड़बड़ियों के सिलसिले में शुक्रवार देर रात दंपति को गिरफ्तार किया था.
अदालत में सीबीआई के वकील ने कहा कि उनके पास दर्ज प्राथमिकी के अनुसार उन्होंने आरोपी नंबर चार और पांच को गिरफ्तार कर लिया है.
सीबीआई ने कोचर दंपति पर आरोप लगाया था कि दोनों जवाब देने में आनाकानी कर रहे हैं और जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि चंदा कोचर के बैंक की एमडी और सीईओ बनने के बाद, वीडियोकॉन और उसकी सहायक कंपनियों को छह कर्ज मंजूर किए थे और चंदा उन समितियों का हिस्सा थीं, जिन्होंने दो कर्ज को मंजूरी दी थी.
सीबीआई के वकील ने कहा, ‘कंपनी को 1,800 करोड़ रुपए की कर्ज दिया है. दीपक कोचर की कंपनी को 300 करोड़ रुपये का एक और कर्ज दिया था.’
वकील ने कहा, ‘हम इस मामले में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 409 लागू करने के लिए एक आवेदन दाखिल कर रहे हैं. हमने पहले ही दोनों आरोपियों को सीआरपीसी की धारा 41 के तहत नोटिस दिया था, लेकिन उन्होंने सहयोग नहीं किया, इसलिए हमने उन्हें गिरफ्तार कर लिया.’
दंपति को 15 दिसंबर को पेश होने का नोटिस भेजा था, लेकिन उन्होंने कहा कि वे चार दिन बाद पेश होंगे और 19 दिसंबर को भी वह पेश नहीं हुए.
सीबीआई के वकील ने तर्क दिया, ‘वे 23 दिसंबर आए और असहयोग के कारण उन्हें गिरफ्तार किया गया. स्पैम सबूत और मामले के दस्तावेज के साथ अदालत का सामना करने के लिए हमें दोनों आरोपियों की तीन दिन की हिरासत दी जानी चाहिए.’
इस बीच, कोचर दंपति के वकील अमित देसाई ने कहा, ‘दंपति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने के वर्षों बाद, उन्हें जांच में शामिल होने के लिए नहीं बुलाया गया और फिर सीबीआई ने अचानक 15 दिसंबर के लिए नोटिस भेजा, जिसे सीबीआई की मंजूरी से कल ही बदल दिया गया.’
दंपति के वकील ने कहा, ‘अगर जनवरी 2019 तक जांच की जरूरत नहीं थी, तो उन्हें अब क्यों गिरफ्तार किया गया है?’
सीबीआई ने आपराधिक साजिश से संबंधित भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं और भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के प्रावधानों के तहत 2019 में दर्ज प्राथमिकी में दीपक कोचर के प्रबंधन वाली कंपनियों-नुपॉवर रिन्यूबल्स, सुप्रीम इनर्जी, वीडियोकॉन इलेक्ट्रोनिक्स लिमिटेड, वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड के साथ-साथ कोचर दंपति और वीडियोकॉन समूह के वेणुगोपाल धूत को भी बतौर आरोपी नामजद किया था.
सीबीआई ने आरोप लगाया था कि आईसीआईसीआई बैंक ने बैंकिंग विनियमन अधिनियम, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के दिशा-निर्देशों और बैंक की ऋण नीति का उल्लंघन करते हुए धूत द्वारा प्रवर्तित वीडियोकॉन समूह की कंपनियों को 3,250 करोड़ रुपए का कर्ज दिया था.
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