लखनऊ: हाल ही में बिजनेस स्टैंडर्ड द्वारा प्रकाशित एनएसएसओ की रिपोर्ट में 45 सालों में सबसे ज्यादा बेरोजगारी 2017-18 में बताई गई है. इसके बाद सरकार और विपक्षी दलों के बीच खींचतान शुरू हो गई. यूपी में भी इस रिपोर्ट के चर्चे हैं. कारण है बढ़ती बेरोजगारी. इसकी अहम वजह ये है कि पिछले दिनों प्रदेश के श्रम व सेवायोजन मंत्री ने भी माना था कि 2017-18 के बीच बेरोजगारी बढ़ी है. श्रम व सेवायोजन मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक सवाल के जवाब में कहा था कि सरकारी क्षेत्र में रोजगार के अवसर घटे हैं, लेकिन निजी क्षेत्र में बढ़े हैं. बेरोजगारी बढ़ने की वजह उन्होंने आबादी में वृद्धि को बताया था.
पिछले साल अगस्त में विधानसभा में कांग्रेस के विधायक अजय कुमार लल्लू व अदिति सिंह के सवाल के जवाब में मौर्य ने कहा कि निजी क्षेत्र में जिन्हें रोजगार दिया गया है उनमें 34427 कुशल और 28725 अकुशल अभ्यर्थी हैं. श्रम एवं सेवायोजन मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि 1 अप्रैल 2017 से 31 मार्च 2018 तक रोजगार मेलों के माध्यम से निजी क्षेत्र में 63,152 नौजवानों को रोजगार दिया गया है. कौशल विकास मिशन ने वित्तीय वर्ष 2017-18 में 1,89,936 युवाओं को विभिन्न जिलों में प्रशिक्षित किया है. इनमें से 67003 युवाओं को सेवायोजित किया गया है.
बढ़ रही है बेरोजगारी
बता दें कि 2016 से 31 अगस्त 2018 तक उत्तर प्रदेश में नये बेरोजगारों की संख्या 9 लाख पहुंच गई है. राज्य श्रम विभाग के पोर्टल पर मौजूद आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में कुल 22 लाख बेरोजगार रजिस्टर्ड हैं, जिनमें 7 लाख से अधिक बेरोजगार ग्रेजुएट हैं.
पीएचडी वाले कर रहे फोर्थ क्लास नौकरी के लिए आवेदन
पुलिस विभाग ने पिछले वर्ष जुलाई में टेलीफोन मैसेंजर पद के लिए 62 पदों पर पांचवीं पास वालों से आवेदन मांगे थे, लेकिन जिन लोगों ने इन पदों पर आवेदन किया है, उसे देखकर सेलेक्शन बोर्ड भी दंग रह गया है. दरअसल चपरासी के इन पदों पर 50 हजार ग्रेजुएट, 28 हजार पोस्ट ग्रेजुएट्स सहित 3700 पीएचडी (डॉक्टरेट) धारकों ने भी आवेदन किया था
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, इन वैकेंसीज के लिए 50,000 ग्रेजुएट और 28,000 पोस्ट ग्रेजुएट उम्मीदवारों ने आवदेन किया है. इस पद के लिए न्यूनतम योग्यता कक्षा पांच है. नौकरी में चयन के लिए उम्मीदवार को खुद से सिर्फ यह घोषणा करनी है कि उसे साइकिल चलानी आती है. हालांकि, बड़े पैमाने पर इतने पढ़े-लिखे उम्मीदवारों के आवेदन करने के कारण विभाग ने परीक्षा के माध्यम से चयन करने का फैसला किया है. ये पद बीते 12 साल से खाली पड़े थे.आपको बता दें कि कुल 93,000 आवेदनकर्ताओं में से सिर्फ 7400 कैंडिडेट्स ही ऐसे थे, जो पांचवीं पास थे. इतना ही नहीं, बल्कि ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट में भी वो कैंडिडेट्स शामिल हैं, जिन्होंने बीटेक, एमसीए और एमबीए किया हुआ था.
नौकरी न मिलने से अभ्यर्थी परेशान
नौकरियों की कमी के कारण सरकारी नौकरी की तैयारी करने वाले छात्र काफी परेशान हैं. सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे देवेंद्र कुमार की मानें तो नौकरियां बहुत ही कम निकल रही हैं. रेलवे विभाग के अलावा सेंट्रल गवर्नमेंट की जॉब्स तो आ ही नहीं रहीं. रेलवे में भी कई पोस्ट के लिए टेक्निकल कोर्स मांगे गए हैं.
वहीं कई वर्षों से लखनऊ में रहकर सरकारी नौकरी की तैयारी करने वाले हिमांशु श्रीवास्तव बताते हैं कि जैसे ही कोई वैकेंसी आती भी है तो लाखों आवेदन पहुंच जाते हैं. हर वैकेंसी पर औसतन पांच हजार से ज्यादा आवेदनकर्ता होते हैं. ऐसे में सरकारी नौकरी पाना पिछले कुछ वर्षों में काफी कठिन हो गया है. कई परीक्षाएं कैंसिल हो जा रही हैं तो कई के रिजल्ट भी फंसे हुए हैं.
योग्य अभ्यर्थियों की कमी : सरकार
राज्य सरकार के श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य का कहना है कि उत्तर प्रदेश में नौकरियों की कमी नहीं है, लेकिन योग्य अभ्यर्थियों की कमी है. बीते दिनों शिक्षक भर्ती को लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कुछ ऐसा ही बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि प्रदेश सरकार को योग्य शिक्षकों की तलाश है, लेकिन मिल नहीं रहे हैं. इसे लेकर विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी.
वहीं दूसरी तरफ 67,500 शिक्षक भर्ती की प्रकिया में गड़बड़ी पाई गई, जिससे सरकार की काफी किरकिरी भी हुई. प्रयागराज हाईकोर्ट ने भी सरकार को इस मामले में फटकार लगाई थी.