नई दिल्ली: अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारत-चीन सैनिकों की झड़प पर संसद में चर्चा के लिए विपक्ष अड़ा हुआ है. बुधवार को कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर बहस की मांग और इसको लेकर विपक्षी सांसदों के हंगामा करने सदन की कार्रवाई 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई. वहीं विपक्ष इस मुद्दे को लेकर संसद में गांधी प्रतिमा के सामने धरने पर बैठ गया है.
राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे ने चीन पर चर्चा की मांग को लेकर आज संसद में गांधी प्रतिमा के सामने विरोध प्रदर्शन करने के लिए समान विचारधारा वाले विपक्षी नेताओं को बुलाया है.
दिल्ली: कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी और अन्य विपक्षी नेताओं ने तवांग में भारत-चीन फेसऑफ पर चर्चा की मांग करते हुए संसद परिसर के अंदर गांधी प्रतिमा के सामने विरोध प्रदर्शन किया। pic.twitter.com/ESjm9eki3S
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 21, 2022
कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ‘हम मांग करते हैं कि सदन में चर्चा हो. सदन को चीनी अतिक्रमण (कब्जे) की जानकारी दी जानी चाहिए ताकि देश के लोगों को इसकी बताया जा सके. अगर चर्चा नहीं होती है और केवल एकतरफा प्रतिक्रिया होती है, तो इसका क्या मतलब है?’
कांग्रेस सांसद पी चिदंबरम ने कहा कि, ‘हम सिर्फ यह जानना चाहते हैं कि सीमा पर तैयारियों का स्तर क्या है, चीनी सैनिकों के साथ 16 दौर की बातचीत से पीएलए ने क्या हासिल किया, पीएम मोदी ने बाली में चीनी राष्ट्रपति शी से क्या कहा, अगर उन्होंने ऐसा किया तो.’
उन्होंने कहा, ‘हम चीन पर चर्चा चाहते हैं, हम सेना की गोपनीयता नहीं पता करना चाहते. आखिर क्या चीज चीन को भारत में घुसपैठ का साहस देती है. जबकि हमारी जवाबी कार्रवाई पूरी तरह प्रतिक्रियात्मक है? घुसपैठ को क्यों नहीं रोका जा रहा.
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, ‘विपक्ष संसद में भारत-चीन सीमा विवाद पर बातचीत की मांग कर रहा है. सरकार लोगों के लिए जवाबदेह है, हम सब देश की रक्षा के लिए खड़े हैं. सीमा पर क्या स्थिति है, जून 2020 में हमारे 20 जवान क्यों मारे गए थे? ये पता होना चाहिए.
उन्होंने कहा कि पार्टी और अन्य विपक्षी दल (चीन पर) चर्चा की मांग कर रहे हैं. जबकि हम सभी देश की सुरक्षा के लिए एकजुट हैं, हम चाहते हैं कि सरकार हमें और भारत के लोगों को विश्वास में ले कि वे वास्तव में सीमा पर क्या हो रहा है.
थरूर ने कहा, ‘सेना की आलोचना का कोई सवाल ही नहीं है. सवाल देश के राजनीतिक नेतृत्व के बारे में है. वे अपना काम क्यों नहीं करेंगे या राजनीतिक रूप से राष्ट्र के प्रति जवाबदेह क्यों नहीं होंगे? हम सेना से जानकारी नहीं मांग रहे हैं, राजनीतिक नेतृत्व से इस बारे में बताने के लिए कह रहे हैं.’
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