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Wednesday, 20 November, 2024
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कौन है ‘मायावी’ रणनीतिकार कानूनगोलू और उनके तेलंगाना ऑफिस पर छापेमारी से कांग्रेस क्यों हुई नाराज

कानूनगोलू ने तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए काम करने वाले एक पोलस्टर के रूप में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी. वह कांग्रेस के रणनीतिकार हैं और उनकी तुलना अक्सर प्रशांत किशोर से की जाती है, जिनके साथ उन्होंने पहले काम किया था.

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नई दिल्ली: सुनील कानूनगोलू की तुलना अक्सर प्रशांत किशोर से की जाती है. वह उनके साथ अतीत में काम कर चुके हैं. दोनों के बीच कई चीजें समान हैं – दोनों चुनावी रणनीति में दखल देते हैं, दोनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ काम किया है. दोनों ने उनका साथ छोड़ा और दूसरी तरफ चले गए.

एक बात, जो दोनों को एक-दूसरे से अलग करती है, वह है कानूनगोलू की अपने आपको लो प्रोफाइल रखने की सनक.

कांग्रेस के सूत्रों के मुताबिक, अगर कोई कहे कि कानूनगोलू सबसे अलग क्यों है! तो इसकी वजह, भीड़ में अलग न दिखने की उनकी क्षमता और इसे उसी तरह बनाए रखने की उनकी स्पष्ट मंशा है.

जैसा कि एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा, ‘वह बघीरा (रुडयार्ड किपलिंग की मोगली कहानियों का ब्लैक पैंथर) की तरह मायावी है और अपना कोई निशान नहीं छोड़ते हैं.’

नेता ने बताया, ‘वह आते हैं और चले जाते हैं. पोर्टिको (24, अकबर रोड, कांग्रेस मुख्यालय) में मौजूद 100 लोगों में से कोई भी उनकी तरफ ज्यादा ध्यान नहीं देता है, वह इतना साधारण दिखाई देते हैं.’

कुछ लोगों के मुताबिक, वह अपने काम से काम रखते हैं, ज्यादा गपशप करने वाले व्यक्ति नहीं हैं. पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से बाहर के लोगों के साथ शायद ही किसी ने उन्हें कभी बात करते हुए देखा हो.

मूल रूप से कर्नाटक के बल्लारी जिले के रहने वाले कानूनगोलू इस साल की शुरुआत में कांग्रेस में शामिल हुए थे.

बाद में पार्टी ने उन्हें अपने गृह राज्य में पार्टी की चुनावी रणनीति का नेतृत्व करने के लिए चुना, जहां अगले साल चुनाव होने हैं.

कांग्रेस में कानूनगोलू पार्टी के महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल और राज्यसभा सांसद व कर्नाटक के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला सहित कुछ ही वरिष्ठ नेताओं के साथ बातचीत करते हैं.

कांग्रेस के एक सूत्र ने कानूनगोलू के काम का वर्णन करते हुए कहा कि वह ‘जमीनी स्तर के मुद्दों की समझ रखने वाले और सर्वे’ करने वाले शख्स हैं.

वह मौजूदा समय में तेलंगाना में भी पार्टी के लिए काम कर रहे हैं.

तेलंगाना पुलिस ने मंगलवार को कानूनगोलू के हैदराबाद स्थित दफ्तर पर छापेमारी की. कांग्रेस नेतृत्व ने आरोप लगाया है कि यह राज्य की के चंद्रशेखर राव सरकार द्वारा ‘असंतोष को दबाने’ का प्रयास था.

छापेमारी तेलंगाना के मुख्यमंत्री और सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति के खिलाफ कथित अपमानजनक पोस्ट को लेकर की गई थी.

वेणुगोपाल ने ट्वीट किया, ‘सुनील कानुगोलू के कार्यालय को सीज करने की साइबराबाद पुलिस की कार्रवाई असंतोष को दबाने का एक ज़बरदस्त प्रयास है. यह @INCTelangana वार रूम को निष्क्रिय करने के उद्देश्य से है जो पूरे जोरों से काम कर रहा है. कुछ भी हो जाए, हम तेलंगाना के मुख्यमंत्री और उनके परिवार द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ अपना धर्मयुद्ध जारी रखेंगे.’


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कभी मोदी के सहयोगी

कानूनगोलू भाजपा के व्यक्तिगत अभियान संगठन ‘एसोसिएशन ऑफ ब्रिलियंट माइंड्स’ (एबीएम) के पूर्व प्रमुख रह चुके हैं और अब राजनीतिक परामर्श फर्म माइंडशेयर एनालिटिक्स के प्रमुख हैं.

कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय को सौंपी गई जानकारी के अनुसार, एक निदेशक के रूप में कानूनगोलू तीन कंपनियों- एसआर इंडिपेंडेंट फिशरीज प्राइवेट लिमिटेड, एसआर नेचुरो फूड्स प्राइवेट लिमिटेड और ब्रेनस्टॉर्म इनोवेशन एंड रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड से जुड़े रहे हैं.

दिकंपनीचेक पर एक लिस्टिंग बताती है, ‘सुनील कानूनगोलू पहले दो कंपनियों, एसआर मरीन फूड्स प्राइवेट लिमिटेड और सिटीजन्स फॉर अकाउंटेबल गवर्नेंस प्राइवेट लिमिटेड से जुड़े हुए थे.’

सिटीजन्स फॉर अकाउंटेबल गवर्नेंस की अवधारणा प्रशांत किशोर ने की थी और 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा के अभियान के प्रभारी थे.

कानूनगोलू ने चुनाव विश्लेषण और रणनीति के क्षेत्र में प्रवेश तब किया, जब उन्होंने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और अधिक मतदाताओं तक कैसे पहुंचा जाए, इस पर डेटा एनालिटिक्स का इस्तेमाल करते हुए एक प्रस्तुति दी थी.

एक पूर्व मैकिन्से सलाहकार, कानूनगोलू जल्द ही उस व्यक्ति के सलाहकार बन गए जो आगे चलकर प्रधानमंत्री बने. उस दौरान उन्होंने किशोर और उनके सिटिजन्स फॉर अकाउंटेबल गवर्नेंस के साथ भी काम किया.

कानूनगोलू का भाजपा के साथ जुड़ाव कई सालों तक बना रहा और उनकी चुनावी सफलताओं में 2017 में उत्तर प्रदेश में पार्टी की सत्ता में वापसी शामिल है.

हालांकि इसके तुरंत बाद उन्होंने कांग्रेस की ओर रुख करना शुरू कर दिया. और आखिरकार इस साल मार्च में वह कांग्रेस में शामिल हो गए. कुछ नेताओं ने शुक्रिया कहा कि पार्टी की अनिच्छा के बावजूद एक बाहरी रणनीतिकार को शामिल किया गया, जो कांग्रेस का सदस्य नहीं था.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

(अनुवाद: संघप्रिया)

(संपादन: आशा शाह)


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