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Thursday, 21 November, 2024
होमदेशक्या डॉक्टर ने विडियो कॉल से ‘डिलीवरी’ कराई ? गर्भवती की मौत की जांच कर रही कमिटी को क्या मिला

क्या डॉक्टर ने विडियो कॉल से ‘डिलीवरी’ कराई ? गर्भवती की मौत की जांच कर रही कमिटी को क्या मिला

मानसा सिविल अस्पताल में 12 दिसंबर को एक गर्भवती और नवजात की मौत हो गई. पैनल ने कहा कि ड्यूटी पर मौजूद स्त्री रोग विशेषज्ञ पहले पहुंच सकती थीं क्योंकि उन्हें बता दिया गया था कि महिला की स्थिति गंभीर है.

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चंडीगढ़: मानसा के सिविल अस्पताल में 12 दिसंबर को अटला कलां गांव की सपना कौर और उसके नवजात की मौत हो गई. महिला की मौत के बाद उसके परिजनों ने अस्पताल के बाहर धरना दिया और डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए उन्होंने मरीज की अनदेखी का आरोप लगाया.

मरीज के पति बलजिंदर सिंह ने यह भी ​​आरोप लगाया कि ड्यूटी पर मौजूद स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. बलजीत कौर ने अस्पताल न आकर ड्यूटी पर मौजूद कर्मचारी को फोन पर ही बताया कि डिलीवरी कैसे कराएं. जिसके कारण उनकी पत्नी और बच्चे की मौत हो गई.

मामले की जांच कर रही फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने मंगलवार शाम को अपनी रिपोर्ट स्वास्थ्य सेवा (परिवार कल्याण) के निदेशक डॉ रंजीत सिंह को सौंपी. दिप्रिंट से बात करते हुए डॉ सिंह ने पुष्टि की कि उन्हें रिपोर्ट मिल गई है.

उन्होंने कहा, ‘वह इस संबंध में राज्य के स्वास्थ्य सचिव से उचित कार्रवाई की सिफारिश करेंगे. इसके बाद डॉक्टर को ट्रांसफर या फिर विभागीय जांच का सामना करना पड़ सकता है.’

मानसा का यह मामला प्रकाश में उस समय आया, जब पंजाब को केंद्र सरकार की ओर से ‘सुरक्षित मातृत्व आश्वासन (सुमन)’ कार्यक्रम के सफल कार्यान्वयन के लिए प्रथम पुरस्कार से नवाजा गया है. इस कार्यक्रम का उद्देश्य ‘जीरो प्रिवेंटेबल मैटरनल एंड न्यू बोर्न डेथ्स’ को हासिल करना है. पुरस्कार की घोषणा केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉ भारती प्रवीण पवार ने शनिवार को दिल्ली में मातृ स्वास्थ्य पर राष्ट्रीय कार्यशाला में की.

राज्य के स्वास्थ्य मंत्री चेतन सिंह जौरामाजरा ने इस उपलब्धि का श्रेय यह कहते हुए लिया कि आम आदमी पार्टी की सरकार आने के बाद राज्य में स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार हुआ है.

कमेटी को क्या मिला

कमेटी के मुताबिक 12 दिसंबर को ‘ऑन कॉल’ डॉक्टर समय पर मानसा सिविल अस्पताल नहीं पहुंच पाई, लेकिन उन्हें मरीज की स्थिति के बारे में बताया गया था. हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि कमेटी को इस बात के कोई सबूत नहीं मिले हैं कि डॉक्टर ने स्टाफ नर्सों को वीडियो कॉल पर डिलीवरी करने का निर्देश दिया था. उन्होंने स्टाफ नर्सों को मरीज को संभावित सिजेरियन के लिए तैयार करने के लिए कहा था.

हालांकि महिला नियमित जांच के लिए अस्पताल आती रही थी और उन्हें ‘उच्च जोखिम वाली गर्भवस्था’ में नहीं रखा गया था. रिपोर्ट के मुताबिक चूंकि महिला को ‘उच्च जोखिम वाली गर्भवस्था’ श्रेणी में नहीं रखा गया था इसलिए उन्हें इमरजेंसी ड्यूटी पर लगे डॉक्टर और ड्यूटी पर मौजूद नर्स ने 12 दिसंबर को नार्मल डिलीवरी कराने का फैसला लिया.

जांच में शामिल एक वरिष्ठ डॉक्टर ने दिप्रिंट को बताया कि स्त्री रोग विशेषज्ञ को कॉल पर पहले नहीं बुलाया गया था क्योंकि नार्मल डिलीवरी में अक्सर सीनियर स्टाफ और नर्स को इसे संभालने के लिए सक्षम माना जाता है.

हालांकि, बच्चे को जन्म देने से पहले मरीज की तबीयत बिगड़ गई और वहां मौजूद नर्स और स्टाफ ने करीब सुबह 9:30 बजे डॉ. बलजीत कौर को फोन किया.

रिपोर्ट के मुताबिक, नर्सों ने सुबह 11:30 बजे के आसपास फिर से डॉक्टर को मरीज की स्थिति के बारे में बताया और वह लगभग 11:50 तक अस्पताल पहुंची. लेकिन तब तक महिला की मौत हो चुकी थी.

इन्क्वायरी कमेटी में शामिल एक वरिष्ट डॉक्टर ने दिप्रिंट को बताया, ‘कमेटी ने यह निष्कर्ष निकाला है कि स्त्री रोग विशेषज्ञ को मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए समय पर अस्पताल पहुंचना चाहिए था. रिपोर्ट के आधार पर संबंधित डॉक्टर को मानसा सिविल अस्पताल से ट्रांसफर किए जाने और विभागीय जांच का सामना करने की उम्मीद है.

(अनुवाद/संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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