scorecardresearch
Sunday, 16 November, 2025
होमदेशनिवर्तमान डीजीपी के उत्तराधिकारी को लेकर शीघ्र फैसला करें यूपीएससी, बिहार सरकार: न्यायालय

निवर्तमान डीजीपी के उत्तराधिकारी को लेकर शीघ्र फैसला करें यूपीएससी, बिहार सरकार: न्यायालय

Text Size:

नयी दिल्ली, 16 दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) और बिहार सरकार को राज्य के निवर्तमान पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) एस के सिंघल के उत्तराधिकारी का नाम शीघ्र तय करने का शुक्रवार को निर्देश दिया।

सिंघल 19 दिसंबर तक कार्यभार संभालेंगे।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने यूपीएससी से राज्य सरकार द्वारा दी गई सूची में से तीन वरिष्ठ अधिकारियों के नाम छांटने को कहा। उसने कहा कि राज्य सरकार को अगले साल दो जनवरी ‘‘को या उससे पहले’’ डीजीपी के नाम को लेकर फैसला करना होगा।

न्यायालय ने कहा कि यूपीएससी ने अधिकारियों के नाम छांटने के लिए 14 दिसंबर, 2022 को पहले ही एक समिति का गठन कर दिया है और उसे जल्द से जल्द फैसला लेना होगा।

पीठ ने कहा, ‘‘बिहार राज्य को दो जनवरी, 2023 को या उससे पहले चयन करना होगा।’’

रिपोर्ट के अनुसार, राज्य सरकार ने हाल में यूपीएससी को 11 वरिष्ठ अधिकारियों के नाम सौंपे थे। आयोग को इनमें से तीन के नाम छांटने होंगे।

राज्य सरकार इन तीन में से किसी भी अधिकारी को डीजीपी नियुक्त कर सकती है।

न्यायालय ने इस साल सात मार्च को भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के वरिष्ठ अधिकारी सिंघल की पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के रूप में नियुक्ति को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर बिहार सरकार और यूपीएससी से जवाब मांगा था। याचिका में कहा गया कि इस नियुक्ति से शीर्ष अदालत के फैसले का उल्लंघन हुआ है।

शीर्ष अदालत ने 1988 बैच के बिहार काडर के आईपीएस अधिकारी सिंघल को भी नोटिस जारी किया था। सिंघल को दिसंबर 2020 में राज्य का डीजीपी नियुक्त किया गया था।

सिंघल को उनके पूर्ववर्ती गुप्तेश्वर पांडे की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के बाद डीजीपी का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया था। बाद में उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना इस पद पर नियुक्त किया गया था।

प्रकाश सिंह मामले में 2006 के शीर्ष अदालत के फैसले में कहा गया था कि राज्य सरकार अपने राज्य के डीजीपी को “विभाग के उन तीन वरिष्ठतम अधिकारियों में से चुनेगी, जिन्हें यूपीएससी ने उस रैंक पर पदोन्नति के लिए उनकी सेवा की अवधि, बहुत अच्छे रिकॉर्ड और पुलिस बल का नेतृत्व करने में उनके अनुभव की व्यापकता के आधार पर पैनल में रखा होगा।”

न्यायालय ने कहा था कि एक बार पद के लिए चुने जाने के बाद उनका कार्यकाल कम से कम दो साल का होना चाहिए, भले ही उनकी सेवानिवृत्ति की तारीख कुछ भी हो।

भाषा सिम्मी नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments