नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर से अपने नैरेटिव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इर्द-गिर्द रखा है. जो कहते हैं कि उन्होंने देश के मन की बात (सचमुच, दिल की बात) सुनी है और उसको पूरा किया है.
‘भारत के मन की बात, मोदी के साथ’ टैग लाइन के साथ भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को अपने चुनाव घोषणापत्र के लिए लोगों के सुझावों के लिए एक अभियान शुरू किया है. पार्टी का कहना है कि यह घोषणापत्र-लेखन अभ्यास का लोकतंत्रीकरण है, जो अब से इसका मानक होगा.
उन्होंने चुनाव में जाने से पहले नया नारा भी दिया. ‘काम करे जो, उम्मीद उसी से हो. (लोग काम करने वालों में केवल आशा रखते हैं).
इस नारे के साथ, भाजपा दोहरा रही है कि मोदी की सरकार ‘कामदार’ है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की तरह ‘नामदार’ (राजवंश) नहीं है. इस कार्यक्रम में उपस्थित वरिष्ठ नेता ने कहा कि यह नारा कांग्रेस पर कटाक्ष है, जहां ‘नेताओं को छुट्टियों पर जाने के लिए नियमित अवकाश चाहिए होता है.’
यह नारा नरेंद्र मोदी की कर्मठ कार्यकर्ता की छवि को दर्शाता है. वरिष्ठ मंत्री नितिन गडकरी के द्वारा दिए गए बयान ‘जो नेता सपने बेचते हैं और उसे पूरा करने में नाकाम रहते हैं, ऐसे नेताओं की जनता पिटाई भी करती है’, को भी कमजोर करता है.
प्राथमिकता वाले क्षेत्र
अमित शाह के अनुसार यह प्रक्रिया एक महीने तक चलेगी और लोग ईमेल, सोशल मीडिया के माध्यम से वेबसाइट पर पार्टी के संपर्क में कर सकते हैं.
इसके अतिरिक्त, एलईडी लाइटों के साथ लगभग 300 रथ सुझावों को रिकॉर्ड करने के लिए सभी राज्यों का दौरा करेंगे. देश भर में 7,500 से अधिक ड्रॉप बॉक्स भी लगाए जाएंगे, जबकि इसके लिए एक फोन नंबर भी दिया जायेगा.
राजनाथ सिंह घोषणापत्र समिति के प्रमुख हैं. उन क्षेत्रों को सूचीबद्ध किया गया है जिनमें सुझावों को घोषणा पत्र में वर्गीकृत किया जायेगा.
घोषणा पत्र में सुझावों के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में विकास और सुशासन, कृषि, युवा, महिला सशक्तीकरण, एससी, एसटी, ओबीसी, घुमंतू जातियां, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य और शिक्षा, अर्थव्यवस्था और व्यापार, बुनियादी ढांचे, आंतरिक और बाहरी राष्ट्रीय सुरक्षा और, विदेश नीति, सांस्कृतिक विरासत और असंगठित श्रम क्षेत्र सहित समावेशी विकास शामिल हैं.
वरिष्ठ मंत्रियों को सुझावों के लिए विभागों का प्रभार दिया गया है, लेकिन सबसे दिलचस्प विकल्प मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हैं, जिन्हें किसानों के साथ बातचीत करने और कृषि पर अपने सुझावों को लेने का जिम्मा दिया गया है. कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह स्पष्ट रूप से सूची से बाहर हैं.
शाह ने अहम मुद्दों पर विचार रखे
इस कार्यक्रम में कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए गए थे, लेकिन अमित शाह जवाब देने से बचते नज़र आये.
नागरिकता संशोधन विधेयक का मुद्दा, जिसकी वजह से पूर्वोत्तर के राज्यों में पार्टी के भीतर और सहयोगी दलों में विरोधाभास हो गया था. उन्होंने कहा, ‘यह पूरी तरह से जानबूझकर किया गया है और हम पूर्वोत्तर में पार्टियों से बात कर रहे हैं. इस मुद्दे को आगे बढ़ाने के लिए आम सहमति बनाने की जरूरत है. हमने पहले ही कुछ दलों के साथ बातचीत की है और मैं केवल इतना कह सकता हूं कि यह बिल देश के लिए बहुत जरूरी है.’
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने अयोध्या में राम मंदिर के मुद्दे पर विपक्षी दलों को कटघरे में खड़ा किया. राम मंदिर पर अपना रुख साफ करने की जरूरत है. हम अभी भी इसके निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं.
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